हमें धर्मनिरपेक्षता न सीखायें भागवत
संघ प्रमुख के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता एडतकर का पलटवार
अमरावती/दि.8– गत रोज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, संविधान में उल्लेखीत होने की वजह से ही भारत धर्मनिरपेक्ष नहीं है, बल्कि भारत पहले से ही धर्मनिरपेक्ष देश रहा. यहीं वजह है कि, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा इसका संविधान में उल्लेख किया गया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता एड. दिलीप एडतकर ने कहा कि, यह सीधे-सीधे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को निचा दिखाने और उनके योगदान को कम करने का प्रयास है.
यहां जारी प्रेस विज्ञप्ती में कांग्रेस प्रवक्ता एड. दिलीप एडतकर ने कहा कि, भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. बाबासाहब आंबेडकर है. यह बात संघ आज तक स्वीकार नहीं कर पाया है और समय मिलते ही संघ द्वारा डॉ. आंबेडकर के महत्व को कम करने का प्रयास किया जाता है. इसी के तहत नागपुर में आयोजीत कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने डॉ. आंबेडकर के योगदान को नकारते हुए देश को पहले से ही धर्मनिरपेक्ष बताया, जबकि हकीकत यह है कि, सन 1295 तक देश में हिंदू साम्राज्य था. जिसके बाद सन 1705 तक महाराष्ट्र में शिवशाही को छोडकर पूरे देश में मुगल साम्राज्य था. इन दोनों कालखंड के दौरान समाजजीवन में शासकों के धर्म की बेहद मजबूत पकड थी. ऐसे में पांच हजार वर्षों से यह देश धर्मनिरपेक्ष कैसे कहा जा सकता है. साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिवंगत राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हवाले से दिये गये बयान का निषेध करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता दिलीप एडतकर ने यह भी कहा कि, पेशवाकालीन महाराष्ट्र में अछूतों और महिलाओं को किसी भी तरह के कोई अधिकार नहीं थे और उन्हेें दोयम दर्जे से भी नीचे माना जाता था. यह किस तरह की धर्मनिरपेक्षता थी, यह भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट करना चाहिए.