डॉ. श्रेया ईश्वर वानखडे बनी आर्या संबोधी
वानखडे दम्पति ने धर्म प्रचार के लिए दे दी इकलौती बेटी
* सोमवार को आसेगांव में ली प्रवज्या
* करेगी बौद्ध धर्म का प्रचार
अमरावती/दि. 8 – बौद्ध धर्म के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा के कारण आडवानी नगर, गोपाल नगर परिसर के ईश्वर और ज्योति वानखडे ने अपनी इकलौती बेटी श्रेया को धर्म के लिए सौंप दिया. अब डेंटीस्ट श्रेया बौद्ध धर्म का प्रचार व प्रसार करेगी. आसेगांव सोमवार को हुए समारोह में उन्होंने बौद्ध भिक्खु की उपस्थिति में प्रवज्या लेकर गृहस्थ जीवन का त्याग कर बौद्ध धम्म की श्रामनेर दीक्षा ली.
* बचपन से धर्म के प्रति आकर्षण
डॉ. श्रेया वानखडे अब आर्या संबोधी बन गई है. उनकी माताजी ज्योति वानखडे ने अमरावती मंडल को बताया कि, लडकपन से ही श्रेया को धम्म के प्रति आकर्षण और आस्था थी. पिछले दो वर्षो से इस बारे में वे गंभीरता से विचार कर रही थी. माता-पिता ज्योति और ईश्वर वानखडे ने सुपुत्री की इच्छा का मान रखा. उसे धम्म दीक्षा की सहर्ष अनुमति दे दी.
* साईबाबा विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा
श्रेया वानखडे सामान्य छात्रा रही है. कक्षा 10 वी तक उनकी पढाई साईबाबा विद्यालय में हुई. जूनियर कालेज हनुमान आखाडे से किया. फिर नीट दी. जिसमें सफल होकर श्रेया का दाखिला अमरावती डेंटल कालेज में हो गया. बीडीएस की पढाई करते-करते उसका मन धम्म के प्रति आकर्षित हो चला. आकर्षण बढाता गया, आस्था बन गया. श्रेया ने दो वर्ष पूर्व माता-पिता को अपने दीक्षा लेने के विचार के बारे में बताया. सोच विचार कर ईश्वर और ज्योति की श्रेया को अनुमति मिल गई.
* आसेगांव पूर्णा में श्रामनेर दीक्षा
श्रेया की दीक्षा का संकल्प सोमवार को अनाथ पींडक बुद्धविहार, पोहरा आसेगाव पूर्णा में हुआ. भदंत बुद्धप्रिय, आर्य प्रजापति महाथेरी, भदंत शीलरत्न की उपस्थिति में श्रामनेर दीक्षा ली. इस समय डॉ. श्रेया के माता-पिता सहित बौद्ध उपासक उपस्थित थे. दीक्षा विधि पूर्ण होने पर श्रेया का नाम आर्या संबोधी रखा गया है. अब वे बौद्ध धम्म का प्रचार व प्रसार करेगी. फिलहाल भीमटेकडी में रह रही है. उनकी आगे एमडीएस की शिक्षा भी जारी रहेगी. उसके तीन वर्ष शेष है. फिर वे देशभर में बौद्ध धम्म के प्रचार हेतु जाएगी. इस बीच बताया गया कि, जिले में बौद्ध धर्मियों की संख्या ढाई से तीन लाख है. उस तुलना में बौद्ध भिक्खु 35 और भिक्खुनी की संख्या मात्र 10 है.