एच3एन2 वायरस से घबराएं नहीं, सतर्क रहें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने दी राय, मौसमी वायरल बीमारी बताया
अमरावती/दि.15 – विगत कुछ दिनों से लोकबाग बडी तेजी के साथ सर्दी खांसी और बुखार की चपेट में आ रहे. जिसके तहत लोगों को सिरदर्द, बदनदर्द, उल्टी व दस्त के साथ ही गले में दर्द और श्वसन मेें तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड रहा है. जिसके लिए इन्फ्ल्यूइंजा के एच3एन2 नामक विषाणु को जिम्मेदार माना जा रहा है. यह वायरल बडी तेजी के साथ फैलता है. इसकी वजह से इन दिनों मौसमी बीमारियों का संक्रमण भी बडी तेजी के साथ बढ रहा है. यह स्थिति देश के विभिन्न राज्यों में एक समान है. ऐसे मेें इस बीमारी को एक तरह से महामारी के तौर पर देखा जा रहा है. चूंकि अभी साल-दो साल पहले ही देश सहित दुनिया ने कोविड की महामारी को झेला है और उसके भयावह परिणामों को भी देखा है. ऐसे में तेजी से बढ रहे वायरल फिवर व फ्लू के मामलों की वजह से लोगों में काफी हद तक चिंता का माहौल है. साथ ही इसे लेकर कई खबरिया चैनलों द्बारा प्रसारित की जाने वाली खबरों ने भी भय और चिंता को बढाने का काम किया है. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल ने व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों से इस विषय के संदर्भ में बातचीत कि, तो उन्होंने इसे हमेशा की तरह मौसम में होने वाल बदलाव के समय पांव पसारने वाली वायरल बीमारी बताया. साथ ही कहा कि, इस बीमारी से बहोत ज्यादा घबराने की जरुरत नहीं है. बल्कि जिस तरह कोविड काल के समय मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जाता था. उसी तरह की सतर्कता इस बीमारी से बचे रहने के लिए बरती जानी चाहिए. साथ ही वायरल फिवर की चपेट में आ चुके व्यक्ति ने खुद को होम आईसोलेट करते हुए अन्य लोगों से अपना संपर्क टालना चाहिए. ताकि बीमारी का बहुत अधिक फैलाव ना हो पाए.
* कोई नई बीमारी नहीं है
हमारे वातावरण में लाखों-करोडों वायरस रहते है, जिनमें इन्फ्ल्यूइंजा के वायरस का भी समावेश है. जो लगातार अपना स्वरुप बदलता रहता है. चूंकि हमारे शरीर में पुराने वैरियंट से लडने की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. ऐसे में वायरस स्वरुप बदलकर नये वैरियंट के रुप में हमारे शरीर पर हमला करता है. ऐसी स्थिति में सबकुछ हमारी इम्यूनिटी सिस्टीम पर निर्भर करता है. अगर हमारी इम्यूनिटी सिस्टीम बेहतरीन है, तो किसी भी तरह का वायरस या उसका वैरियंट असर नहीं कर सकता. परंतु जिन लोगों में पहले से डायबिटीज, बीपी व कैंसर जैसी बीमारियां है. उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की जरुरत है. साथ ही छोटे बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए संक्रमण की चपेट में आने का खतरा अधिक हो सकता है. अत: बीमारी की चपेट में आने से बचे रहने के लिए कोविड त्रिसूत्री के ही नियमों का पालन करना चाहिए.
– डॉ. प्रफुल्ल कडू
* सामान्य बुखार की तरह है वायरल फिवर
इन दिनों काफी लोगों को वायरल इंन्फेक्शन हो रहा है. जिसके पीछे मौसम में होने वाले बदलाव के चलते सक्रिय होने वाले फ्ल्यू के वायरस को मुख्य वजह कहा जा सकता है. परंतु यह सामान्य बुखार की तरह है. हालांकि इसमें 5 से 7 दिन तक सर्दी, खांसी और बुखार की तकलीफ रह सकती है. अब तक यह वायरस आम लोगों के लिए कोई खास खतरनाक साबित नहीं हुआ है. परंतु बहुविध बीमारियों से पीडित लोगों के लिए खतरा अधिक हो सकता है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, प्रत्येक व्यक्ति कोविड काल की तरह एक बार फिर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग व सैनिटाईजेशन पर विशेष रुप से ध्यान दें. खास कर बुजुर्गों और छोटे बच्चों की ओर खास ध्यान दिए जाने की जरुरत है, ताकि उन्हें संक्रमण की चपेट में आने से बचाया जा सके.
– डॉ. विजय बख्तार
* घबराने की कोई विशेष जरुरत नहीं
फिलहाल अमरावती शहर सहित जिले में एच3एन2 वायरस से पीडित या संक्रमित मरीज रहने की कोई जानकारी नहीं है. साथ ही अन्य स्थानों से जो खबरें आ रही है, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि, फिलहाल इस बीमारी को लेकर घबराने की कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि यह एक सामान्य फ्ल्यू है और प्रतिवर्ष मौसम में होने वाले बदलाव के समय इस तरह की मौसमी बीमारियां पांव पसारती है. ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति ने अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना चाहिए और बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लेते हुए अपना इलाज करवाना चाहिए.
– डॉ. ए. टी. देशमुख,
डीन, पीडीएमसी
* डरने की कोई बात नहीं, सावधानी बरते
हर साल मौसम में बदलाव होते समय कई तरह के वायरस सक्रिय हो जाते है और बदलते वक्त के साथ कई वायरस के नये वैरियंट सामने आते है. इसी के तहत इस समय फ्ल्यू के वायरस का नया वैरियंट सक्रिय है. जिसकी वजह से लोगबाग मौसमी बुखार की चपेट में आ रहे है, यह बेहद सामान्य सी बात है. अत: इसे लेकर घबराना नहीं चाहिए. बल्कि बीमारी से बचने हेतु सावधान व सतर्क रहते हुए अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. जिसके तहत कोविड काल के समय अमल में लाए जाने वाले त्रिसूत्री नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है. विशेष तौर पर छोटे बच्चों व बुजुर्गों को भीडभाड वाले स्थानों पर ले जाने से बचना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति ने भी अपने सार्वजनिक संपर्क को कम करना चाहिए.
– डॉ. अजय डफले
* पैनिक होने की जरुरत नहीं
फ्ल्यू के वायरस का अस्थित्व पहले भी था और आगे भी रहेगा, ऐसे में इसे लेकर बेवजह पैनिक होने की जरुरत नहीं है. सर्दी, खांसी व बुखार होना बेहद सामान्य सी बात है. इससे बचने हेतु बेहद जरुरी है कि, सार्वजनिक स्थानों पर जाना टाले और जो व्यक्ति पहले से मौसमी बुखार की चपेट में है, उसके संपर्क में ना आए. विशेष तौर पर अगर कोई बच्चा वायरल फिवर से पीडित है, तो उसे स्कूल ना भेजे, ताकि उसके संपर्क में आकर दूसरे बच्चे इस वायरल फिवर की चपेट में ना आए. साथ ही हर कोई कोविड त्रिसूत्री के नियमों का कडाई से पालन करें और जो लोग पहले से ही पुरानी बीमारियों से पीडित है. उनके स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान दिया जाए.
– डॉ. राजेश बूब
* बेहद आम व सामान्य वायरस है
एच3एन2 नामक यह वायरस बेहद आम व सामान्य है और इससे होने वाली बीमारी भी एक तरह से मौसमी बुखार है. अत: इसे लेकर बहुत अधिक घबराने की जरुरत नहीं है. इस बीमारी का इलाज बेहद सामान्य है. हालांकि ट्रिटमेंट थाडी लंबी चल सकती है. लेकिन कॉम्प्लिकेशन का प्रमाण बेहद कम है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, बीमारी को लेकर बेवजह ही भय और चिंता न पाला जाए. साथ ही भ्रामक खबरों पर भरोसा न किया जाए, बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहकर स्वास्थ्य संबंधी सतर्कता बरती जाए.
– डॉ. सोहेल बारी
* कोविड की तरह नहीं है यह वायरस
एच3एन2 नामक फ्ल्यू का यह वायरस बेहद आम है. जिसके संक्रमण का प्रमाण यद्यपि काफी अधिक है. परंतु इससे होने वाली बीमारी से मौत का प्रमाण बेहद कम है. बशर्ते बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत इलाज व औषधोपचार शुरु किया जाना चाहिए. साथ ही बीमारी के संक्रमण से बचे रहने हेतु कोविड के त्रिसूत्री नियमों का पालन करना बेहद अनिवार्य है. जिसके तहत मास्क व सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन किया जाना चाहिए.
– डॉ. दिलीप रणमले,
जिला स्वास्थ्य अधिकारी
* कोविड नहीं, आम वायरल म्यूटेशन है
इस समय जिस वायरल बीमारी का संक्रमण फैल रहा है, वह कोविड की तरह खतरनाक बीमारी नहीं है. बल्कि आम वायरल म्यूटेशन है. जिसकी वजह से सर्दी, खांसी व बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे है. इससे बचने के लिए बहुत जरुरी है कि, अपने स्वास्थ्य एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ध्यान दिया जाए. साथ ही पौष्टिक आहार लेते हुए अपने दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल किया जाए. इसके अलावा कोविड त्रिसूत्री नियमों में शामिल रहने वाले मास्क, सैनिटाइजर व सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जाना चाहिए. ताकि हर कोई खुद को इस बीमारी के प्रभाव से बचा सके.
– डॉ. रवि भूषण
* खास खतरनाक नहीं मौसमी वायरस
इन्फ्ल्यूंजा टाईप-ए वायरस के परिवार का हिस्सा रहने वाला एच3एन2 वैरियंट को कोई खास खतरनाक वायरस नहीं कहा जा सकता. यह एक तरह का मौसमी वायरस है, जो कोरोना वायरस की तरह ही हवा के जरिए फैलता है और श्वसन मार्ग के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, घर से बाहर निकलते समय नाक व मूंह पर मास्क लगाकर रखा जाए. अच्छी बात यह है कि, पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु प्रयोगशाला में हमे टेस्ट कीट उपलब्ध करा दी है और हमारी सरकारी कोविड टेस्ट लैब में एच3एन2 वायरस की टेस्टिंग भी शुरु हो गई है.
– डॉ. प्रशांत ठाकरे
नोडल अधिकारी, कोविड टेस्ट लैब
संगाबा अमरावती विद्यापीठ