रावणपुत्र मेघनाथ के नाम से मेलघाट में आज भी लगती है वंश-परंपरागत यात्रा
मन्नत करनेवाले को बांधा जाता है खम्भे से, बरसों से चली आ रही परंपरा
चिखलदरा/दि. १०-आदिवासियों को सबसे बड़े त्योहार होली निमित्त पांच दिनों तक फगवे की ध्ाूम शुरु रहती है. होलिका दहन के बाद दूसरें और तीसरे दिन से मेघनाथ यात्रा शुरु हुई है. तहसील में जहावं साप्ताहिक बाजार लगता है, वहां यात्रा लगती है. मेघनाथ यात्रा बुधवार को जारिदा, तथा गुरुवार को काटकुंभ में लगी. सैकड़ों आदिवासी समाज बंध्ाुओं ने परंपरा के मुताबिक मेघनाथ यात्रा में पूजा -अर्चना कर यात्रा में मन्नत पूरी की. पान-बिडा की दुकान सहित अन्य वस्तुओं की दुकानें बडे़ पैमाने पर लगी थी. रावणपुत्र मेघनाथ के नाम से मेलघाट में आज भी वंश-परंपरागत यात्रा लगती है.जारिदा और काटकुंभ में परिसर के डोमा, काजलडोह, बामादेही, बगदरी, कनेरी, कोयलारी, पाचडोंगरी, खंडुखेडा, चुनखडी, खडीमल, माखला, गंगारखेडा, कोटमी, दहेंद्री, पलस्या, बुटीदा, चुरणी, कोरडा, कालीपांढरी आदि ५० से ६० गांव के आदिवासी और गैरआदिवासी यात्रा में पहुंचे.
* खम्भे से बांधकर प्रदक्षिणा
जो लोग मन्नत करते है. उनकी मन्नत पूरी होने के बाद मेघनाथबाबा के पास बैठे भूमका के पास पूजा-अर्चना की जाती है. वहां यथाशक्ति के मुताबिक आडे खम्भे से मन्नत पूरी करने वालों को बांधा जाता है. नीचे दो लोग रस्सी की सहायता से ६ प्रदक्षिणा करते है. तीन बार सीधे और तीन बार विपरित दिशा से प्रदक्षिणा की जाती है. मन्नत पूरी कर पूजा की समाप्ती की जाती है.
* ढोल-ताशा, नृत्य से यात्रा में रंगत
पान-बिडा में विवाह, ढोल-ताशा, नगाडा, डफली, ताशा बजाकर गादली नृत्य से यात्रा में रंगत बढ़ाई जाती है. बगदरी, काजलडोह, कोटमी, कोयलारी, पलासपानी का पथक इसमें सहभागी होता है.
* नेताओं की उपस्थिति
मेलघाट में होली त्योहार पर आदिवासियों के पारपंरिक उत्सव में सासंद नवनीत राणा, विधायक रवि राणा समेत बड़ी संख्या में अनेक पदाधिकारियों ने हाजिरी लगाई थी. कांग्रेस के राहुल येवले, सहदेव बेलकर सहित प्रहार, भाजपा के पदाधिकारी भी यात्रा में सहभागी हुए थे.