शहर में चहूंओर दर्जनों तेंदूए, डेढ-दो साल में 4 तेंदूओं की हो चुकी हादसों में मौत
शहर के कई इलाकों में अनेकों बार देखे जा चुके है तेंदूए
* विद्यापीठ व विएमवि परिसर में अक्सर होता है तेंदूआ दर्शन
* पोहरा व मालखेड के जंगल तेंदूओं का बन चुके गढ
* छत्री व वडाली तालाब सहित इंदला तालाब तक 30 से 35 तेंदूए
* कुत्ते व सुअर के शिकार के तलाश में तेंदूए करते है शहर का रुख
* इससे पहले जिलाधीश निवास पर भी घुस चुका है तेंदूआ
अमरावती/दि.16 – विगत करीब दो माह से अमरावती शहर में तेंदूए को लेकर चर्चा चल रही है. जिसके तहत जहां एक ओर विदर्भ महाविद्यालय व पाठ्यपुस्तक मंडल परिसर में तेंदूआ देखा जा रहा है, जिसे अब तक लाख प्रयासों के बावजूद भी पकडा नहीं जा सका है. वहीं इसी दौरान छत्री तालाब के पास ही स्थित मंगलधाम कालोनी में भी दो शावकों के साथ एक मादा तेंदूआ को देखा गया है. जिनसे संबंधित फोटो व वीडियो सहित सीसीटीवी फूटेज इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए है. साथ ही आज सुबह 8 बजे के आसपास एसआरपीएफ कैम्प परिसर में एकता टेकडी के पास एक तेंदूआ मृत पाया गया. जिसकी मौत किसी अज्ञात तेज रफ्तार वाहन से टक्कर हो जाने के चलते हुई है. ऐसे में यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है कि, जब शहर में चारों ओर की रिहायशी बस्तियों में तेंदूएं दिखाई दे रहे है, तो आखिर शहर के आसपास स्थित जंगलों में निश्चित तौर पर कितने तेंदूए है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल ने वडाली क्षेत्र में रहने वाले पुलिस कर्मी व समाजसेवी शैलेंद्रसिंह ठाकुर से बात की, तो उन्होंने बताया कि, इस परिसर में करीब 30 से 35 तेंदूए रहने के साथ ही एक पट्टेदार बाघ भी है. जिसे उनके सहित वडाली परिसर में रहने वाले तथा पोहरा चिरोडी की ओर आना-जाना करने वाले कई लोग अब तक अनेकों बार देख चुके है. इन सभी वन्यजीवों का वडाली से छत्री तालाब के बीच जंगल क्षेत्र में मुक्त संचार रहता है और ज्यादातर वन्यजीव वडाली व छत्री तालाब से इंदला की ओर आना-जाना करते है. क्योंकि इंदला में एक बडा तालाब है. जहां पर सभी वन्यजीवों की पानी संबंधित जरुरतें पूरी होती है. इसके साथ ही यह वन्यजीव बडी तेजी के साथ रास्ता पार करते है और ऐसा करते समय अचानक ही किसी वाहन के सामने आकर हादसे का शिकार हो जाते है. शैलेंद्र ठाकुर के मुताबिक विगत डेढ-दो वर्ष के दौरान वाघामाता मंदिर और वैष्णवदेवी मंदिर के साथ ही मालखेड मार्ग पर हुए हादसों में 3 तेंदूए की मौत हो चुकी है. वहीं आज सुबह एसआरपीएफ कैम्प के पास अज्ञात वाहन द्वारा मारी गई टक्कर के चलते चौथे तेंदूए की मौत हुई है. इसके अलावा इसी एक वर्ष के दौरान तेजी से रास्ता पार कर रहे तेंदूए से एक दुपहिया वाहन चालक टकरा गया था. जिसमें तेंदूए सहित दुपहिया वाहन चालक को गंभीर चोटे आयी थी. हालांकि इस हादसे के चलते दोनों में से किसी की भी मौत नहीं हुई थी.
* सबसे पहले शैलेंद्र ठाकुर ही पहुंचे थे घटनास्थल पर
उल्लेखनीय है कि, शैलेंद्रसिंह ठाकुर ही सबसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने आज सुबह घटित हादसे के बाद मृत तेंदूए को सबसे पहले देखा था. जिस स्थान पर उक्त हादसा घटित हुआ, वहां से शैलेंद्र ठाकुर महज 100-150 मीटर की दूरी पर थे और हादसा होने के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंचे शैलेंद्र ठाकुर ने सबसे पहले ही वनविभाग को सडक हादसे में तेंदूए की मौत होने की जानकारी दी थी और पंचनामे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद खुद अपने हाथों मृत तेंदूए को उठाकर वनविभाग के वाहन में डाला था. इस बात का पता चलते ही दैनिक अमरावती मंडल ने वनविभाग के अधिकारियों सहित शैलेंद्र ठाकुर से भी संपर्क किया. जिनका वडाली से पोहरा के बीच अक्सर ही आना-जाना रहता है और वे अब तक सैकडों बार इस परिसर में दर्जनों तेंदूओं के साथ ही कुछ बार एक पट्टेदार बाघ को भी देख चुके है.
* रोजाना सुबह-शाम तेंदूआ दिखाई देना बेहद आम बात
शैलेंद्र ठाकुर के मुताबिक वडाली से आगे पोहरा तक रहने वाले जंगल क्षेत्र में लगभग रोजाना ही सुबह और शाम के वक्त तेंदूए दिखाई देना बेहद आम बात है. यह तेंदूए सडक पार करते समय काफी जल्दबाजी में रहते है और बीच सडक पर कभी नहीं रुकते, बल्कि सडक पार कर लेने के बाद सडक के किनारे रुककर आने-जाने वाले वाहनों को देखते है. ऐसे में कई बार इस रास्ते से होकर गुजरने वाले तेज रफ्तार वाहनों के सामने अचानक ही सडक पार करने वाला तेंदूआ आ जाने के चलते सडक हादसा घटित होने की घटनाएं होती है. ऐसी ही हादसों में अब तक 4 तेंदूओं की मौत हो चुकी है.
* सुअर और कुत्ते होते है आसान शिकार
शैलेंद्र ठाकुर के मुताबिक तेंदूओं की पानी संबंधित जरुरत तो जंगल में पूरी हो जाती है. लेकिन भोजन यानि शिकार की तलाश के लिए इन तेंदूओं द्वारा शहर का रुख किया जाता है. तेंदूओं के लिए सबसे आसान शिकार घरों के आंगण में बंधी बकरियां व कुत्तों सहित गलियों में घुमने वाले सुअर होते है. रात के समय जब बकरी, कुत्ते व सुअर गहरी नींद में सोये रहते है, तब तेंदूए पीछे से दबे पांव आकर अचानक ही उन पर हमला करते है और उनका शिकार करते हुए उन्हें खा जाते है. चूंकि जंगल में तेंदूए के लिए शिकार नहीं बचा है. ऐसे में इन दिनों जंगल से सटी रिहायशी बस्तियों में तेंदूएं बडे पैमाने पर शिकार की तलाश में आ रहे है. यहीं वजह है कि, विद्यापीठ परिसर और वडाली जैसे क्षेत्रों में अक्सर ही तेंदूए दिखाई देते है. वहीं विगत कुछ दिनों से छत्री तालाब के पास ही स्थित मंगलधाम कालोनी की ओर भी तेंदूए ने अपना रुख किया है. साथ ही साथ चारों ओर से घनी आबादी से घीरे रहने वाले विदर्भ महाविद्यालय परिसर तक भी तेंदूआ पहुंच गया है. शैलेंद्र ठाकुर के मुताबिक खुद उनके खेत में बने फार्म हाउस पर बंधे दो पालतू कुत्तों का कुछ समय पहले तेंदूए द्वारा शिकार कर लिया गया था.
* कोई भी क्षेत्र तेंदूओं से अछूता नहीं
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ अरसे से शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ घनी आबादी वाले इलाकों में भी तेंदूआ दिखाई देने के मामले सामने आ चुके है. इससे पहले रवि नगर व साई नगर जैसे इलाकों में भी तेंदूआ दिखाई दे चुका है. साथ ही शेगांव नाका व कठोरा नाका परिसर में भी कई दिनों तक तेंदूएं का आना-जाना रहा. इसके अलावा कडी सुरक्षा व्यवस्था रहने वाले जिलाधीश के निवासस्थान पर भी तेंदूआ घुस गया था. साथ ही विगत करीब दो माह से विदर्भ महाविद्यालय के आसपास स्थित परिसर में तेंदूए का आतंक देखा जा रहा है और पिछले दो सप्ताह से मंगलधाम कालोनी परिसर में दो शावकों सहित मादा तेंदूए को देखा जा रहा है. इसके अलावा इससे पहले एक्का-दुक्का मौकों पर कौंडेश्वर परिसर के वन्य क्षेत्रों में भी तेंदूआ दिखाई दे चुका है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अमरावती शहर के चारो ओर ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो तेंदूओं से अछूता हो, जिसके चलते इस अनुमान को बल मिलता है कि, शहर के आसपास सटे वन्य क्षेत्र में निश्चित क्षेत्र में 30 से 35 तेंदूओं की मौजूदगी है. जो गाहे-बगाहे शिकार की तलाश करते हुए अमरावती के शहरी इलाके का रुख करते है.
* वडाली परिसरवासियों ने बदला मॉर्निंग वॉक का समय
उल्लेखनीय है कि, वडाली परिसर में कई कालोनियां विकसित हो चुकी है तथा इस क्षेत्र में रहने वाले लोग रोजाना सुबह एसआरपीएफ कैम्प की ओर जाने वाली सडक पर मॉर्निंग वॉक करने हेतु निकलते है. परंतु तेंदूओं की दहशत के चलते लोगों ने अपने मॉर्निंग वॉक के समय को बदल दिया है. पहले जहां लोगबाग रोजाना सुबह 5 बजे के आसपास मॉर्निंग वॉक करने के लिए निकला करते थे. वहीं इन दिनों लगभग हर कोई सूरज निकलने के बाद 7 बजे के आसपास मॉर्निंग वॉक करने हेतु निकलता है. इस पर पर भी कई बार परिसर में मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों को तेंदूआ दिखाई देता है. परंतु सौभाग्य से तेंदूए ने अब तक मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों पर हमला नहीं किया. शैलेंद्र ठाकुर के मुताबिक लोगों के हुजूम को देखकर तेंदूआ खुद ही बडी तेजी से सडक पार करते हुए झाडियों में जाकर खडा हो जाता है और लोगों को आते-जाते देखता है.
* फॉरेस्ट की बॉर्डर पर सुरक्षा बाड लगाने का प्रस्ताव
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल वडाली से लेकर पोहराबंदी व छत्री तालाब परिसर में अक्सर ही तेंदूए दिखाई देने और इस पूरे परिसर में 30 से 35 तेंदूए रहने की जानकारी को लेकर जब क्षेत्र के विधायक रवि राणा से प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किया गया, तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि, इस परिसर में करीब 30 से 35 तेंदूए है. साथ ही यह भी कहा कि, जंगल क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सडकों से आने-जाने वाले वाहनों की वजह से कई बार तेंदूए सहित अन्य वन्वजीव हादसों का शिकार होते है. ऐसे में उन्होंने जंगल से होकर गुजरने वाले सडकों के दोनों ओर सुरक्षाबाढ लगाने का प्रस्ताव वनविभाग को दिया था. इसके साथ ही जंगल क्षेत्र के चारों ओर भी सुरक्षा बाढ लगाने का प्रस्ताव भी उन्होंने वनविभाग को दिया है, ताकि जंगलों से वन्यजीवों का शहर की ओर आना-जाना रोका जा सके. विधायक रवि राणा के मुताबिक उन्होंने इससे पहले ऑक्सीजन पॉर्क के पास स्थित वडरपुरा की टेकडी के चारों ओर सुरक्षाबाढ लगवाई थी. ताकि उस ओर से कोई वन्यजीव बायपास से होते हुए शहर की ओर न आ सके. ठीक उसी तर्ज पर जंगलों को चारों ओर से घेरना होगा, ताकि वन्यजीव सुरक्षित रहे और इंसानी बस्तियों की ओर न आ सके.