अमरावती

कोरोना की दवाई चाहिए क्या, लाखों के माल का क्या करना?

संभावित खतरे को देखते हुए औषध भंडार में भरपूर दवाई

* दो से तीन माह बाद दवाई होगी एक्सपायर
अमरावती/ दि.18 – कोरोना का प्रादुर्भाव होने पर पूर्व तैयारी के रुप में स्वास्थ्य विभाग के पास कोरोना के उपचार के लिए लगने वाली सभी दवाई तैयार है, लेकिन वर्तमान में जिले में कोई भी कोरोना मरीज नहीं रहने से यह दवाई अस्पताल में वैसी ही पडी है. पिछले एक साल से मरीजों की संख्या कम होने से लाखों रुपयों की दवाई दो से तीन माह में एक्सपायर होने की स्थिति फिलहाल निर्माण हो गई है.
जिले में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में मरीजों की संख्या काफी थी. दूसरी लहर में तो रेमडेसिवीर इंजेक्शन मिलने के लिए मरीजों के रिश्तेदार घंटों तक कतार में खडे दिखाई दिये थे. पश्चात अधिकांश नागरिकों का कोरोना टीकाकरण पूर्ण होने से इस संक्रमण की तीव्रता दिनोंदिन कम होती गई. फिलहाल जिले में कोरोना मरीज की संख्या शून्य पर पहुंच गई है. इस कारण जिला सामान्य अस्पताल के औषध भंडार में कोरोना के लिए आवश्यक रही दवाई वैसी ही पडी है. दवाई खराब होने की अवधि निश्चित रहती है. इस कारण जो दवाई एक्सप्रायर होते आयी है, उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के ऑनलाइन यंत्रणा पर दी जाती है और पश्चात राज्य में जहां आवश्यकता है, वहां दी जाती है. कोरोना की कुछ दवाई अन्य मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. म्यूकरमायकोसिस के लिए दिये जाने वाले इंजेक्शन अन्य मरीजों के लिए इस्तेमाल किये जाते है.

किस दवाई का माल भंडार में जमा?
जिला सामान्य अस्पताल के औषध भंडार में मोलुनिपिरावीर आयव्हेरमेक्टिन टेैबलेट अ‍ॅन्फोटैरिसिन, एपीएस, रेमडेसिवीर जैसी कोरोना में उपयोगी दवाई का माल जैसे थे अवस्था में पडा है. इसमें कुछ दवाई का इस्तेमाल अन्य बीमारी के मरीजों के लिए होता है. औषध भंडार में पडी दवाई आईसीयू के मरीजों के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली अधिक है, ऐसा कहा जाता है. इसमें रेमडेसिवीर भी भारी मात्रा में पडी है.

स्वास्थ्य यंत्रणा सुसज्ज
कोरोना के संभावित खतरे पर नियंत्रण रखने के लिए जिले की संपूर्ण स्वास्थ्य यंत्रणा सुसज्ज है. जिसके लिए दवाई की भी तैयारी है. फिलहाल मरीज न रहने से कुछ दवाई एक्सपायर होने की स्थिति में है. इस कारण यह दवाई एक्सपायर होने के पूर्व जिन मरीजों को इसकी आवश्यकता है, उसके मांग के मुताबिक उसे संबंधित अस्पताल में भेजा जा रहा है.
– डॉ. दिलीप सौंदले, जिला शल्यचिकित्सक

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