क्या भाजपा स्क्रिप्ट देती है या यह नवनीत राणा की अपनी राजनीतिक परिपक्वता?
इस बार नवनीत ने सीधे ओवैसी के गढ में जाकर ओवैसी को ललकारा
* इससे पहले महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से भी लिया था सीधा पंगा
* महाविकास आघाडी की सरकार के खिलाफ हुई थी जमकर मुखर
* शरद पवार व संजय राउत जैसे नेताओं से भी किये दो-दो हाथ
* महज 10 वर्ष के भीतर राजनीति में सफलता के शिखर पर पहुंची नवनीत राणा
अमरावती/दि.09– अमरावती जिले की निवर्तमान सांसद नवनीत राणा यूं तो विगत लंबे समय से राज्य सहित देश की मीडिया के जरिए सुर्खियों में बनी हुई है. लेकिन गत रोज नवनीत राणा ने जिस तरह से एमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी के गढ हैदराबाद में जाकर असदउद्दीन ओवैसी सहित उनके भाई विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को सीधे तौर पर ललकारा. उससे नवनीत राणा इस समय अनायास ही सुर्खियों में छा गई है. कई वर्ष पहले एमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा 15 मिनट के लिए पुलिस हटा देने को लेकर दिये गये बयान का जवाब हैदराबाद में आयोजित प्रचार सभा में देते हुए सांसद नवनीत राणा ने 15 सेकंड के भीतर ही ओवैसी भाईयों से निपट लेने की चेतावनी दी. जिसके चलते अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा कई वर्ष पहले दिये गये बयान की एक बार फिर यादे ताजा हो गई है. साथ ही साथ अब नवनीत राणा द्वारा दिये गये बयान को लेकर चर्चा छिडने के साथ ही चुनावी माहौल के बीच हिंदू-मुस्लिम मुद्दा गरमा गया है. ऐसे में नवनीत राणा की इस ‘टाइमिंग’ को देखते हुए सवाल पूछा जा रहा है कि, क्या यह वाकई नवनीत राणा का अपना बयान था, या फिर उन्हें किसी रणनीति के तहत भाजपा द्वारा इस बयान की स्क्रीप्ट तैयार करके दी गई थी. जिसे नवनीत राणा ने हैदराबाद की चुनाव प्रचार सभा में उछाल दिया.
उल्लेखनीय है कि, नवनीत राणा की पहले से कोई राजनीतिक पुष्ठभूमि नहीं रही, बल्कि वे एक आम मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी और आगे चलकर अपनी पढाई लिखाई पूरी करने के साथ ही उन्होंने करियर के तौर पर फिल्म एवं मॉडलिंग के क्षेत्र को अपनाया. इस समय तक भी उनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था, लेकिन उनके जीवन में अचानक सबसे बडा मोड तब आया. जब उनका परिचय अपने एक परिवारिक मित्र के जरिए रवि राणा से हुआ, जो उस समय राजनीति में सक्रिय रहने के साथ ही विधायक भी निर्वाचित हो चुके थे. वर्ष 2012 में फिल्म इंडिस्ट्री की ग्लैमरस दुनिया को पीछे छोडकर नवनीत राणा ने विधायक रवि राणा से विवाह कर लिया और वे अमरावती आ गई. जहां पर उन्होंने विधायक रवि राणा के साथ युवा स्वाभिमान पार्टी के कामों में हिस्सा लेना शुरु कर दिया. देखते ही देखते नवनीत राणा अमरावती शहर सहित जिले में काफी चर्चित और लोकप्रीय हो गई. जिसके पश्चात उन्होंने अमरावती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लडने की ठानी. जिसके चलते उनकी लोकप्रियता व योग्यता को देखते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने उन्हें कांग्रेस राकांपा आघाडी की अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा. यद्यपि अपने जीवन के कुछ पहले राजनीतिक चुनाव में नवनीत राणा को हार का सामना करना पडा था. लेकिन वर्ष 2014 के उसी चुनाव में नवनीत राणा ने अपने तेवरों से यह साफ कर दिया था कि, वे इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं है तथा राजनीति के मैदान में बहोत लंबी पारी खेलने आयी है. साथ ही अपने पहले ही चुनाव में नवनीत राणा ने अपने प्रतिद्वंदी तथा तत्कालीन भाजपा सेना युती के प्रत्याशी आनंदराव अडसूड के खिलाफ जिस तरह से मोर्चा खोला था, उसे देखते हुए यह स्पष्ट हो गया था कि, नवनीत राणा किसी से भी सीधे तौर पर लडने भिडने का माद्दा रखती है. इस बात को नवनीत राणा ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उस समय सही साबित किया था. जब उन्होंने वर्ष 2022 के मार्च व अप्रैल माह में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोल दिया था तथा ठाकरे परिवार के निजी निवास मातोश्री बंगले पर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी.
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना द्वारा साथ चुनाव लडने तथा राज्य की जनता का जनादेश भी भाजपा सेना युति के पक्ष में रहने के बावजूद राकांपा नेता शरद पवार ने एक ऐसा खेल खेला था कि, पूरी बाजी ही पलट गई थी और राज्य में कांग्रेस, राकांपा व शिवसेना व समावेश रहने वाली महाविकास आघाडी का गठन होने के साथ ही अब तक प्रत्यक्ष राजनीति के दूर रहने वाले उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे. शरद पवार और उद्धव ठाकरे के अचानक बढे इस प्रभाव की वजह से महाराष्ट्र पर भाजपा की पकड काफी हद तक कमजोर साबित हो गई है और शरद पवार की रणनीति से कैसे निपटा जाये, इसका कोई समाधान भाजपा को सुझ ही नहीं रहा था. ऐसे में महाराष्ट्र में बैकफूट पर रहने वाली भाजपा को उद्धव ठाकरे, शरद पवार व संजय राउत की तिकडी से लडने-भिडने के लिए किसी योग्य व दमदार व्यक्ति की तलाश थी. उस समय तक कांग्रेस व राकांपा के ही समर्थन से संसद में निर्दलीय सांसद के तौर पर पहुंची नवनीत राणा ने पूरजोर तरीके से पीएम मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार का समर्थन करना शुरु कर दिया था और वे धीरे-धीरे राष्ट्रीय हितों से जुडे मुुद्दों को लेकर मुखर होने के साथ-साथ भाजपा विरोधी दलों व नेताओं पर सदन के भीतर व बाहर हमलावर भी होने लगी थी. जिसके चलते सांसद नवनीत राणा की धीरे-धीरे भाजपा के तमाम बडे नेताओं के साथ नजदीकी होने लगी. ऐसे में भाजपा के हाथ महाराष्ट्र में शिवसेना व उद्धव ठाकरे के खिलाफ हमलावर होने के लिए नवनीत राणा के तौर पर एक बेहद शानदार व कारगर हथियार लग गया था.
इसी बीच कोविड काल के दौरान व पश्चात महाराष्ट्र की जनता की दुरावस्था के लिए उद्धव ठाकरे की सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार बताते हुए नवनीत राणा ने ठाकरे के निवास के समक्ष अपने समर्थकों सहित हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी. जिसके लिए वे अपने पति रवि राणा के साथ मुंबई पहुंच भी गई थी. लेकिन तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने उन्हें राजद्रोह के मामले में नामजद करते हुए 14 दिनों के लिए जेल में डाल दिया था. उद्धव ठाकरे का यह दांव भी एक तरह से नवनीत राणा के ही पक्ष में गया, क्योंकि इससे उद्धव ठाकरे की जबर्दस्त किरकिरी हुई थी और नवनीत राणा देखते ही देखते राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियों में छाने के साथ ही भाजपा नेताओं की नजरों में भी चढ गई थी. इसी के बाद अगले दो माह के भीतर उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली महाविकास आघाडी का पतन होने के साथ-साथ शिवसेना सहित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दोफोड हो गई. जिसका कुछ हद तक श्रेय नवनीत राणा द्वारा इससे पहले अप्रैल माह में उद्धव ठाकरे को घेरे जाने को दिया गया.
यहीं वजह है कि, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही यह संकेत दे दिये थे कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा अपने कमल चुनावी चिन्ह पर चुनाव लड सकती है और पार्टी द्वारा नवनीत राणा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. बावनकुले द्वारा कई माह पहले की गई यह घोषणा आगे चलकर पूरी तरह से सहीं भी साबित हुई और अमरावती संसदीय क्षेत्र में विगत दिनों हुए लोकसभा चुनाव नवनीत राणा ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लडा. जिसके लिए भाजपा द्वारा नवनीत राणा के खिलाफ जाति वैधता प्रमाणपत्र को लेकर चल रहे मामले को ही एक तरह से क्लीयर करवाया गया.
ध्यान देने योग्य बात यह है कि, चुनाव से ठीक पहलेे ऐन नामांकन प्रक्रिया के समय भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश करने वाली नवनीत राणा ने अपने खुदके चुनाव प्रचार में अपनी ताकत को झोंकी है. साथ ही उनके चुनाव प्रचार हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी अमरावती आये. वहीं चुनाव प्रचार निपटते ही महज दो दिन अमरावती में बिताने के बाद नवनीत राणा तुरंत ही मोदी व शाह के गृहराज्य गुजरात में चुनाव प्रचार करने हेतु रवाना हो गई. जहां पर उनकी एक तरह से भाजपा के स्टार प्रचारक के तौर पर जमीन तैयार करने के साथ ही उन्हें ओवैसी का गढ रहने वाले हैदराबाद भेज दिया गया. जहां पर भाजपा प्रत्याशी माधवी लता के लिए 10 किमी लंबी प्रचार रैली में हिस्सा लेने के साथ ही नवनीत राणा ने एक सभागार में आयोजित प्रचार सभा व बैठक को भी संबोधित किया और इसी प्रचार सभा में नवनीत राणा ने 15 सेकंड वाला बयान दिया. ऐसे में इस बयान की टाइमिंग को देखते हुए माना जा सकता है कि, या तो भाजपा द्वारा नवनीत राणा को स्क्रीप्ट तैयार करके दी जा रही है, या फिर नवनीत राणा खुद राजनीतिक तौर पर इस कदर परिपक्व हो गई है कि, कब कौनसा मुद्दा कहां पर उठाना है. इस बात को वे अच्छे से समझने लगी है.
गौरतलब है कि, इससे पहले भी नवनीत राणा ने अमरावती में रहते हुए राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के से जुडे कई मुद्दों को लेकर अपने विचार बडी बेबाकी के साथ सामने रखे. साथ ही ऐसे तमाम छोटे-बडे मुद्दों को लेकर उन्होंने अपने विचारों को छोटे-छोटे वीडियों के जरिए स्थानीय मीडिया सहित सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंचाया. ऐसे में माना जा रहा है कि, अब नवनीत राणा राजनीति के अगले पायदान पर पहुंचकर एक नई पारी शुरु करने की तैयारी में है. उल्लेखनीय है कि, नवनीत राणा को राजनीति में आये हुए महज 10 वर्ष का समय ही बीता है और उन्हें सांसद निर्वाचित हुए केवल 5 वर्ष ही हुए है. इतने कम समय में ही नवनीत राणा ने राजनीति के क्षेत्र में अपना एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जहां तक पहुंचने के लिए किसी भी अन्य व्यक्ति को कई दशकों तक लगातार प्रयास में जुटेे रहना पडता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, बडी तेजी के साथ सीढी दर सीढी आगे बढ रही नवनीत राणा इस समय सफलता के यशोशिखर पर है और अब वे अपनी राजनीतिक परिपक्वता का परिचय भी दे रही है.