अमरावती

संकट आने पर हिंदू धर्म का त्याग न करें : जगद्गुरु राम राजेश्वर माऊली

दशम अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन का सफल समापन

अमरावती/दि.20- हिंदूओं पर किसी भी प्रकार का संकट आये, फिर भी वे हिंदू धर्म का त्याग न करें, मेरे सामने अन्य पंथियों की कोई भी विचारधारा आने पर भी मैं हिंदू धर्म का त्याग नहीं करुंगा, धर्म को नहीं छोड़ूंगा, ऐसा संकल्प हिंदूओं को करना चाहिए. भारत देश भाषा, संस्कृति एवं हिंदु धर्म से एकनिष्ठ रहकर हिंदुओं को धर्म कार्य करना चाहिए, जिससे हिंदु राष्ट्र आने में समय नहीं लगेगा. हिंदूओं ने कृति के स्तर पर राष्ट्र एवं संस्कृति का संवर्धन करना चाहिए. ऐसा प्रतिपादन कौंडण्यपुर के श्री रुक्मिणी वल्लभ पीठ के अनंत विभूषित श्री जगद्गुरु रामानंदचार्य श्री स्वामी रामराजेश्वराचार्य सरकार ने किया.
दशम अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में हिंदू राष्ट्र स्थापना के लिए सांप्रदायिक संगठना के लिए प्रयास करें इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए वे बोल रहे थे. इस समय मंच पर छत्तीसगढ़ की धर्मसेना के अध्यक्ष विष्णो पटेल, गोमंतक हिंदू प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अंकित सावलगांवकर, बेंगलुरु के विश्व सनातन परिषद के अध्यक्ष एस. भास्करन आदि उपस्थित थे.
जगद्गुरु राम राजेश्वर माऊली सरकार ने आगे कहा कि भारत के सभी संत संगठित होने पर हिंदू राष्ट्र की स्थापना निश्चित रुप से हो सकती है. भारत में हिंदुओं की संख्या अधिक होने के बावजूद भारत को हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं कहा जाता? अमेरिका, अफ्रिका, जापान इन देशों के नागरिकों को उनके देश का अभिमान होता है, ऐसा हिंदूओं को हिंदू राष्ट्र का अभिमान होना चाहिए. देश में समान नागरी कानून होने के बाद ही समानता आएगी. उन्होंने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में हिंदू होकर भी उन्हें उनके हक के लिए लड़ना पड़ा. यह दुर्देव है. यह स्थिति बदलने के लिए हिंदूओं को प्रयास करना चाहिए.
दशम अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में प्रमुख रुप से भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करें, देशस्तर पर धर्मांतर बंदी एवं गोहत्या बंदी कानून लागू करें, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 रहित कर काशी, मथुरा सहित हजारों मंदिर एवं उनकी भूमि हिंदूओं के ताबे में दी जाये, धर्माधारित हलाल सर्टिफिकेशन पर बंदी लायी जाये, कश्मिरी हिंदूओं के लिए पनून काश्मीर नाम से केंद्र शासित प्रदेश निर्माण किया जाये आदि अनेक प्रस्ताव संमत किए गए. यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे.

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