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डॉ. बोंडे की मेहनत से जिले में बढ सकती है भाजपा

विधानसभा में 5 स्थानों पर कमल खिलने का दावा

* राज्यस्तरीय लीडर्स को टक्कर दी राज्यसभा सदस्य ने
अमरावती/दि. 21 – राज्यसभा को उच्च सदन भी कहा जाता है. ऐसे में वहां बैठनेवाले कर्णधार भी बेशक उंचे ही होंगे. अमरावती के भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे ने इस विधानसभा चुनाव में जो रणनीति बनाई, उसे साकार करने जमीनी मेहनत की, हिंदुत्व और वोटर्स को लुभाते मुद्दों पर चुनाव केंद्रित किया, उससे बुधवार के मतदान पश्चात माना जा रहा है कि, सामान्य कार्यकर्ताओं को लेकर बीजेपी ने कम से कम चार विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रतिस्पर्धियों को नाको चने चबवा दिए. बीजेपी के पांच विधायक चुने जाने के दावे किए जा रहे हैैं. अमरावती मंडल से बातचीत में भाजपा नेताओं ने दावा किया कि, मोर्शी से उमेश उर्फ चंदू यावलकर, मेलघाट से केवलराम काले, तिवसा से राजेश वानखडे, अचलपुर से प्रवीण तायडे चुनाव जीतने जा रहे हैं. धामणगांव विधानसभा प्रताप अडसड के रुप में पहले से भाजपा के पास है. वहां इस बार भी कमल खिलने का दावा भाजपा के नेता कर रहे हैं. जिले में बीजेपी की क्षमता, शक्ति बढने के दावे के साथ इसके लिए भाजपा के वरिष्ठ से लेकर ग्रामीण के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी अभी से लीडर, जिलाध्यक्ष और पेशे से हृदयरोग चिकित्सक डॉ. अनिल बोंडे को श्रेय दे रहे हैं. उनका कहना है कि, टिकट वितरण से लेकर पक्ष में मतदान संपन्न कराने तक पूरी प्रक्रिया, प्रचार तंत्र में अनिल बोंडे की रणनीति, चाणक्य नीति का निर्विवाद योगदान है.
* चुने सामान्य, अच्छे कार्यकर्ता
लोकसभा चुनाव में भाजपा की पराजय के बावजूद विधानसभा में कमर कसकर खडे होते दल को नई जान फूंकने और नया जोश भरने की आवश्यकता थी. जिसे लगभग दो साल पहले जिले की कमान संभालनेवाले डॉ. अनिल बोंडे ने बखूबी अंजाम दिया. उन्होंने विधानसभा के रण हेतु सामान्य किंतु अच्छे कार्यकर्ताओं को पार्टी की उम्मीदवारी दिलवाई. फिर वह मोर्शी से उमेश उर्फ चंदू यावलकर हो या अचलपुर से विरोध के बावजूद प्रवीण तायडे हो. ऐसे ही जंगली भूभाग के मेलघाट से पुराने टाइगर केवलराम काले और तिवसा की प्रतिष्ठापूर्ण लडाई में शिवसेना से आए राजेश वानखडे को उम्मीदवारी दिलवाने में जिलाध्यक्ष के नाते बेशक डॉ. बोंडे की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
* नामांकन से लेकर प्रचार यात्राएं
डॉ. बोंडे अनेक संगठनों, संस्थाओं में कार्य कर चुके हैं. नेतृत्व कर चुके हैं. अनेक बृहद आयोजनों में उनकी महती भूमिका रही हैं. स्वयं तीन बार चुनाव लड चुके और सफल रहे डॉ. बोंडे ने बेशक धामणगांव में भी पार्टी के लिए काम किया. किंतु उपरोक्त चारों उम्मीदवारों मोर्शी से यावलकर, मेलघाट से काले, तिवसा से वानखडे, अचलपुर से प्रवीण तायडे के लिए नामांकन भरने की रैली से लेकर तमाम प्रचार सभाएं आयोजित करने और स्वयं भी कॉर्नर सभाएं, मीटिंग में खास एक्टिव रहे.
* हुई अनेक मान्यवरों की जाहीर सभाएं
भाजपा सूत्रों ने बताया कि, डॉ. बोंडे ने अपने अनुभव का संपूर्ण उपयोग करते हुए चुनावी काल में प्रत्येक क्षण का सदुपयोग किया. उन्होंने बीजेपी के स्टार प्रचारकों गृह मंत्री अमित शाह, दो मुख्यमंत्रियों यूपी के योगी आदित्यनाथ एवं मध्य प्रदेश के डॉ. मोहन यादव सहित उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री शिवराजसिंह चौहान की सभाओं का तिवसा, अचलपुर, मेलघाट में जोरदार नियोजन किया. इन सभाओं ने बीजेपी के उम्मीदवारों के फेवर में वातावरण बनाया. जो बुधवार को मतदान में परिवर्तित होने के दावे किए जा रहे हैं.
* हिंदुत्व का मुद्दा
पार्टी के नेताओं ने निजी बातचीत में यह भी बताया कि, डॉ. बोंडे ने नामांकन पश्चात प्रचार की रणनीति अपने सभी उम्मीदवारों और प्रमुख समर्थकों के साथ मिलकर आंकी. उसे योजनाबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया. जिसका अच्छा सुफल मिलने के संकेत मिल रहे हैं. हिंदुत्व के मुद्दे को जिले में जमकर उपयोग में लाया गया. इस कारज में सीएम योगी आदित्यनाथ और सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी बेशक योगदान किया. किंतु पार्टी नेताओं के अनुसार डॉ. बोंडे ने सफल हृदय विशेषज्ञ सिद्ध करते हुए लोगों के दिल में हिंदुत्व को उतारने की सर्जरी सफल कर दिखा दी, ऐसे स्पष्ट संकेत मतदान पश्चात प्राप्त होने के दावे किए जा रहे हैं. उसी प्रकार लाडली बहना योजना सहित महिलाओं को प्रभावित करनेवाले मुद्दों पर भी चुनाव प्रचार को कायम रखा. इतना ही नहीं तो अहोरात्र मेहनत की. आज यदि पार्टी उम्मीदवारों के सिर पर ताज सजता है तो निश्चित ही इसका बडा श्रेय डॉ. अनिल बोंडे के सर सजेगा.
* राज्यस्तरीय नेताओं से लोहा
डॉ. बोंडे भाजपा जिलाध्यक्ष के रुप में दो वर्षों से सतत सक्रिय हैं. इसी दौरान लोकसभा का चुनाव हुआ. उससे सबक लेकर उन्होंने आरंभ से ही जमीनी रणनीति को अपनाया और उस पर काम किया. देखा जाए तो अचलपुर में उनके सामान्य कार्यकर्ता उम्मीदवार प्रवीण तायडे का मुकाबला राज्यस्तर के लीडर बने चार बार के विधायक बच्चू कडू से था. इसी प्रकार तिवसा में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की दावेदार बताई जा रही तीन बार की विधायक यशोमति ठाकुर के सामने तुलना में नए राजेश वानखडे थे. मगर मतदान पश्चात चर्चा है कि, दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी की रणनीति ने प्रतिस्पर्धियों को नाको चने चबवा दिए. परसों मतगणना के साथ परिणाम घोषित होगा ही. अभी तक कहा जा रहा है कि, बच्चू कडू हो या यशोमति ठाकुर को इस बार तगडा संघर्ष करना पडा है. जिसके लिए भाजपाईयों ने डॉ. अनिल बोंडे के नेतृत्व में अपनेआप को पूरी तरह से झोंक दिया था.

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