अमरावतीमुख्य समाचार

डॉ. देविसिंह शेखावत का निधन

अस्वस्थ रहने के चलते 15 दिन से पुणे के अस्पताल में थे भर्ती

* आज सुबह 9.30 बजे ली अंतिम सांस, पुणे में ही हुआ अंतिम संस्कार
* विद्याभारती शैक्षणिक संस्था के संस्थापक अध्यक्ष थे डॉ. शेखावत
* 90 वर्षीय डॉ. शेखावत 6 दशको तक राजनीति में रहे सक्रिय
* निधन का समाचार मिलते ही शहर सहित जिले में फैली शोक की लहर
* शहर के कई कांग्रेस नेता हुए अंतिम दर्शन हेतु पुणे रवाना
अमरावती/दि.24 – अमरावती के प्रथम महापौर व पूर्व विधायक रह चुके डॉ. देविसिंह शेखावत का आज सुबह करीब 9.30 बजे के आसपास पुणे के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. 90 वर्षीय डॉ. देविसिंह शेखावत विगत लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें इलाज हेतु 15 दिन पहले पुणे के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां पर उन्होंने आज सुबह अपनी अंतिम सांस ली. शेखावत परिवार ने डॉ. शेखावत का अंतिम संस्कार पुणे में ही करने का निर्णय लिया. ऐसे में उनके अंतिम दर्शन करने एवं अंतिम संस्कार में शामिल होने हेतु जानकारी मिलते ही शहर के कई कांग्रेस नेता व पदाधिकारी आज सुबह ही पुणे के लिए रवाना हुए.
कट्टर कांग्रेसी व समर्पित शिक्षाविद् रहने वाले डॉ. देविसिंह शेखावत का जन्म दर्यापुर तहसील अंतर्गत चंद्रपुर (खल्लार) में 19 अप्रैल 1934 को जतनबाई व रामसिंह शेखावत की संतान के तौर पर हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव की ही जिप प्राथमिक शाला में हुई थी. पश्चात उन्होंने प्रबोधन विद्यालय से पढाई पूरी करते हुए खामगांव से इंटरमिडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. शुरु से ही पढाई-लिखाई में बेहद तेज रहने वाले देविसिंह शेखावत अपने माता-पिता की इच्छा के अनुरुप डॉक्टर यानि चिकित्सक बनना चाहते थे. परंतु नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में नंबर लगने के बावजूद भी उनकी डॉक्टर बनने का सपना अधूर रह गया था. कालांतर में रसायनशास्त्र विषय में प्राध्यापक बनने के साथ ही उन्होंने पीएचडी की पदवी प्राप्त की और उनके नाम के साथ डॉक्टर की उपाधि जुड गई. जिसके चलते वे आगे चलकर डॉ. देविसिंह शेखावत कहलाए.
पढाई-लिखाई में रुचि रहने के साथ-साथ डॉ. देविसिंह शेखावत का राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र के साथ ही काफी गहरा जुडाव रहा. विदर्भ महाविद्यालय में बीएससी की पढाई पूरी करते समय वे छात्र जीवन से ही राजनीति के साथ जुड गए और उन्होंने कांग्रेसी विचारधारा को अपनाया. साथ ही एमएससी की पढाई पूरी करने के उपरान्त उन्होंने शिवाजी विज्ञान महाविद्यालय में रसायनशास्त्र के प्राध्यापक के तौर पर नौकरी करनी शुरु की और आगे चलकर वर्ष 1969 में विद्याभारती शैक्षणिक मंडल की स्थापना करते हुए विद्याभारती महाविद्यालय को शुरु कर अपने हिसाब से शिक्षादान का कार्य शुरु किया. विद्याभारती शैक्षणिक मंडल के संस्थापक अध्यक्ष रहने के साथ ही वे वर्ष 1989 व वर्ष 1996 मेें इस संस्था के अध्यक्ष रहे. साथ ही उन्होंने वर्ष 2002 में संस्था सचिव के तौर पर भी काम किया. इसके अलावा संस्था द्बारा संचालित विद्याभारती महाविद्यालय के वे वर्ष 1972 से 1994 तक प्रथम प्रधानाचार्य भी रहे और उन्होंने वर्ष 1994 में विद्याभारती डिग्री कॉलेज ऑफ फार्मसी के प्राचार्य पद का भी जिम्मा संभाला. इसके साथ ही डॉ. देविसिंह शेखावत वर्ष 1976 से 1983 तक नागपुर विद्यापीठ के एक्झीक्यूट्यूव कॉउन्सिलर, 1962 से 1982 तक सिनेट सदस्य, 1973 से 1981 तक एकॉडमीक कॉउन्सिलर, 1975 से 1981 तक विज्ञान के फैकल्टी सदस्य तथा 1972 से 1976 तक रसायनशास्त्र अध्ययन बोर्ड के सदस्य रहे. इसके साथ ही वे अमरावती की विद्यापीठ में वर्ष 1983 से 1993 तक एक्झीक्यूट्यूव कॉउन्सिलर, वर्ष 1983 से 1995 तक सिनेट सदस्य व एकाडमिक कॉउन्सिलर, 1984 से 1993 तक फार्मास्युटीकल बोर्ड के अध्यक्ष एवं वर्ष 1984 से 1993 तक वरिष्ठ श्रेणी वाले प्राध्यापकों की असेसमेंट कमिटी के अध्यक्ष रहे. इसके साथ ही डॉ. देविसिंह शेखावत वर्ष 1981 से 1992 तक कक्षा 8 वीं से कक्षा 12 वीं हेतु तैयार की जाने वाली रसायनशास्त्र की पाठ्यपुस्तकों के लेखक मंडल के अध्यक्ष भी रहे.
शिक्षा क्षेत्र के प्रति हमेशा ही समर्पित रहने वाले डॉ. देविसिंह शेखावत का राजनीति से भी बेहद गहरा नाता रहा. वे वर्ष 1985 से 1990 तक अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रहे. वहीं इसके उपरान्त वर्ष 1991 में हुए मनपा चुनाव में पार्षद निर्वाचित होने के साथ ही उन्होंने अमरावती नगरी का प्रथम महापौर बनने का बहुमान भी हासिल किया. साथ ही साथ उनका विभिन्न सामाजिक, सहकारी व कृषि संबंधित संस्थाओं से बेहद करीबी नाता रहा. इसके तहत वे साधना कृषि विज्ञान केंद्र (बडनेरा) के संचालक, प्रताप को-ऑपरेटीव बैंक (मुंबई) के संचालक, अमरावती जिला कृषि सहकारी औद्योगिक सोसायटी के अध्यक्ष, नवकांग्रेस नगर को-ऑपरेटीव हाउसिंग सोसायटी (अमरावती) के अध्यक्ष, सेंटर ऑफ अप्लाइड रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग (अमरावती) के कार्यकारी सदस्य, विद्याभारती स्टूडंट्स कंज्युमर्स को-ऑप सोसायटी (अमरावती) के अध्यक्ष, जिला परिषद कृषि समिति (अमरावती) के सदस्य, विभागीय आयकर सलाहकार समिति के सदस्य, एलआईसी बीमा धारक कमिटी के सदस्य एवं अमरावती जिला विकास बोर्ड के सदस्य रह चुके है.
वर्ष 1982 में क्रीडा क्षेत्र में किए गए योगदान हेतु महाराष्ट्र सरकार द्बारा शिव छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. देविसिंह शेखावत द्बारा रसायनशास्त्र व फार्मास्युटीकल विषय को लेकर लिखित कई लेख विश्व के कई जर्नल में प्रकाशित हुए और कैंसररोधी दवा के संदर्भ में उनके द्बारा लिखित शोध निबंध हॉफकीन बायोकेमिकल इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित हुआ था. इसके साथ ही डॉ. शेखावत ने अपने जीवनकाल के दौरान दुनिया के कई देशोें का दौरा किया. जिनमें फ्रॉन्स, बेल्जियम, निदरलैंड, नॉर्वे, पश्चिम जर्मनी, इटली, स्वीटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, युएसए, कनाडा, हाँगकाँग, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर व मलेशिया आदि देशों का समावेश रहा.

* पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल के यजमान थे डॉ. शेखावत
डॉ. देविसिंह शेखावत का विवाह वर्ष 7 जुलाई 1965 को जलगांव जिले के नालगांव निवासी नानासाहब पाटिल (सोलंकी) की सुपुत्री प्रतिभाताई पाटिल के साथ हुआ. जो उस समय जलगांव ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा में कांग्रेस की विधायक थी. डॉ. देविसिंह शेखावत व तत्कालीन विधायक प्रतिभाताई पाटिल के विवाह समारोह में उस समय महाराष्ट्र के सभी प्रमुख राजनीतिक नेता उपस्थित हुए थे. विवाह पश्चात अमरावती की बहु बनी श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल को आगे चलकर उपराज्यमंत्री पद का जिम्मा मिला और वर्ष 1967 में वे अमरावती की जिला पालकमंत्री बनी. साथ ही आगे चलकर श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल भी राजनीतिक क्षेत्र में नीतनई उंचाईयों को छूती चली गई. जिसके तहत वे आगे चलकर अमरावती जिले की सांसद निर्वाचित हुई. साथ ही राज्यसभा की उपाध्यक्ष भी बनी. इसके साथ ही यह राजस्थान की राज्यपाल रहने के साथ ही देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुई. इसके साथ ही शेखावत दम्पति के सुपुत्र राजेंद्रसिंह उर्फ रावसाहब शेखावत भी एक बार अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के विधायक निर्वाचित हुए. वहीं शेखावत दम्पति की सुपुत्री ज्योति उत्तर प्रदेश के एक नामांकित व प्रतिष्ठित परिवार में ब्याही गई है.

Related Articles

Back to top button