धामनगांव रेलवे/दि.10– गर्भवती होते ही माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना, समय-समय पर जांच करने पर बालक की व्याधि का पता चल समय पर उपचार से वह दूर की जा सकती है. साथ ही माता सकुशल अपने बच्चे को जन्म दे सकती है. अब अनेक स्थानों पर बच्चे की व्याधि जांच के लिए एनआयपीटी जांच की जाती हैं. इससे बालक की व्याधि का निदान कर सकते हैं.
* कौन करें एनआयपीटी जांच?
जिस माता के घर में अनुवांशिक बीमारी है अथवा इसके पूर्व के बच्चे में दिव्यांग का आई हो ऐसे माता के लिए यह जांच की जाती है. डॉक्टरों के सलाह के मुताबिक कुछ माताओं के लिए यह जांच की जाती हैं.
* इस बीमारी का खतरा टल सकता हैं
बच्चे के गुणसूत्रों में कोई व्याधि हैं क्या, हृदय बाबत क्या बीमारी हैं, किडनी तथा अन्ननलिका की बीमारी बाबत भी जानकारी मिलती हैं.
* रिपोर्ट 99 प्रतिशत अचूक
प्रगत तकनीकी जांच से एनआयपीटी की जांच माता के रक्त नमुने द्वारा की जाती है. इसकी रिपोर्ट 99 प्रतिशत अचूक रहती हैं. इस कारण बीमारी टालने में सहायता होती हैं.
* पहले तीन माह में जांच आवश्यक
एनआयपीटी की जांच साधारण रुप से तीन से चार माह में की जाती है. इसके जरिए बालक विकलांग है अथवा कोई व्याधि रही अथवा बच्चे में कुछ गुणसूत्र दोष रहा तो वह पता चलता हैं.
* एनआयपीटी जांच सभी को आवश्यक नहीं
एनआयपीटी जांच सभी को करने की आवश्यकता नहीं हैं. नवजात पेट में रहते सोनोग्राफी में कोई व्याधि दिखाई देने पर तीन से पांच माह तक एनआयपीटी जांच करने की सलाह दी जाती हैं. इससे अनुवांशिक बीमारी बाबत भी जानकारी होती है. जिससे हम बच्चे की व्याधि का समय पर निदान कर सकते हैं. लेकिन यह जांच काफी महंगी हैं.
– डॉ. प्रज्ञा पाटिल, स्त्रीरोग तज्ञ.