शहर में चहुंओर दर्जनों तेंदुए, डेढ साल में चार मारे गए
कलेक्टर निवास पर भी घुसने की चर्चा
* वन विभाग और राजनेताओं से उचित कार्रवाई की अपेक्षा
अमरावती/ दि. 16 – एसआरपीएफ कैम्प एकता टेकडी के पास आज सबेरे एक मादा तेंदुआं का लहूलुहान शव मिलने के बाद शहर और आसपास तेंदुए की संख्या दर्जनों में होने की चर्चा शुरू हो गई है. खास बात यह है कि शहरी बस्ती के चारों तरफ अलग- अलग समय, अलग-अलग तेंदुए दिखाई दिए हैं. उनमें से ही चार तेंदुए गत डेढ वर्ष में विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे गए हैं. ऐसे में वन विभाग से ठोस, उचित कार्रवाई की अपेक्षा अमरावती का जनमानस व्यक्त कर रहा हैं. ऐसी ही अपेक्षा शहरवासियों को अपने नेताओं से भी है. नेतागण ऐसा प्रेशर बनाए, सुझाव दे कि जंगल के हिंस्र पशु शहरी बस्तियों का रूख न करें.
पश्चिमी क्षेत्र तक पहुंच
तेंदुआं की पहुंच शहर के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र तक हुई है. पिछले महीने भर से वहां तेंदुआ उधम मचा रहा था. जंगल महकमा अनेक पिंजरे लगाने के बाद भी उसे कैद न कर सका. जबकि महकमे की जीप पर हमले का वायरल वीडियो सभी ने देखा.
पोहरा का जंगल और तेंदुएं का वास
शहर सेे सटे एकमात्र जंगल क्षेत्र पोहरा में अनेक तेंदुए और बाकी हिंसक पशु होने के दावे किए जाते रहे हैं. तेंदुएं के शहरी सीमांत क्षेत्र ेमें दिखाई देने की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं. जबकि पश्चिमी क्षेत्र से पोहरा का जंगल निश्चित ही काफी दूर है. वहां तेंदुएं के पहुंचने को लेकर जंगल महकमा रटारटाया जवाब देते सुना गया कि जंगल में शिकार नहीं मिलने से तेंदुए शहरी बस्तीयों की तरफ बढ रहे हैं. वन विभाग का यह घिसा पीटा बयान भी वर्षो से चल रहा है कि शहरी भागों का विस्तार होने से जंगली जानवर आ रहे हैं, आक्रमण कर रहे ंहैं .
* पोहरा के जंगल में कब बढी बस्ती !
जंगलोें को काटकर अब तक तो अमरावती का विस्तार नहीं हुआ है. खासकर पोहरा की तरफ अब तक कोई प्रोजेक्ट नहीं हुआ. जंगल सलामत हैं. शहर के अंदर ही लोगों ने बस्तियों को विस्तार दिया है. अपने शहरी क्षेत्र के अंंदर ईमारते, भवन बने हैं. इन क्षेत्र में कठोरा, रहाटगांव, रेवसा आदि को गिन सकते हैं.
* वन विभाग करें ठोस उपाय
वन विभाग के अधिकारी जंगली जानवरों के शहरी बस्तियों की तरफ आने के विषय में कुछ बातें कह रहे हैं. पहले मार्डी रोड पर इंदला की तरफ तेंदुआ वगैरह दिखाई देने पर कहा जाता था कि पानी पीने आ जाते हैं. अब जंगलों में खाद्य नहीं होने की बातें हो रही है. जंगलों में खाद्य नहीं है तो जंगल महकमे को उपाय करने चाहिए. आम अमरावतीवासी की यही अपेक्षा है. जंगल महकमा इसी के वास्ते हैं. जंगली प्राणी के बस्ती में आने से दहशत मचती हैं. इसका उपाय दंगल महकमा कर सकता हैं. करना चाहिए, यह अपेक्षा अमरावती के लोग बोलकर बता रहे हैं. शहरी क्षेत्र से जुडे तीन विधायक और दो सांसद हमारे यहां हैं. उनका यह भी कहना है कि ठोस उपाय आवश्यक हैं. हमारे नेताओं को भी कदम उठाना चाहिए. किसी ने भी अब तक इस विषय पर गंभीरता से कुछ नहीं किया. यह शिकायत करते हुए राजनेताओं से अपेक्षा जता रहे है. महत्वपूर्ण व ठोस उपाय होने चाहिए