अमरावती- दि.22 त्याग और बलिदान देने के परिवार की विरासत को आगे बढाते हुए एक 52 साल का युवक भारतीय नागरिकों को एकता की माला में पिरोने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चल रहा है. सांसद राहुल गांधी उसका नाम है. कांग्रेस नेता आज के युवा अपना भविष्य तलाश रहे है. गोदी मीडिया के झूठ का सामना कर निर्भय होकर देश के लिए समर्पित होकर काम कर रहे है. राहुल गांधी के बारे में यहां के भाजपा नेता सांसद अनिल बोंडे को ऐसी बदजुबानी शोभा नहीं देती, ऐसी नसीहत कांगे्रस के प्रदेश सचिव आसिफ तवक्कल ने दी है.
आसिफ तवक्कल के अनुसार डॉ. अनिल बोंडे ने उनकी मती भ्रष्ट होने का परिचय दिया है. राहुल गांधी को रावण की उपमा देकर उन्होंने सिध्द किया है कि, उनकी विचारधारा राक्षसी है. आसिफ तवक्कल ने याद दिलाया कि, अमरावती के दंगे में डॉ. बोंडे का हाथ रहने के आरोप होते रहे है. समाज और धर्म में नफरत की दरारे डालने का काम करते आ रहे है. दो शांतिपूर्ण धर्म मेें हिंसा और नफरत की आग फैलाने के बदले में उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया गया है. यह इतिहास सारी दुनिया जानती है. तत्कालीन पालकमंत्री यशोमती ठाकुर पर भी डॉ. बोंडे ने बगैर सिरपैर के आरोप लगाए थे. उस समय उन्हें दुम दबाकर भागना पडा था. वे सीधे योग गुरु रामदेव बाबा के पास पहुंचे. उन्होंने ऐसी गोटियां खेली की सीधे सांसद बन गया. उनकी पार्टी में नफरत फैलाने वालों को प्रमोशन मिलता है, मगर अपनी क्षमता व अपना दायरा देखकर डॉ. बोंडे को आलोचना करना चाहिए. बचकानी और बेढंगी बात करने से वे अपने आकाओ को खुश करते है, मगर उन्हें पता नहीं कि, उनके व्दारा ऐसा बेतुका बोलने से अमरावती का नाम बदनाम होता है. सांसद राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर के नेता है. डॉ. बोंडे अभी पूरी तरह से जिले में स्थापित नहीं हो पाये. सीधे बंदरकुद करते हुए अपने आप को अपनी पार्टी में स्थापित कर कोई नया पद पाने की लालसा में नजर आ रहे है. राहुल गांधी जैसे युवाओं आयकॉन नेताओं के खिलाफ बदजुबानी करने से उन्हें बचने की हिदायत भी आसिफ तवक्कल ने दी.
मनोचिकित्सक के पास डॉ. बोंडे के नाम की पर्ची फाडी
आसिफ तवक्कल ने याद दिलाते हुए कहा कि, कुछ दिन पूर्व युवक कांग्रेस ने डॉ. बोंडे की ऐसी हरकतों के कारण उनका इलाज कराने का निर्णय लिया था और मनोचिकित्सक डॉ. श्रीकांत देशमुख के अस्पताल में डॉ. अनिल बोंडे के नाम से पर्ची भी फाडी थी. डॉ. बोंडे खुद डॉक्टर है. वे भले ही इलाज नहीं करते और अपने अस्पताल में दूसरे डॉक्टरों के माध्यम से इलाज करवाते है. उन्हें अपनी हरकतों को ओछी हरकतों से बाज आते हुए मुफ्त में इलाज कराना चाहिए, इलाज का पूरा खर्च देने का दावा भी आसिफ तवक्कल ने किया है.