अमरावतीमहाराष्ट्र

पोर्क्युपैंन के कांटे से श्वान घायल

अर्जुन नगर की घटना

* टीम वसा ने रेस्क्यू कर श्वान की जान बचाई
अमरावती/दि.28– हाल ही में यह घटना अर्जुन नगर के टेलीफोन कॉलोनी में घटी जहां जंगली पशु साही को आवारा श्वानो के झुंड ने पकड़ने की कोशिश की. जिसमे में एक आवारा श्वान अच्छा खासा घायल हुवा है. हाल के दिनों में स्थानीय नागरिकों की जानकारी के आधार पर यह बात सामने आई है कि तेलाई माता मंदिर, देशमुख लॉन, टेलीफोन कॉलोनी, राहाटगाव रिंग रोड इलाके में कई दिनों से जंगली पशू साही खुलेआम घूम रहे हैं. कई लोगों को यह साही रात के समय कॉलोनी में घूमती हुई दिखाई दि है.
गुरुवार रात वह अर्जुन नगर के टेलीफोन कॉलोनी इलाके में खुलेआम घूम रही थी, तभी इलाके के आवारा श्वानो ने उस पर हमला कर दिया. इस हमले में वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगीं. यह दृश्य क्षेत्र के नागरिकों ने अपनी आंखों से देखा. हमलावर श्वानो में से एक को साही के काँटे लगे. शुक्रवार सुबह वैभव श्रीराव ने वसा संस्था के हेल्पलाइन नंबर पर घटना की विस्तृत जानकारी दी और श्वान के रेस्क्यू के लिए टीम वसा को बुलाया. निमल रेस्क्यूअर सिद्धांत मते और आदेश सावरकर ने मौके पर जाकर श्वान को रेस्क्यू किया. जांच करने पर पता चला कि पोर्क्यूपैन का 6 इंच का कांटा उसकी बायीं आंख के नीचे गाल में धंसा हुआ था. वसा संस्था के डॉ. सुमित वैद्य के मार्गदर्शन में टीम वसा ने श्वान के गाल में फंसे कांटे को बड़ी मशक्कत से निकाला. इसके बाद श्वान को उचित चिकित्सा उपचार दिया गया. उपचार के बाद उक्त श्वान को वापस उसी स्थान पर छोड़ दिया गया.
* पॉर्क्युपैन इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है
अमरावती शहर के आसपास के जंगल में पेड़ों की कटाई के कारण इन वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास प्रभावित हुआ है. परिणामस्वरूप, उन्होंने अपना रुख मानव बस्तियों की ओर मोड़ दिया है. अमरावती के नागरिकों को अब इन वन्य जीवों के साथ सहजीवन जीना सीखना होगा. पोर्क्यूपैन पूर्णतया शाकाहारी जानवर है. वह इंसानों पर हमला नहीं करता, बल्कि वह वाहन, उनकी हेडलाइट्स, शोर, आवारा श्वान ओर इन्सानो से डरता है. शहरो मे जहां फलों के जूस के ठेले खड़े होते हैं और जहां खुले में सब्जी फेंके जाते हैं, वहां रात के समय स्याल घूमते नजर आते हैं. बाकी टाईम वह नाले में झाडियों मे छुपी रहते है. नागरिकों को घबराना नहीं चाहिए. पोर्क्युपैन को पकड़ने, घायल करने या मारने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उसे परेशान करने या उसका शिकार करने पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1962 के तहत कारावास और जुर्माना हो सकता है.
– निखिल फुटाने, उपाध्यक्ष, वसा संस्था अमरावती.

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