कम पटसंख्या की शालाओं को बचाकर विद्यार्थियों का नुकसान न होने दें
प्राथमिक शिक्षक समिति का वर्तमान व पूर्व विधायक व सांसदों को ज्ञापन

अमरावती /दि.3– महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति की तरफ से वर्तमान व पूर्व विधायक तथा सांसदों को 15 मार्च 2024 की संच मान्यता का शासन निर्णय रद्द करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. 3 मार्च से शुरु होने वाले बजट अधिवेशन में इस बाबत प्रश्न उपस्थित थे. राज्य की शाला और शिक्षक बचाने की भी मांग की गई.
शिक्षण अधिकार कानून 2009 की धारा 19 और 25 के मुताबिक कक्षा पहली से आठवीं के लिए विद्यार्थियों के प्रमाण में शिक्षक संख्या निश्चित की गई है. कक्षा 1 से 5 के लिए 60 विद्यार्थियों तक दो शिक्षक, 61 से 90 विद्यार्थियों के लिए तीन शिक्षक, 91 से 120 विद्यार्थियों के लिए चार शिक्षक की संरचना है. यदि किसी कारणों से किसी वर्ष 61 से कम पटसंख्या हुई. पश्चात 61 विद्यार्थी फिर होने पर शिक्षक का तीसरा पद मंजूर होता है. लेकिन वर्तमान के शासन निर्णय के मुताबिक अब 61 की बजाय 76 विद्यार्थी रहने पर ही फिर से तीसरा शिक्षक दिया जा सकेगा. कक्षा 6 वीं और 7 वीं की पटसंख्या 70 तक रहने पर दो स्नातक शिक्षक, 70 से अधिक रहने पर तीन स्नातक शिक्षक मंजूर होते है, साथ ही 6 वीं से 8 वीं की पटसंख्या 35 से अधिक रहने पर तीन स्नातक शिक्षक मंजूर होते है. लेकिन इस शासन निर्णय के मुताबिक 6 वीं से 7 वीं और 8 वीं की पटसंख्या 20 अथवा 20 से कम रहने पर शून्य शिक्षकों के पद मंजूर किये जाते है. राज्य के कसबे, पहाडी और बहुल क्षेत्र के छोटे-छोटे गांव में उच्च प्राथमिक कक्षा में अनेक स्थानों पर 20 अथवा 20 से कम पटसंख्या है. अन्य भी ग्रामीण क्षेत्र के परिवार का रोजगार और अन्य कारणों से स्थलांतर होने से अथवा अन्य कारणों से अनेक शालाओं में 20 अथवा 20 से कम पटसंख्या है, ऐसी शाला में नये संच मान्यता के मुताबिक शिक्षकों के कोई भी पद मंजूर नहीं रहे है. इस कारण संपूर्ण महाराष्ट्र में 20 हजार से अधिक प्राथमिक शिक्षक अतिरिक्त साबित हो रहे है. कम पटसंख्या की उच्च प्राथमिक शाला की कक्षा के लिए शिक्षकों के शून्य पद शेष रहने से इन शालाओं के विद्यार्थियों को कोई भी शिक्षक नहीं मिलेंगे, ऐसा कहते हुए ग्रामीण क्षेत्र की शैक्षणिक व्यवस्था बर्बाद करने वाला 15 मार्च 2024 का शासन निर्णय तत्काल रद्द होने के लिए विशेष रुप से ध्यान देकर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की शिक्षा बचाने और छोटे-छोटे गांव और बहुल क्षेत्र में रहने वाले गरीब, किसान, खेतिहर मजूदरों के बच्चों की शिक्षा बचाने के लिए प्रयास करने का अनुरोध महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति ने जनप्रतिनिधियों को सौंपे ज्ञापन में किया है, ऐसा प्रसिद्धि प्रमुख राजेश सावरकर ने बताया.