अमरावती

अकोला जिप कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती की कार्रवाई न करें- हाईकोर्ट

26 फरवरी को औरंगाबाद खंडपीठ (Aurangabad Bench) में सुनवाई

अमरावती/दि.19 – अधिसंख्य पद पर स्थानांतरित अकोला जिला परिषद के पांच कर्मचारियों को सेवामुक्त करने के लिए सख्ती की कार्रवाई न करें, उन्हें आगामी निर्देश तक ‘जेैसे थे’ रखे इस तरह के आदेश नागपुर खंडपीठ ने दिये है. इस याचिका पर अब शुक्रवार 26 फरवरी औरंगाबाद खंडपीठ में संयुक्त सुनवाई होगी.
रामकृष्ण दांडे, जयकिसन दांडे, माधव पाठकर, शिवशंकर मुकिंदे, जयमाला सोनकुसरे यह याचिकाकर्ताओं के नाम है. वह अकोला जिप में विविध पदो पर कार्यरत है, उन्होंने अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग से नियुक्ति हासिल की है. किंतु अनुसूचित जनजाति का जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश नहीं किया था. इस कारण उन्हें 21 दिसंबर 2019 के शासन निर्णय के अनुसार 11 महिने समयावधि के अधिसंख्य पद पर स्थानांतरित करने के आदेश दिये गए है.इसके खिलाफ उन्होंने एड.शैलेश नारनवरे व्दारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. सुप्रिम कोर्ट ने 6 जुलाई 2017 को जगदीश बहिरा इस मामले में निर्णय दिया है. इस निर्णय से पहले याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति हुई रहने से और उन्हें 15 जून 1995 का शासन निर्णय व 18 मई 2013 के परिपत्रक के अनुसार विशेष पिछडा वर्ग में समाविष्ठ कर लिया गया. जिससे याचिकाकर्ताओं को 21 दिसंबर 2019 का शासन निर्णय लागू नहीं होता.उन्हें अधिसंख्य पद पर स्थानांतरित करने का आदेश अवैध है. ऐसा एड नारनवरे ने हाईकोर्ट को बताया. न्यायमूर्ति नितीन जामदार व न्यायमूर्ति अनिल किलोर ने दोनों पक्ष सुनकर याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है.

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