* इच्छुक भी हो रहे निराश
अमरावती/दि.24- डेढ साल से मनपा में प्रशासक राज जारी है. नगरसेवक भूतपूर्व हो गए हैं. नागरिक अपनी समस्याएं बताने यहां-वहां भटक रहे हैं. कुछ प्रभागों को छोड दें तो अधिकांश प्रभागों में पूर्व पार्षद दिखाई भी नहीं दे रहे. सत्ता पक्ष के ही अधिकांश पूर्व नगरसेवक निष्क्रिय हो चुके हैं. जिससे जानकार मान रहे है कि नागरिकों से दूरी पूर्व पार्षदों को आगामी चुनाव में भारी पड सकती है. स्थानीय निकाय के चुनाव पर अगले माह कोर्ट का फैसला आ सकता है. उपरांत चुनाव की घोषणा की संभावना है. हालांकि कुछ जानकार अभी भी कह रहे हैं कि निकाय चुनाव अब संसदीय चुनाव पश्चात ही होंगे.
जनता अपनी रोजमर्रा की समस्या को लेकर सीधे विधायक के दरबार में पहुंच रही है. चुनाव नहीं होने से पूर्व नगरसेवक भी नाराज हैं. वे फिल्ड से गायब हो गए हैं क्योंकि उन्हें पार्टी की उम्मीदवारी मिलने की संभावना कम दिखाई दे रही. नए इच्छुक उभरकर सामने आए हैं.
राज्य और केंद्र से विकास योजनाओं की घोषणाएं हो रही है. निधि भी प्राप्त हो रही. किंतु अमरावती के लोग गटर लाइन, स्ट्रीट लाइट और गढ्ढों से पटी सडक को लेकर दिक्कत झेल रहे हैं. मनपा चुनाव में देरी के कारण प्रशासन भी लगभग ध्यान नहीं दे रहा. सफाई का काम वैसे ही बरसों से ठेके पर चल रहा है. उसे लेकर काफी कोर्ट कचेहरी भी हुई. किंतु विशेष लाभ किसी भी पक्ष को नहीं हुआ. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.
मनपा चुनाव को ओबीसी आरक्षण के बाद प्रभाग रचना में उलझाकर छोड दिया गया है. अब कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जा रहा है. दूसरी तरफ विपक्ष सरकार पर चुनाव से डरने का आरोप लगा रहा है. ओबीसी आरक्षण पेंच में चुनाव फंसा है. चुनाव नहीं होने से मनपा में अधिकारियों का मनमाना राज चल रहा है.