अमरावतीफोटो

डॉ. बबन बेलसरे ने खुद को सामाजिक कार्यों के लिए किया समर्पित

अमरावती शहर में कुछ ऐसे डॉक्टर कार्यरत हैं जिन्होंने अपना मेडिकल प्रोफेशन संभालने के बाद खुद को सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया है. अमरावती के डॉ. बबन बेलसरे को शीर्ष रैंक प्राप्त है. बबन बेलसरे मेरे पारिवारिक मित्र हैं. उनसे मेरा परिचय कॉलेज जीवन में हुआ. मैं तब अमरावती के श्रीमती केशरबाई लाहोटी कॉलेज में पढ़ रहा था. बबन बेलसरे मेरे मित्र श्री मुरलीधर घाटोल के मित्र हैं, बबन बेलसरे का परिचय मुरली के माध्यम से हुआ. बाद में वह एमबीबीएस करने के लिए नागपुर मेडिकल कॉलेज चले गए. जब हम नागपुर जाते थे तो हम बबन बेलसरे के मेडिकल कॉलेज के कमरे में रुकते थे. मैं, बबन सराडकर, अशोक राणा, अशोक थोरात, सभी कवि बबन राव के मेडिकल रूम में रुकते थे. बेशक रहने, खाने-पीने का सारा बोझ बबनराव ही उठाता था. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह कुछ वर्षों के लिए अंबेजोगाई मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर बने और बाद में अमरावती में एक अस्पताल शुरू किया. जयस्तंभ चौक, जो अब बिग सिनेमा रोड है, में पंचशील टॉकीज रोड पर उनका अन्नपूर्णा अस्पताल केंद्र बिंदु बन गया.आज बबनराव ने व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक कार्य में अपनी छाप छोडी है. अमरावती शहर के यह एक डॉक्टर हैं जिन्होंने अपना ग्राउंड फ्लोर हमेशा सामाजिक कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध रखा है. अगर हमें कोई कार्यक्रम करना होता है तो हम बिना पूछे बबन बेलसरे का पता देते हैं और बबनराव सिर्फ सभागार ही नहीं बल्कि आगंतुकों का आतिथ्य सत्कार करने में भी पहल करते हैं. दरअसल, डॉक्टरी का काम संभालते हुए सही मायनों में सामाजिक कार्य करना एक कठिन काम है. लेकिन बबनराव के खून में सामाजिक दायित्व की भावना घुली है. आज प्रो. श्याम मानव का काफी नाम है. सम्मोहन के क्षेत्र में उनका कोई भी हाथ नहीं खींचता, लेकिन बबनराव ही थे जिन्होंने वास्तव में श्याम मानव को सम्मोहन के क्षेत्र में आगे बढ़ाया, जिससे श्याम मानव अंधविश्वास उन्मूलन के कार्य में अग्रणी रहे. फिर उन्होंने सम्मोहन के माध्यम से लोगों के व्यक्तित्व को विकसित करने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने अमरावती के विश्राम भवन में एक बैठक बुलाई. टाटा मोटर्स के प्रबंधक विजय मोकाशी,एडवोकेट गणेश हलकारे, लक्ष्मीकांत पंजाबी, डॉ. बबन बेलसरे और हम सब एक साथ आए. यदि तुरंत सम्मोहन कक्षा शुरू कर देंगे तो लोग नहीं आएंगे. इसलिए हमने उससे पहले सात दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला करने का निर्णय लिया. इसके लिए डॉ. बबन बेलसरे और विजय मोकाशी ने पहल करने का फैसला किया. मुझे खर्च की जिम्मेदारी सौंपी गई. यह बात साल 1994 की है. श्याम मानव तब बहुत लोकप्रिय थे. व्याख्यान श्रृंखला अंबापेठ में मणिबाई गुजराती हाई स्कूल के विशाल मैदान में आयोजित की गई थी. मुझे याद है एक बार कवि सुरेश भट्ट मेरे पास आये. उनके गीत गजलों का एक कार्यक्रम आयोजित किया जाना था. मैंने बबनराव को फोन किया. उन्होंने तुरंत अपने घर की छत पर उस कार्यक्रम की योजना बनाई. बहुत बढ़िया आयोजन हुआ. इस सभी कार्य में उन्हें रेखावाहिनी का वास्तविक सहयोग प्राप्त है. सच तो यह है कि रेखावाहिनी के कारण ही बबनराव डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों का काम संभाल पाते हैं. दरअसल, बबनराव को इतना बडा बनाने में उनके दोस्तों का बहुत बड़ा हाथ है. बबनराव के दोस्तों ने साबित कर दिया है कि जिंदगी में दोस्तों की जगह कितनी अहम है. बबनराव आज भी जब अपने दोस्तों को याद करते हैं तो बहुत भावुक हो जाते हैं. दरअसल, अपने डॉक्टर के बिजनेस को संभालते हुए ये सभी काम करना एक मुश्किल काम है. लेकिन बबनराव बेलसरो को अब इसकी आदत हो गई है. हमारे जन्मदिन पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं. – प्रा. डॉ.नरेशचंद्र काठोले, संचालक,
डॉ.पंजाबराव देशमुख अकादमी, अमरावती.
9890967003

Related Articles

Back to top button