अमरावती

दीपावली पर आती है कुत्तों की शामत

पटाखों की वजह से होते है घायल

  • धमाकों की आवाज से घबराकर भागते है

अमरावती प्रतिनिधि/दि.११ – दीपावली के जल्लोष में चहुंओर जमकर पटाखे फोडे जाते है और सभी छोटे-बडे इस आतिशबाजी का जमकर आनंद भी लेते है, लेकिन इन पटाखों की वजह से हर साल कई कुत्ते जख्मी हो जाते है, क्योकि जबर्दस्त श्रवणशक्ति रहनेवाले कुत्ते पटाखे की वजह से होनेवाले धमाके की आवाज से घबराकर अनियंत्रित होकर इधर से उधर भागते है. उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष दीपावली में लक्ष्मीपूजन के बाद शाम ७ से रात १२ बजे के दौरान सबसे अधिक पटाखे फोडे जाते है. इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सहकार एवं प्रशासन द्वारा किये गये आवाहन के चलते यद्यपि दीपावली पर होनेवाली आतिशबाजी का प्रमाण कुछ कम रहेगा, लेकिन आतिशबाजी होना तय है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, पटाखे फोडते हुए आतिशबाजी का मजा लेनेवाले लोगबाग अपने आसपास रहनेवाले मूक व निरीह पशु-पक्षियों का भी ध्यान रखें. साथ ही सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए भी यह जरूरी है कि, वे आतिशबाजी की वजह से मुसिबत में फंसे पशु-पक्षियों की सहायता करने हेतु आगे आये. उल्लेखनीय है कि, पटाखोें की वजह से विशेष तौर पर कुत्तों को काफी अधिक समस्याओं का सामना करना पडता है. अचानक तेज धमाके की आवाज होने के बाद कुत्ते घबराकर भागने लगते है, और इसी चक्कर में सडकों से गुजरनेवाले वाहनों से टकराकर घायल होते है. साथ ही कई कुत्ते पटाखों के संपर्क में आने के बाद भी अचानक होनेवाले धमाके की वजह से घायल हो जाते है. कालांतर में उनके घांव सडने लगते है, जो उनकी मौत का कारण भी बनते है. इसके अलावा आतिशबाजी के बाद प्रयोग में लाये जा चुके पटाखों के कचरे को कुडे के ढेर पर लाकर डाल दिया जाता है. जहां पर घरों का झूठा व बासी खाना भी फेंका जाता है. ऐसे में इस खाने को ढूंढते व खाते समय कुत्तों के पेट में जली हुई बारूद के कण चले जाते है. इसकी वजह से भी कई कुत्तों की मौत होती है. इन तमाम बातोें के मद्देनजर सभी लोगोें को चाहिए कि, वे प्राणीमात्र पर दया करते हुए आतिशबाजी के समय अपने आसपास के पशु-पक्षियों का ख्याल रखें.

  • पालतु कुत्तों के गले में पट्टे के साथ ही पता लिखना जरूरी

आतिशबाजी की वजह से जहां एक ओर गली-कुचों में आवारा घुमनेवाले कुत्तों को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पडता है. वहीं दूसरी ओर घरों में पाले जानेवाले कुत्ते भी इस तरह की तकलीफों से अछूते नहीं रहते और कई बार आतिशबाजी से घबराकर अपना घर छोडकर भाग निकलते है. जिसकी वजह से उनके भटक जाने व घायल होने का खतरा होता है. ऐसे में कुत्ता पालने का शौक रखनेवाले लोगों को चाहिए कि, वे अव्वल तो अपने घर में पाले गये कुत्तोें को दीपावली पर्व में आतिशबाजीवाले समय घर के भीतर किसी जगह पर सुरक्षित रखे. साथ ही ऐहतियात के तौर पर कुत्तों के गले में रहनेवाले पट्टे पर बतौर मालिक अपना नाम व पता लिखी चिठ्ठी लगा दें, ताकि यदि उनका कुत्ता आतिशबाजी से घबराकर घर से भाग जाता है, और यदि किसी को मिलता है तो उसे सहीसलामत घर लाकर छोडा जाये.

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