अमरावती

घरेलू बीजों से होगी डेढ करोड की बचत

इस बार भी 2.81 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज आरक्षित

अमरावती/दि.4- स्वपराग सिंचित फसल रहने के चलते और बुआई हेतु सरल वाण का बीज रहने के चलते प्रतिवर्ष सोयाबीन की बुआई हेतु बीज बदलने की जरूरत नहीं पडती. बल्कि इस हेतु पुरानी फसल में से बीज के तौर पर संग्रहित किये गये दानों का ही प्रयोग किया जा सकता है. ऐसे में किसानों द्वारा प्रतिवर्ष अपनी उपज में से बेहतरीन किस्म के दानों को बीज के तौर पर प्रयोेग में लाया जाता है और घरेलू बीजों का प्रयोग किये जाने के चलते इस बार कम से कम डेढ करोड रूपयों की बचत हो सकेगी, ऐसा अनुमान कृषि विभाग द्वारा लगाया गया है. वहीं इस वर्ष भी सोयाबीन की बुआई हेतु 2.81 लाख क्विंटल बीज आरक्षित रखे गये है. साथ ही बीबीएफ पट्टापेर पध्दति से 15 हजार क्विंटल बीजों की बचत होने की संभावना है.
जानकारी के मुताबिक इस वर्ष खरीफ के सीझन में सोयाबीन के लिए 2.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का बुआई क्षेत्र प्रस्तावित है. इस समय सोयाबीन को काफी अच्छे दाम मिल रहे है और मौसम विभाग द्वारा इस बार बेहतरीन बारिश होने की संभावना भी जताई गई है. जिसके चलते सोयाबीन को लेकर सभी किसान बेहद आशान्वित है और इस वर्ष सोयाबीन के बुआई क्षेत्र में 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की वृध्दि होने का अनुमान है. ऐसे मेें प्रति हेक्टेयर 100 किलो के हिसाब से 2 लाख 65 हजार क्विंटल बीजों की जरूरत पडेगी. वहीं इस समय 2 लाख 81 हजार 399 क्विंटल बीज आरक्षित है. अत: इस वर्ष सोयाबीन बीजों की कोई किल्लत महसूस नहीं होगी. इस तरह का दावा विगत दिनों अमरावती दौरे पर आये राज्य के कृषि मंत्री दादा भुसे द्वारा भी किया गया था.
बता दें कि, गत वर्ष सोयाबीन का बुआई क्षेत्र 2 लाख 62 हजार 884 हेक्टेयर था और सिफारिशों के मुताबिक 1 लाख 97 हजार 163 क्विंटल बीजों की जरूरत थी. जिसमें कृषि केंद्रों के द्वारा 1 लाख 9 हजार 183 क्विंटल बीजों की बिक्री हुई और बीजों को बदलने का प्रमाण 55 फीसद रहा. वहीं किसानों द्वारा 87 हजार 980 क्विंटल घरेलू बीजोें का प्रयोग किये जाने के चलते 37 करोड 39 लाख रूपयों की बचत हुई. साथ ही बीबीएफ पट्टापेर पध्दति से 15 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 1 हजार 991 क्विंटल बीजोें की बचत हुई. इसके अलावा बाजारभाव के अनुसार उत्पादन खर्च में 1.57 करोड रूपयों की कमी भी आयी.

* 70 फीसद उपज क्षमतावाले बीजों को आरक्षित रखें
इस संदर्भ में कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सोयाबीन का बाह्य आवरण बेहद नाजूक व पतला होता है. ऐसे में बुआई हेतु आरक्षित रखे जानेवाले सोयाबीन के दानों को बेहद संभालकर रखा जाना चाहिए. घरेलू पध्दति से उपज क्षमता की जांच करते हुए 70 फीसद उपज क्षमतावाले दानों को अलग से रखा जाना चाहिए. बीजों को प्लास्टिक के बोरोें में रखने की बजाय जूट से बने बोरों में रखा जाना चाहिए और बोरों की थप्पी कभी भी सात फीट से अधिक उंची नहीं होनी चाहिए.

* जिले में तहसीलनिहाय सोयाबीन का बुआई क्षेत्र व आरक्षित बीज
तहसील           बुआई क्षेत्र (हे.)   आरक्षित बीज (क्वि.)
अमरावती        34,252              32,500
अचलपुर          11,490              9,518
अंजनगांव        15,580              17,915
चांदूर बाजार     15,660              12,780
चांदूर रेल्वे        24,000              12,870
चिखलदरा        8,900                 2,272
तिवसा             17,380               20,100
धामणगांव       2,376                 35,040
धारणी             7,500                 2,481
दर्यापुर            12,690               22,195
नांदगांव          48,100               46,535
भातकुली        28,928               41,548
मोर्शी              14,000               14,850
वरूड               2,780                 460

 

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