पदवियों का गोदाम न बनाएं, सबसे पहले मानवता सिखाएं
34 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान

* कुलगुरू डॉ. आवलगांवकर का आवाहन
* रायसोनी विद्यापीठ का पांचवां दीक्षांत समारोह
अमरावती / दि. 29– मराठी भाषा विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. अविनाश आवलगांवकर ने कहा कि अच्छे मानव बनाने वैसी शिक्षा आवश्यक है. हमारे पास सभी शाखाओं के कोर्सेस है. किंतु मानव को मानवता सिखाने वाले कोर्सेस की कमी है. शिक्षा पदवियों का गोदाम न बने. मानवता सिखानेवाली शिक्षा की आज अधिक आवश्यकता है. वे रायसोनी विद्यापीठ के पांचवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. समारोह की अध्यक्षता सुनील रायसोनी ने की. जबकि रायपुर के एनआयटी के प्रमुख डॉ. एन. वी. रमन राव विशेष रूप से उपस्थित थे.
उसी प्रकार मंंच पर जीएच रायसोनी विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. विनायक देशपांडे, कुलसचिव डॉ. स्नेहिल जायसवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनायक डकरे, कम्प्यूटर विभाग के डीन डॉ. अमित गायकवाड, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के डीन डॉ. कपिल गुप्ता, होटल मैनेजमेंट डीन डॉ. महेन्द्र चिकटे, स्कूल ऑफ फार्मसी डीन डॉ. नरेंद्र चंद्रा, स्कूल ऑफ लॉ डीन डॉ. नित्यानंद पांडे, स्कूल ऑफ सायंस के डीन डॉ. शैलेश ठाकरे विराजमान थे.
1133 विद्यार्थियों को पदवी
विद्यापीठ अंतर्गत स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट , स्कूल ऑफ लॉ, स्कूल ऑफ फार्मसी और स्कूल ऑफ मैनेजमेंट आदि कोर्सेस में उपाधियां हासिल करनेवाले 1133 विद्यार्थियों को कुलगुरू डॉ. आवलगांवकर और एनआयटी रायपुर प्रमुख डॉ. रमन राव के हस्ते डिग्रीयां प्रदान की गई. 34 विद्यार्थियों ने मेरिट सूची में जगह बनाकर गोल्ड मेडल हासिल किए. 17 विद्यार्थियों को रजत पदक प्रदान किए गये. कुलगुरू डॉ. देशपांडे ने रायसोनी विद्यापीठ के कार्यक्रम व उपक्रमों का ब्यौरा रखा. अतिथियों का शाल श्रीफल, मुमेंटों और ग्रंथ भेंट देकर सत्कार किया गया. संचालन प्रा. अश्विनी राठी और नितिन भट ने किया. आभार प्रदर्शन कुल सचिव डॉ. जायसवाल ने किया. 41 संशोधकों को आचार्य की उपाधि से सम्मानित किया गया. देश के विभिन्न भागों के विद्यार्थियों का समावेश था.
* सदैव बडा सोचें- डॉ. राव
एनआयटी रायपुर के निदेशक डॉ. रमन राव ने विद्यार्थियों को सदैव बडा सोचने और विचार व्यापक रखने का आवाहन किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा के बाद सही मायनों में संघर्ष का प्रारंभ होता है. अपने लिए सुरक्षित मार्ग चुनने का यह संघर्ष होता है. बडा विचार कर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए. अपनी ज्ञान की प्यास को सदैव जागृत रखने का आवाहन भी उन्होंने किया. अध्यक्षीय संबोधन में सुनील रायसोनी ने कहा कि संघर्ष की राह पर निराश न होते हुए सफलता के नये मार्ग हमें तलाश करने होंगे. अभी हम आनेवाले कल के आदर्श नागरिक बन सकेंगे.