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रिश्वतखोरी के मामले में डॉ. सुरेश ठाकरे दोषी करार

एक साल की कैद व 15 हजार रूपये के जुर्माने की सजा

* अपने अधिनस्थ डॉक्टर से मांगी थी दस हजार रूपये की रिश्वत
* ढाई हजार रूपये की रिश्वत लेते पकडे गये थे रंगेहाथ
अमरावती/दि.30- स्थानीय जिला परिषद के जिला स्वास्थ्य अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. सुरेश रामकृष्ण ठाकरे को स्थानीय अदालत ने अपने सेवाकाल के दौरान अपने अधिनस्थ डॉक्टर से 10 हजार रूपये की रिश्वत मांगने और ढाई हजार रूपये की रिश्वत स्वीकार करते समय रंगेहाथ पकडे जाने के मामले में दोषी करार दिया है और उन्हें दो अलग-अलग धाराओं के तहत छह माह के सश्रम कारावास व पांच हजार रूपये दंड तथा एक वर्ष के सश्रम कारावास व दस हजार रूपये के दंड की सजा सुनाई.
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2006 में जिला परिषद के जिला स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ. सुरेश ठाकरे ने धारणी के एकात्मिक बालविकास प्रकल्प में मेडिकल ऑफिसर के तौर पर कार्यरत डॉ. अनिल बाबूलाल झामरकर को उनकी चार वर्ष की वेतनवृध्दि के 40 हजार रूपये देने हेतु 25 प्रतिशत के हिसाब से 10 हजार रूपये रिश्वत देने के लिए कहा था. जिसमें से पांच हजार रूपये एरिअर्स का बिल निकालने से पहले और पांच हजार रूपये बिल निकालने के बाद देने की बात कही गई थी. ऐसे में 2 फरवरी 2006 को डॉ. सुरेश ठाकरे ने डॉ. झामरकर से अपने कक्ष में ढाई हजार रूपये स्वीकार किये थे और शेष ढाई हजार रूपये 20 फरवरी को देने की बात तय हुई. इससे पहले डॉॅ. झामरकर ने इसकी शिकायत भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग के पास की और विभाग के तत्कालीन डीवायएसपी किरण धोटे ने डॉ. सुरेश ठाकरे को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाया. जिसके लिए डॉ. भगवान पांडा व मुरलीधर वाडेकर को पंच बनाया गया. जिनके सामने जैसे ही डॉ. सुरेश ठाकरे ने डॉ. झामरकर से रिश्वत के ढाई हजार रूपये लेकर अपनी जेब में रखे, वैसे ही जांच अधिकारी व डीवायएसपी किरण धोटे एवं उनकी टीम ने डॉ. ठाकरे के कक्ष में प्रवेश कर उनके पास से रिश्वत की रकम को बरामद किया और उनके खिलाफ गाडगेनगर थाने में अपराधिक मामला दर्ज किया गया. जहां से जांच पूरी होने के बाद 16 फरवरी 2008 को स्थानीय अदालत में गाडगेनगर पुलिस द्वारा इस मामले को लेकर अपनी चार्जशीट पेश की गई. जहां पर अभियोजन पक्ष की ओर से कुल आठ गवाह प्रस्तुत किये गये. वही बचाव पक्ष की ओर से डॉ. सुरेश ठाकरे के ड्राईवर की गवाही हुई. दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद तृतीय जिला व सत्र न्यायाधीश रविंद्र ताम्हणेकर की अदालत ने डॉ. सुरेश ठाकरे को भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून की धारा 7 व 13 (1) (ड) के तहत रिश्वतखोरी का दोषी करार दिया. साथ ही धारा 7 के तहत छह माह के सश्रम कारावास व 500 रूपये के जुर्माने तथा धारा 13 (1) (ड) के तहत एक वर्ष के सश्रम कारावास व दस हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई.
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता सुनील देशमुख ने सफलतापूर्वक युक्तिवाद किया. साथ ही एसीबी की ओर से पैरवी अधिकारी के तौर पर नापोकां राजेश कोचे ने सहयोग किया.

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