अमरावती/दि.14 – पुलिस प्रशासन द्बारा दवा दुकानदारों को सीसीटीवी अनिवार्य किया गया है. इसके लिए किसी मोहलत का उल्लेख मेडिकल दुकानदारों को भेजे गये नोटीस में नहीं है. ऐसे में केमिस्ट बंधु पुलिस की अनिवार्यता का विरोध कर रहे हैं. केमिस्ट बंधुओं का कहना है कि, उनका व्यवसाय फूड व ड्रग विभाग अंतर्गत है. एफडीए द्बारा निरंतर निरीक्षण होता आया है. ऐसे में पुलिस की सीसीटीवी लगाने की नोटीस का अधिकांश केमिस्ट विरोध कर रहे हैं. वहीं शहर की अनेक मेडिकल दुकानों में सीसीटीवी पहले से ही मौजूद है. पुलिस ने शहर के अलावा आसपास के गांव देहात की मेडिकल को भी नोटीस भेजने की जानकारी है. केमिस्ट एसो. के अध्यक्ष सौरभ मालानी ने पुलिस की नोटीस पर सवाल उठाए हैं. एसो के अध्यक्ष सौरभ मालानी ने साफ-साफ कहा कि, सामाजिक उत्तर दायित्व का केमिस्ट को पूरा भान है. उसे अकारण न सताया जाएं. उसी प्रकार तर्क संगत बातों के लिए दवा व्यापारियों का संगठन सदैव शासन और प्रशासन के साथ सहयोग करता आया है.
* दवा व्यापारियों के यह भी तर्क
दवा व्यापारियों का कहना है कि, शेड्यूल एक्स अंतर्गत औषधियों के लिए नारकोटीक विभाग है. इन औषधियों की जानकारी उक्त विभाग के साथ एफडीए प्रशासन के पास भी उपरोक्त दवाओं के बारे में सबकुछ दर्ज है. इस बारे मेें जांच के लिए यह विभाग सक्षम है.
* बिना पर्ची विक्री नहीं
मेडिकल संचालकों का कहना है कि, दवा दुकानदार बगैर डॉक्टर की चिट्ठी के दवाओं की विक्री नहीं करता. जबकि ऑनलाइन पोर्टल पर भी अनेक प्रकार की दवाईयां उपलब्ध है. धडल्ले से बेची जा रही है. ऐसी दवाईयां ऑनलाइन विक्री हो रही. जिनके कई प्रकार के साईड इफेक्ट है. उसी प्रकार नशे में भी इस्तेमाल होती है.
* हर माह 5 मेडिकल बंद
केमिस्ट एसो. के एक पदाधिकारी ने बताया कि, पहले से ही अनेक प्रकार की पाबंदियां दवा कारोबार पर लगी है. एफडीए की शर्तो का थोक और चिल्लर दुकानदार पूर्ण रुप से पालन करने का प्रयास करता है. ऐसे में कारोबार मुश्किल हो चला है. विशेषकर ऑनलाइन फार्मा कंपनियों और बडी कंपनियों के मोटे डिस्काउंट से स्थानीय फुटकर दवा व्यापारी परेशान हैं. हर माह 5-6 मेडिकल बंद हो रहे हैं. ऐसे में सीसीटीवी को अनिवार्य कर दवा दुकानदार पर और बोझ न डालने की प्रतिक्रिया शहर के प्रमुख दवा कारोबारियों ने अमरावती मंडल से बातचीत में की.
* अंदर और बाहर सीसीटीवी लगाएं
पुलिस द्बारा अनेक मेडिकल संचालकों को नोटीस दी गई है. जिसमें कहा गया कि, दुकान में परिशिष्ठ एक्स, एच, एच-1 की दवाईयां विक्री करते हैं. अत: दुकान के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरा लगाना आवश्यक है. जिला नियंत्रण अधिकारी यह सीसीटीवी चेक करेंगे. इस नोटीस में औषधी विक्रेता अधिनियम 1945 और प्रसाधन कानून 1940 का भी जिक्र है.
* पुलिस होती कौन है निर्देश देने वाली
केमिस्ट एसो. के उपाध्यक्ष संजय शेलके ने अमरावती मंडल से बातचीत में साफ कहा कि, मेडिकल एफडीए के अंतर्गत है. पुलिस को मेडिकल के कामकाज मेें दखल देने की आवश्यकता नहीं. उन्होंने हाल ही में ऑटो रिक्षा में पुलिस द्बारा दवाएं जब्त करने और इसके लिए पुलिस को कोर्ट की फटकार का किस्सा याद दिलाया. शेलके ने कहा कि, पहली बात तो मेडिकल संचालक डॉक्टर की पर्ची पर दवाई देते है. जिन्हें नशा-पता करना है, वह मेडिकल नहीं आता. ऑनलाइन बुला लेता है. ऐसे ही सीसीटीवी लगाने का पुलिस के आदेश का उन्हें कोई फायदा नजर नहीं आता. दवा दुकानदार एफडीए के नियम कायदों से चल रहे है. पुलिस की दखल की जरुरत नहीं है.
* सीसीटीवी का खास उपयोग नहीं
दशहरा मैदान रोड स्थित एक बडी मेडिकल के प्रबंधक सचिन नेवारे ने कहा कि, उनके स्टोर में सीसीटीवी लगे हैं. मगर इसका विशेष उपयोग नहीं हो पाता. उन्हें भी समझ नहीं आ रहा कि, सीसीटीवी को क्यों अनिवार्य किया जा रहा है. अभी तक जिन्हें नोटीस मिली है. उसमें सीसीटीवी लगाने की कोई समयसीमा नहीं दी गई है. यहीं संतोष की बात है. नेवारे ने कहा कि, नशा करने वाले कहीं से भी अपने नशे की वस्तु का इंतजाम कर लेते हैं. सिर्फ मेडिकल के भरोसे नहीं.
* तुरंत कार्रवाई के अधिकार नहीं
अमरावती मंडल ने सीसीटीवी संबंधी आदेश के बारे में पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से संपर्क करना चाहा. नो रिप्लाय रहने पर शहर अपराध शाखा के निरीक्षक अर्जुन ठोसरे से इस बारे मेें प्रतिक्रिया ली, तो उन्होंने कहा कि, हाईयर अथॉरिटी के कहने पर हमने मेडिकल दुकानदारों को सीसीटीवी संबंधी नोटीस दिया. तुरंत कार्रवाई करने का पुलिस को अधिकार नहीं है. जो दवाईयां नशे के काम आती है. वह मेडिकल दुकानदार डॉक्टर की पर्ची के बगैर नहीं देते. संबंधित अथॉरिटी ने पुलिस को सीसीटीवी के बारे में कहा, तो हमने दवा दुकानों को आवश्यक किया.