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सूख गए प्राकृतिक जल स्त्रोत

वन विभाग द्वारा वन क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति

* वन्यजीवों को कृत्रिम जलाशयों का सहारा
चिखलदरा/दि.8-अप्रैल के शुरू में बेमौसम बारिश हुई, लेकिन अब पिछले दो दिनों से भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा हैं. सूर्य की तीव्रता में वृद्धि का प्रभाव जंगल के प्राकृतिक जल संसाधनों पर भी पड़ा है तथा अधिकांश प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख गये हैं. इसलिए मेलघाट टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को अब कृत्रिम जलाश्यों का ही सहारा है. वन विभाग ने जंगल में कई स्थानों पर कृत्रिम जलाशय क्षेत्र बनाए हैं, जिससे वन्यजीवों की प्यास बुझ रही है. वन विभाग ने अब टैंकरों और सौर पंपों के माध्यम से कृत्रिम तालाबों में नियमित जलापूर्ति शुरू कर दी है.
* सूख गई नदियां
मेलघाट के पहाड़ियों के जंगलों में भूजल स्तर कम हो गया है. इसलिए जंगल के जानवर प्यास बुझाने के लिए भटकने पर मजबूर हो गए है. प्राकृतिक संसाधन सूख जाने के कारण वन्य जीवन भी गंभीर संकट का सामना कर रहा है. ऐसी संभावना है कि पानी से परेशान होकर वन्यजीव भटककर शहर की ओर चले आएंगे. वर्तमान में जंगल की अधिकांश नदियां पानी की कमी के कारण सूख चुकी हैं. मेलघाट टाइगर रिजर्व वन में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए कई प्राकृतिक जलाशय हैं. लेकिन इस साल बढ़ती गर्मी के कारण ये प्राकृतिक संसाधन सूख गए हैं.
* वन्यजीवों के पलायन की संभावना
अपने प्राकृतिक आवासों को पसंद करने वाले वन्यजीवों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों के सूख जाने के कारण इन आवासों से पलायन करने की संभावना है. वर्तमान में जंगली जानवर कृत्रिम जल स्रोत पर अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल में भटकते नजर आते हैं. इसलिए, टाइगर परियोजना के अधिकारियों द्वारा अब वन क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति की जानक से जल संकट की गंभीरता कुछ हद तक कम हो गई है. कृत्रिम जलसंग्रहण क्षेत्र में पानी की आपूर्ति शुरू कर दी है. इसलिए, वन्यजीवों के लिए कृत्रिम जलाशय सहारा बने है.
* पतझड़ से जंगल वीरान
पतझड़ से जंगल में हरियाली खत्म होने से वन्यजीव चिलचिलाती धूप से झुलस रहे हैं. ये जंगली जानवर पानी की तलाश में हर दिशा में भाग रहे हैं. जंगल से निकलने वाली खंडू, खापरा, राजा दही, डवाल, कुकरी, सिपना, गडगा, मेलडोह जैसी नदियां मई में ही बहना बंद हो गईं, इसलिए वन अधिकारी वन्यजीवों की सहायता के लिए आगे आए हैं. भीषण गर्मी के दौरान टाइगर रिजर्व के अधिकारी, कर्मचारी और वनकर्मी ट्रैक्टरों के जरिए जलाशयों में पानी पहुंचाते नजर आते हैं.
* वन परिक्षेत्र अधिकारी टीम कार्यरत
मेलघाट टाइगर रिजर्व के जंगलों में इस समय वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए दिन-रात देखभाल की सुखद तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. हतरू, रायपुर, जारीदा, सेमाडोह, हरिसाल, चौराकुंड, तारूबांदा, हरिसाल, सेमाडोह के वन परिक्षेत्र अधिकारी अपनी टीमों के साथ इन जलाशयों पर ध्यान केंद्रित कर वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे है.

सौर जलापूर्ति सुविधाएं भी उपलब्ध
सूर्य की तीव्रता बढ़ गई है. इससे प्राकृतिक जल संसाधन प्रभावित हुए हैं. लेकिन वनविभाग ने कृत्रिम तालाब बनाए हैं और उनमें नियमित जलापूर्ति कराई जा रही है. कई स्थानों पर सौर जल आपूर्ति सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई है.
-आदर्श रेड्डी, क्षेत्र संचालक,
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प, अमरावती
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