डीपीटीसी के 11 करोड रुपए गए वापिस
मनपा के साढ़े 3 करोड और जिप के साढ़े 6 करोड रुपए

* जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव को किया गया नजरअंदाज
अमरावती /दि.5– गत वित्तीय वर्ष में अमरावती शहर सहित जिले के विकास के लिए जिला नियोजन समिति के 474 करोड रुपए के प्रारुप में से 11 करोड रुपए 31 मार्च के पूर्व अखर्चित रह जाने के चलते वापिस गए है. जबकि जिले के जनप्रतिनिधियों ने प्रशासकीय मान्यता से अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए निधि की मांग की थी. लेकिन उनके प्रस्ताव को भी जिला नियोजन विभाग द्वारा नजरअंदाज किया गया. वापिस गई निधि में मनपा के साढ़े 3 करोड रुपए और जिला परिषद के साढ़े 6 करोड रुपए की निधि का समावेश है.
हर वर्ष राज्य शासन द्वारा जिले के विभिन्न कार्यो के लिए विभिन्न विभागो के मिले प्रस्ताव को देखकर विकास प्रारुप तैयार किया जाता है. इसके मुताबिक शासन से निधि प्राप्त होती है. गत वित्तीय वर्ष में जिले का 474 करोड रुपए के विकास प्रारुप को मंजूरी मिली थी. लेकिन इस निधि में से 128 करोड रुपए खर्च नहीं हो पाए थे. ऐसे में विधानसभा चुनाव का बिगूल बज गया. राज्य में महायुती की सरकार स्थापित हुई. राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले अमरावती जिले के पालकमंत्री बनने के बाद उन्होंने पहली ही जिला नियोजन समिति की बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य और किसानों से संबंधित कार्यो को विशेष प्रावधान देते हुए विकास प्रारुप की शेष 128 करोड रुपए की निधि का जल्द वितरण कर 31 मार्च के पूर्व सभी काम पूर्ण करने के जिलाधिकारी सौरभ कटीयार के जरिए जिला नियोजन अधिकारी को निर्देश दिए थे. जिला नियोजन विभाग की तरफ से पूर्ण 474 करोड रुपए का वितरण किया गया था. लेकिन निश्चित कालावधि में निधि खर्च न होने पर संबंधित विभागो से वह निधि मार्च के अंतिम सप्ताह में वापस ले ली गई थी. यह निधि अन्य विकास कार्यो के लिए खर्च करना आवश्यक था. लेकिन समन्वय के अभाव में जिले के विकास प्रारुप की 11 करोड रुपए की निधि वापस चली गई. इसमें मनपा की साढ़े 3 करोड रुपए और जिला परिषद के ग्रामीण विकास कार्यो की साढ़े 6 करोड रुपए की निधि का समावेश है. इश बाबत जिला नियोजन अधिकारी वर्षा भाकरे से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह में राज्य के 36 जिलो से एक साथ काम चलता रहता है और ऐसे में तकनीकी कारणो से और बीईएएमएस प्रणाली भी काम न कर पाने से वह निधि वापिस गई. लेकिन यह तकनीकी समस्या हर जिले में रही. इस कारण वापिस गई हुई निधि इस चालू वित्तीय वर्ष वापिस मिलेंगी, ऐसा वर्षा भाकरे का कहना था. लेकिन नए विकास कार्यो को करने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रशासकीय मान्यता लेकर प्रस्ताव जिला नियोजन विभाग के पास भेजने के बावजूद उनके प्रस्ताव को नजरअंदाज कर निधि न दिए जाने से जनप्रतिनिधियों में असंतोष व्याप्त है.
* खोडके, यावलकर और अडसड ने मांगी थी निधि
सूत्रों के मुताबिक मोर्शी-वरूड विधानसभा क्षेत्र के विधायक उमेश यावलकर ने किसानों की फसलो का वन्यप्राणियों से होते नुकसान को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से जंगल क्षेत्र से कुंपन लगाने का प्रस्ताव दिया था. धामणगांव के विधायक प्रताप अडसड ने स्वास्थ्य विभाग के जरिए हेल्थ एटीएम और अमरावती की विधायक सुलभाताई खोडके ने डीपीटीसी के जरिए मनपा शाला को डिजिटलाइट करने का प्रस्ताव दिया था. इसके अलावा ग्रामीण जलापूर्ति योजना अंतर्गत आनेवाली सभी ग्राम पंचायतो का सोलराइजेशन करने के प्रस्ताव रहते हुए भी मंजूरी नहीं दी गई. साथ ही धामणगांव में अत्याधुनीक कोल्ड स्टोअरेज का प्रस्ताव था. इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावो को नजरअंदाज किया गया.
* अधिकारी कर रहे गुमराह
अमरावती जिले के विकास के लिए प्राप्त हुई निधि तकनीकी कारण बताकर वापिस जाना शर्मनाक कहा जा सकता है. इससे यह भी साबित होता है कि जिले का नियोजन शून्य है. यहां तक कि जनप्रतिनिधियों को भी एक तरह से गुमराह किया जा रहा है. यदि ऐसा न होता तो निधि वापिस जाने का प्रश्न ही निर्माण न होता. जबकि विधायको ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के काम के प्रशासकीय प्रस्ताव पहले ही दे दिए थे.
* पालकमंत्री के पत्र की भी अनदेखी?
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले जिले के पालकमंत्री है. उनके पास जिले के सभी जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यो के लिए निधि संदर्भ में निवेदन आते है. पालकमंत्री अपने हस्ताक्षर किए प्रशासकीय मान्यता प्राप्त प्रस्ताव को पूरा करने बाबत सूचना संबंधित अधिकारियों को दी थी. लेकिन पालकमंत्री की सूचना और पत्र को भी नजरअंदाज किया गया. यह विशेष.