किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पडता, कुछ जायेंगे, तो कुछ आयेंगे भी
भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर का कथन
* चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में आवाजाही को बताया बेहद सामान्य बात
* भाग-2 (अंतिम किश्त)
अमरावती/दि.24– चुनाव से पहले कई पदाधिकारी, कार्यकर्ता व चुनाव लडने के इच्छूक एक पार्टी छोडकर किसी अन्य पार्टी में चले जाते है और बाद में अपना मतलब निकल जाने पर दुबारा दल-बदल भी करते है. इसमें नया कुछ नहीं है. सभी पार्टियोें में ऐसे ‘आयाराम-गयाराम’ बहुत सारे होते है. जिनके आने से कोई बहुत बडा फायदा नहीं होता और उनके जाने से कोई खास नुकसान भी नहीं होता. क्योेंकि पार्टी हकीकत में उन लोगों के दम पर चलती है, जो सैध्दांतिक तौर पर पार्टी के साथ जुडे रहते है और पूरी निष्ठा के साथ समर्पित भाव से पार्टी का काम करते है. ऐसे समर्पित व निष्ठावान लोगों की भाजपा में कोई कमी नहीं है. अत: बदलते मौसम की तरह आने-जाने वाले लोगों से हमें कोई खास फर्क नहीं पडनेवाला. इस आशय का प्रतिपादन भाजपा के अमरावती शहराध्यक्ष किरण पातुरकर द्वारा किया गया.
बता दें कि, अमरावती मनपा के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए दैनिक अमरावती मंडल द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों के शहराध्यक्षों के साक्षात्कार लेकर उनकी भूमिका व रणनीति को जाना जा रहा है. इसी के तहत भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर के साक्षात्कार का पहला भाग कल प्रकाशित किया गया था और आज उनके साक्षात्कार का दूसरा व अंतिम भाग प्रकाशित किया जा रहा है. कल दैनिक अमरावती मंडल के साथ मनपा के आगामी चुनाव के मद्देनजर पूछे गये विभिन्न सवालों के जवाब में भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने उपरोक्त प्रतिपादन किया था. जब उनसे विगत दिनों एक बडे नेता के भाजपा छोडकर कांग्रेस में चले जाने और अब उन नेताजी के कई समर्थकों द्वारा पार्टी छोडे जाने की संभावना को लेकर सवाल पूछा गया था. जिसके जवाब में किरण पातुरकर ने साफ तौर पर स्वीकार किया कि, पार्टियों में लोगोें का आना-जाना चलता रहता है. अगर कुछ लोग पार्टी छोडकर जायेंगे, तो आनेवाले समय में कुछ नये लोग पार्टी में आयेंगे भी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, इस समय अन्य कई दलों के कुछ पार्षद व पदाधिकारी भाजपा में आने के इच्छूक है और लगातार पार्टी पदाधिकारियों से संपर्क बनाये हुए है.
* जो कल ‘गोल्डन गैंग’ के खिलाफ थे, आज वही गैंग के साथ हैं
इस बातचीत में भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, मनपा के पिछले आम चुनाव से पहले मनपा में कांग्रेस की सत्ता थी और उस वक्त कांग्रेस में भ्रष्टाचार का जबर्दस्त बोलबाला था. साथ ही उस समय कांग्रेस से भाजपा में आये एक बडे नेता ने कांग्रेस पार्षदों के एक दल को ‘गोल्डन गैंग’ का नाम देते हुए मनपा में चल रहे भ्रष्टाचारों के खिलाफ मोर्चा खोला था तथा शहरवासियों से भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी. मजे की बात यह है कि, भाजपा प्रत्याशी के तौर पर वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद वे नेताजी भाजपा छोडकर कांग्रेस में वापिस चले गये है और इन दिनों ‘गोल्डन गैंग’ का हिस्सा रहनेवाले नगरसेवकों के साथ भी उनका उठना-बैठना है और अब वे मनपा चुनाव में कांग्रेस को जिताने की अपील कर रहे है. यह तो सीधे-सीधे सिध्दांतहीन और मौकापरस्त राजनीति है. इसी विषयी को लेकर किरण पातुरकर ने प्रतिप्रश्न किया कि, यदि वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव वे नेताजी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत जाते, तो क्या उसके बाद भी वर्ष 2020 में उनकी अंतरआत्मा जाग उठी और वे भाजपा छोडकर कांग्रेस में जाते? इस सवाल का खुद ही जवाब देते हुए किरण पातुरकर ने यह भी कहा कि, तब ऐसा बिल्कुल नहीं होता, चूंकि गठ्ठा पध्दति से पडनेवाले वोटोें के चलते हार जाने के बाद उन नेताजी ने वोटों के नफे-नुकसान का गणित लगाया. इसी वजह से दुबारा उसी पार्टी में वापिस जाने का फैसला किया. जिस पार्टी ने कभी उन्हें दुध में पडी मख्खी की तरह निकालकर बाहर फेंक दिया था. ऐसे समय भाजपा ने उन्हें राजनीतिक अज्ञातवास से निकालकर मुख्यधारा में लाया, जबकि हकीकत यह है कि, उस समय महाराष्ट्र सहित समूचे देश में भाजपा की जबर्दस्त लहर थी और यदि पार्टी किसी सामान्य से कार्यकर्ता को भी टिकट देती, तो वह कार्यकर्ता भी विधायक पद का चुनाव जीत जाता.
* विपक्ष के पास न मुद्दे बचे, न लोग
विगत कुछ आमसभाओं के हंगामे की भेंट चढ जाने और सत्ता पक्ष द्वारा आमसभा के कामकाज को बीच में ही लपेटकर स्थगित कर दिये जाने की ओर ध्यान दिलाये जाने पर भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, हमने शहर के विकास से संबंधित मसलों को लेकर कभी मुंह नहीं मोडा, बल्कि हम हमेशा उन मुद्दों को लेकर चर्चा करने हेतु तैयार रहे. किंतु विपक्ष हमेशा केवल हंगामा मचाने की मानसिकता से भरा रहा. जबकि हकीकत में विपक्ष ने विकास के मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष के खिलाफ मुखर होना चाहिए था. परंतु यहां सत्ता पक्ष विकास को लेकर समर्पित था. वहीं विपक्ष द्वारा केवल अपने राजनीतिक द्वेष के चलते हर बात में सत्ता पक्ष का विरोध किया जा रहा था. जिससे कई आमसभाएं बेवजह ही व्यर्थ चली गई. इसके साथ ही एक अन्य सवाल के जवाब में भाजपा शहराध्यक्ष पातुरकर ने यह भी कहा कि, इस समय विपक्ष घोर हताशा का शिकार है. क्योंकि उनके पास न तो शहर के विकास को लेकर कोई मुद्दे है और न ही चुनाव जीतने व लडने लायक प्रत्याशी ही है. आज स्थिति यह है कि, कांग्रेस के कुछ नेता व पदाधिकारी हमारे लोगों से फोन पर संपर्क करते हुए उन्हें कांग्रेस में आने हेतु मना रहे है. ऐसा करनेवालों में मुख्य रूप से वही सबसे आगे है, जो पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा छोडकर कांग्रेस में गये. साथ ही मनपा में कांग्रेस व विपक्ष का प्रमुख चेहरा रहनेवाले दो लोग भी इस काम में काफी आगे है. जिसकी वजह से हो सकता है कि, वर्ष 2014 से 2017 के दौरान अपने नेता के पीछे-पीछे भाजपा में आये कुछ लोग अब अपने नेता के पीछे-पीछे वापिस भी चले गये. लेकिन इससे हमें कोई फर्क नहीं पडनेवाला, क्योेंकि इस समय विपक्षी दलों के कई पार्षद व पदाधिकारी स्वयंस्फूर्त रूप से भाजपा में आने के लिए तैयार बैठे है. जिसकी वजह से हिसाब-किताब बराबर हो जायेगा.
* हम कभी शिवप्रतिमा के खिलाफ नहीं थे, पर नियमों का पालन होना जरूरी और विवाद को टाला जा सकता था
विगत जनवरी माह से अमरावती शहर में राजापेठ रेलवे उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतीमा स्थापित करने को लेकर विवाद एवं तनाव की स्थिति बनी रही. खुद मनपा प्रशासन ने राजापेठ रेलवे उडानपुल पर लगाये गये छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले को हटाया और अब मनपा के सत्ता पक्ष ने ही इस प्रतीमा को स्थापित करने के प्रस्ताव को पारित भी किया. इस विरोधाभास की ओर ध्यान दिलाये जाने पर भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, भाजपा कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज के किसी स्मारक को बनाये जाने के खिलाफ नहीं रही, बल्कि खुद भाजपा सरकार के कार्यकाल दौरान मुंबई के निकट अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्य-दिव्य स्मारक बनाये जाने का काम शुरू हुआ, जो आज महाविकास आघाडी की सरकार द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. उसी तर्ज पर हमने छत्री तालाब में भी महाराष्ट्र के आराध्य दैवत छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रतिरूप स्मारक बनाने का निर्णय लिया था. जिसके प्रस्ताव को मनपा की पिछली आमसभा में मंजूरी दी गई. जहां तक राजापेठ रेलवे उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला स्थापित करने का मसला है, तो हमारा पहले भी यहीं कहना था और अब भी यहीं कहना है कि, यदि यह नियमानुसार सही है और इसके लिए अनुमति मिलती है, तो निश्चित रूप से राजापेठ रेलवे उडानपुल पर छत्रपती शिवाजी महाराज के साथ-साथ धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज का पुतला भी लगाया जाना चाहिए. पातुरकर ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि, खुद भाजपा ने ही मनपा की आमसभा में राजापेठ रेलवे उडानपुल को धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज उडानपुल नाम देने का प्रस्ताव मंजुर किया है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, विगत 11 व 12 जनवरी को जब युवा स्वाभिमान पार्टी द्वारा अकस्मात ही बिना अनुमति के राजापेठ रेलवे उडानपुल पर पुतला स्थापित किया गया था, तब भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दिशा-निर्देश पर पार्टी की कोअर कमेटी ने मनपा पदाधिकारियों को जनवरी माह में होनेवाली आमसभा में इससे संबंधीत प्रस्ताव सदन के पटल पर रखने और इस पर चर्चा करने हेतु कहा था. किंतु दुर्भाग्यवश मनपा पदाधिकारियों द्वारा पिछली आमसभा में यह प्रस्ताव चर्चा हेतु लाया ही नहीं गया. जिसकी वजह से आगे कुछ अप्रिय वारदातें हुई और निगमायुक्त आष्टीकर को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पडा.
* निश्चित रूप से ‘उन’ लोगों पर कार्रवाई होगी
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कोअर कमेटी द्वारा निर्देश दिये जाने के बावजूद मनपा के सभागृह नेता व पदाधिकारियों द्वारा मनपा की आमसभा में पुतले से संबंधित प्रस्ताव पिछली आमसभा में रखने को लेकर अनदेखी की गई. जिसका साफ मतलब है कि, पार्टी के मनपा पदाधिकारियों द्वारा पार्टी की ओर से मिलनेवाले निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है और मनमानी की जा रही है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर पातुरकर ने कहा कि, भाजपा में राष्ट्रीय स्तर से लेकर शहर व ग्रामीण स्तर तक अध्यक्ष का फैसला ही सर्वोपरी होता है और इसकी अनदेखी व उल्लंघन करने पर संबंधितों के खिलाफ अनुशासन भंग की कार्रवाई भी होती है. ऐसे में फिलहाल इस बात की जांच की जा रही है कि, जनवरी माह की आमसभा में यह प्रस्ताव चर्चा हेतु क्यों नहीं रखा गया और जांच पूरी होने के बाद इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर निश्चित रूप से पार्टी कार्रवाई करेगी.
* आयुक्त को बेवजह बनाया गया निशाना
राजापेठ रेलवे उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला स्थापित किये जाने और बाद में उसे वहां से हटाये जाने से संबंधित मामले को लेकर की गई बातचीत में भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, पुतला हटाये जाने की कार्रवाई से मनपा के सत्ता पक्ष यानी भाजपा का कोई लेना-देना नहीं था. बल्कि यह कार्रवाई राज्य सरकार और एक मंत्री द्वारा दिये गये निर्देश के बाद निगमायुक्त आष्टीकर द्वारा की गई थी. इसमें आयुक्त आष्टीकर की भी कोई गलती नहीं थी. चूंकि आयुक्त होने के नाते उन्हें सरकार की ओर से मिले आदेशों पर अमल करना ही था. अत: उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पूरी की. ऐसे में आयुक्त आष्टीकर पर स्याही फेंकने और उन पर हमला करने का कोई औचित्य नहीं था. बल्कि यदि ऐसा करना ही था, तो उन लोगोें के साथ करना था, जिन्होंने रातोंरात पुतला हटाने की कार्रवाई करने को लेकर आदेश जारी किया था.
* फिलहाल हमारी किसी से कोई युती नहीं, अपने दम पर लडेंगे चुनाव
मनपा के आगामी चुनाव में भाजपा और युवा स्वाभिमान पार्टी का गठबंधन रहने की चर्चाएं काफी तेज है. इसे लेकर सवाल पूछे जाने पर भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, फिलहाल यह सारी खबरें मीडिया द्वारा चलायी जा रही है. जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. हकीकत यह है कि, इस समय तक भाजपा द्वारा किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन करने को लेकर अधिकृत तौर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है और हम अपने दम पर चुनाव लडने की तैयारियां कर रहे है. जिसके संदर्भ में तीन स्तरीय सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और एक सर्वे भी पूरा कर लिया गया है. जिसकी रिपोर्ट अगले एक-दो दिनों में पार्टी की कोअर कमेटी और प्रदेश स्तरीय नेताओं के सामने रख दी जायेगी. इसके साथ ही इस समय मौजूदा पार्षदों के कामकाज को लेकर पार्टी द्वारा अपना दूसरा सर्वे भी शुरू कर दिया गया है. जिसके बाद तीसरे सर्वे की शुरूआत की जायेगी.
* अपने अध्यक्षीय कार्यकाल को लेकर हूं संतुष्ट
इस बातचीत के दौरान भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने यह भी कहा कि, अभी उन्हें भारतीय जनता पार्टी का शहराध्यक्ष बने हुए महज दो वर्ष ही हुए है. इस दौरान उन्होंने पार्टी के कई पुराने निष्ठावानों को पार्टी के साथ दोबारा जोडते हुए उन्हें सक्रिय किया. साथ ही नये सदस्यों को पार्टी के साथ जोडते हुए अधिकाधिक युवाओं तक पार्टी की पहुंच बनायी. इसके अलावा पहले जहां पार्टी में 29 आघाडियां व मोर्चे सक्रिय थे, वहीं उन्होंने विगत दो वर्ष के दौरान पार्टी में विविध 36 आघाडियों व मोर्चों को सक्रिय किया. इस जरिये पूरे शहर में करीब 12 से 15 हजार पदाधिकारी व कार्यकर्ता आज सक्रिय तौर पर पार्टी के साथ जुडे हुए है. साथ ही इन दो वर्षों के दौरान मनपा में भी सत्ता पक्ष के तौर पर भाजपा पदाधिकारियों ने बेहतरीन काम किया है. अत: वे अपने कार्यकाल और कामकाज को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट है.