अमरावती/दि.3- लंबे समय तक अमरावती जिला परिषद के अध्यक्ष रहे तथा विदर्भ यूथ वेलफेअर सोसायटी के संस्थापक उपाध्यक्ष रामदास धांडे का रविवार 2 जनवरी की रात 8.15 बजे लंबी बीमारी के पश्चात निधन हो गया. वे 84 वर्ष की आयु के थे तथा स्थानीय रिम्स् अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जहां पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.
बता दें कि, किसी जमाने में जिला परिषद सहित जिले की राजनीति पर अपनी जबर्दस्त व मजबूत पकड रखनेवाले रामदास धांडे ने जिला परिषद अध्यक्ष के तौर पर जिले के ग्रामीण इलाकों में कई उल्लेखनीय विकास कार्य करवाये, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों को विकास के मुख्यधारा से जोडा जा सके. इसके साथ ही उन्होंने जिले के आदिवासियों व किसानों के लिए भी समर्पित भाव से काम किया था. वहीं राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रा. राम मेघे के साथ मिलकर विदर्भ क्षेत्र की दूसरी सबसे बडी शिक्षा संस्था रहनेवाली विदर्भ यूथ वेलफेअर सोसायटी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संस्थापक अध्यक्ष प्रा. राम मेघे के साथ उन्होंने संस्थापक उपाध्यक्ष का जिम्मा संभाला. उनके नियोजनपूर्ण नेतृत्व में विदर्भ यूथ वेलफेअर सोसायटी ने शिक्षा क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की और इसी संस्था के तहत अमरावती में पहला निजी अभियांत्रिकी महाविद्यालय, दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल एवं समाजकार्य महाविद्यालय शुरू किये गये. साथ ही साथ रामदास धांडे ने प्रा. राम मेघे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कई प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शालाओं की भी नीव रखी. ऐसे में रामदास धांडे के निधन का समाचार मिलते ही जिले के राजनीतिक, सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है. स्व. रामदास धांडे अपने पश्चात दो पुत्र डॉ. नितीन धांडे व प्रा. मिलींद धांडे व एक पुत्री उज्वला पुंडकर सहित नाती-पोतोें से भरापुरा परिवार शोकाकुल छोड गये है. उनकी अंतिम यात्रा आज सोमवार 3 जनवरी को प्रात: 11 बजे कैम्प परिसर स्थित उनके निवासस्थान से निकाली गई तथा हिंदू मोक्षधाम में बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार किये गये.
* पुत्र नितीन ने सफलतापूर्वक संभाली पिता की विरासत
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विदर्भ यूथ वेलफेअर सोसायटी के संस्थापक उपाध्यक्ष रहनेवाले रामदास धांडे के पुत्र डॉ. नितीन धांडे आज इसी संस्था के अध्यक्ष है और बतौर अध्यक्ष यह उनका दूसरा कार्यकाल है. अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए डॉ. नितीन धांडे ने संस्था द्वारा संचालित शालाओं व महाविद्यालयों को एक नये मुकाम तक पहुंचाने के लिए दिन-रात मेहनत की और अपने द्वारा लगाये गये पौधे को विशालकाय वटवृक्ष में तब्दील करते हुए अपने पिता को गौरव महसूस करने के तमाम अवसर भी उपलब्ध कराये. इसके साथ ही संस्था के सतत व समग्र विकास में रामदास धांडे की पुत्रवधू व डॉ. नितीन धांडे की धर्मपत्नी प्रा. डॉ. वैशाली धांडे का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो इस समय विदर्भ यूथ वेलफेअर सोसायटी की कार्यकारी सदस्य है. साथ ही डॉ. धांडे के पुत्र व पुत्री ने भी उच्च विद्याविभूषित होकर अपने माता-पिता सहित अपने दादाजी रामदास धांडे का नाम रोशन किया.