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अमरावती, यवतमाल, बुलढाणा व वर्धा जिलों में जहरीला है पीने का पानी

भूजल में नाईट्रेट का प्रमाण 35 मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक

* भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 से सामने आयी सनसनीखेज जानकारी
* देश के 15 जिलों में महाराष्ट्र के 7 जिलों का समावेश, अमरावती भी रेड झोन में शामिल
मुंबई/दि.6– महाराष्ट्र के अमरावती, यवतमाल, बुलढाणा, वर्धा, नांदेड, बीड व जलगांव इन 7 जिलों के भूगर्भीय जल मेें जहरीले घटक घुले रहने की सनसनीखेज जानकारी केंद्र सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के जरिए सामने आयी है. इन जिलों के भूजल में नाइट्रेट नामक घातक रसायन का प्रमाण खतरे के स्तर से अधिक पाया गया है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है. केंद्र सरकार की रिपोर्ट के तहत देश के 15 जिलों को रेड झोन में रखा गया है. जिसमें महाराष्ट्र के ही सबसे अधिक 7 जिलों का समावेश है.
बता दें कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पीने के पानी में नाइट्रेट की अधिकतम मर्यादा 45 मिली ग्राम प्रति लीटर निश्चित की है. परंतु देश के करीब 440 जिलों के भूगर्भीय जल में नाइटे्रट का प्रमाण इससे अधिक पाया गया है. केंद्रीय भूजल मंडल (सीजीडब्ल्यूबी) की ओर से जारी वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट-2024 में यह खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन किये गये सैम्पलों में से 20 फीसद सैम्पलों में नाइटे्रट का प्रमाण तय मर्यादा से कही अधिक पाया गया.

* 15 जिले रेड झोन में
महाराष्ट्र – अमरावती, यवतमाल, बुलढाणा, वर्धा, नांदेड, बीड व जलगांव.
तेलंगणा – रंगारेड्डी, आदिलाबाद व सिद्धिपेठ.
राजस्थान – बाडमेर व जोधपुर.
तमिलनाडू – विल्लुपुरम.
आंध्रप्रदेश – पलनाडू.
पंजाब – भटिंडा.

* यह है नाइट्रेट का स्त्रोत
मलजल को लेकर अव्यवस्थापन, वॉटर ट्रिटमेंट लॉन की योग्य देखभाल नहीं करना व रासायनिक खादों का बेतहाशा प्रयोग.

* यह राज्य है खतरे के मुहाने पर
उत्तर प्रदेश, केरल, झारखंड व बिहार.
* इन राज्यों को नहीं खतरा
अरुणालय प्रदेश, आसाम, गोवा, मेघालय, मिजोरम व नागालैंड.

– 20% सैम्पलों में नाइट्रेट का प्रमाण अधिक
– 9.04% सैम्पलों में फ्लोराइड का प्रमाण मर्यादा से अधिक
– 3.55% सैम्पलों में आर्सेनिक प्रदूषण पाया गया

* कहां अधिक पाया गया नाइट्रेट का प्रमाण?
40% से अधिक – राजस्थान, कर्नाटक व तमिलनाडू.
35.74% – महाराष्ट्र.
27.48% – तेलंगना.
23.50% – आंध्रप्रदेश.
22.58% – मध्यप्रदेश.

– राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों में नाइटे्रट का स्तर वर्ष 2015 से स्थिर.
– उत्तर प्रदेश तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश व हरियाणा में 2017 से 2023 के दौरान नाइट्रेट का प्रमाण बढा.

* 38 करोड लोग खतरे में
– भारत के भूगर्भिय जल में नाइट्रेट प्रदूषण की स्थिति का अनुमान अमरीकन केमिकल सोसायटी की रिपोर्ट में जताया गया है. जिसके मुताबिक भारत का 37 फीसद भूभाग और 38 करोड लोग नाइटे्रट के खतरे के दायरे में है.

* 15,259 स्थानों पर परिक्षण
– मई 2023 में भूजल की गुणवत्ता को जांचने हेतु देशभर में कुल 15259 स्थानों का चयन किया गया.
– इसके तहत 25% कुओं (बीआईएस 10500 के अनुसार सर्वाधिक धोखादायक) का अध्ययन किया गया.
– पुनर्भरण के चलते गुणवत्ता पर होने वाले परिणाम की जानकारी लेने हेतु 4982 स्थानों से मानसून पूर्व व मानसून पश्चात भूजल के सैम्पल लिये गये.

* मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पीने के पानी में नाइट्रेट की अधिकतम मर्यादा 45 मिली ग्राम प्रति लीटर निश्चित की है.

* कितना है खतरनाक?
पानी अथवा भूजल के जरिए शरीर में प्रवेश करने के बाद मूंह एवं आंतों में जीवाणुओं के जरिए नाइट्रेट का रुपांतरण ऑक्सीडाइजर नाइट्रेट में होता है और वह नाइट्राइट हिमोग्लोबीन में आर्यन फैरस को फैरिक में बदल देता है.
इसकी वजह से हिमोग्लोबिन का रुपांतरण मेटहिमोग्लोबिन में होता है और ऐसी स्थिति में हिमोग्लोबिन यानि रक्त द्वारा ऑक्सीजन को वहन करने की क्षमता कम हो जाती है.

* किन बीमारियों का खतरा?
पेट का कैंसर
छोटे बच्चों में ‘ब्ल्यू बेबी सिंड्रोम’
जन्मदोष
जन्मजात व्यंग
न्यूरल ट्यूब दोष

* नाइटे्रट का प्रमाण बढने की वजह
भूजल में नाइट्रेट का बढता स्तर अत्याधिक सिंचाई का प्रमाण भी हो सकता है. खाद में रहने वाला नाइट्रेट जमीन में रिसकर भूगर्भीय जल में घूल जाता है.

* बचाव के उपाय पीने हेतु सुरक्षित पर्याय, जैसी कि, बोतल बंद पानी का प्रयोग करें.
– निजी बोयरवेल या कुओं से पीने हेतु पानी का प्रयोग करने हेतु साल में कम से कम एक बार पानी में नाइट्रेट के स्तर की जांच कराये.
– नाइट्रेट का प्रमाण अधिक रहने पर उबले हुए पानी का प्रमाण करना सबसे सुरक्षित उपाय व पर्याय है.
– परिसर में नाइट्रेट के संभावित स्तरों को खोजे और उन्हें दूर करें.

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