थैलेसीमिया को न लें हल्के में
अमरावती/दि.13– थैलेसीमिया यह रक्त से संबंधित एक आनुवांशिक बीमारी है. इस बीमारी के लक्षण 6 माह की उम्र से ही दिखाई देने शुरु हो जाते है. जिसके चलते बच्चे के शरीर में हिमोग्लोबिन का प्रमाण घटकर बच्चे का शरीर सफेद पडने लगता है और उसका शारिरीक व मानसिक विकास भी नहीं हो पाता. इस बीमारी पर अब तक कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है. परंतु रक्त संक्रमण व बोनमैरो ट्रान्सप्लांट के जरिए थैलेसीमिया को नियंत्रण में रखा जा सकता है. साथ ही मरीज को बार-बार रक्त चढाना पडता है.
* क्या है थैलेसीमिया की बीमारी?
थैलेसीमिया की बीमारी के चलते शरीर में लाल रक्त पेशियां तैयार नहीं होती. लाल रक्त पेशी में हिमोग्लोबिन नामक लाल रंग का प्रोटीन होता है. जिसकी शरीर में कमी हो जाती है.
* कैसे होता है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया यह आनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता के जरिए बच्चों के शरीर में पहुंचती है. थैलेसीमिया वाहक रहने वाले दो लोगों के संबंध से पैदा होने वाले बच्चे के शरीर में थैलेसीमिया नामक बीमारी के लक्षण रहते है.
* जिले में 400 मरीज
अमरावती जिले में थैलेसीमिया नामक गंभीर बीमारी के 400 से भी अधिक मरीज रहने की जानकारी जिला सामान्य अस्पताल के हिमैटोलॉजी विभाग के पास दर्ज है. इन मरीजों को नि:शुल्क तौर पर रक्त उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार द्बारा दिया गया है.
* कौन सी सतर्कता जरुरी?
थैलेसीमिया नामक बीमारी का संक्रमण न फैले इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक युवक व युवतियों ने विवाह से पहले अपनी रक्तजांच करवानी चाहिए और यदि दोनों ही थैलेसीमिया के वाहक है, तो आपस में रिश्ता करना टाल देना चाहिए. क्योंकि यदि थैलेसीमिया के वाहक रहने वाले युवक-युवती का आपस में विवाह होता है, तो निश्चित तौर पर उनके होने वाले बच्चे में इस बीमारी के लक्षण रहेंगेेे.
* 3 माह का गर्भ रहते समय कराए जांच
यदि माता-पिता थैलेसीमिया के वाहक है, तो मां के गर्भ में रहने वाले शिशु की 3 माह की गर्भावस्था के समय ही जांच करवानी चाहिए. यदि गर्भस्थ शिशु थैलेसीमिया ग्रस्त पाया जाता है, तो उसी समय गर्भपात करवाया जा सकता है.
* थैलेसीमिया यह आनुवांशिक बीमारी है. जिसे रोकने हेतु जरुरी है कि, वैवाहिक संबंध करने से पहले युवक व युवती द्बारा अपनी रक्तजांच करवाई जाए और यदि दोनों ही थैलेसीमिया के वाहक है, तो ऐसे युवक-युवती ने आपस में विवाह नहीं करना चाहिए.
– डॉ. विलास जाधव,
हिमैटोलॉजी विभाग प्रमुख,
जिला सामान्य अस्पताल.