अमरावती

इर्विन के किमोथेरेपी युनिट में दवाओं की किल्लत, इलाज बंद

पिछले 9 माह से कैन्सर पीडित मरीजों का बुरा हाल

आर्थिक नुकसान, निजी दुकान से दवा खरीदने के लिए एक बार में लगते है 10 हजार
अमरावती-दि.11  जिला अस्पताल के किमोथेरेपी युनिट में दवा की किल्लत निर्माण हुई है, जिससे कैन्सर पीडित मरीजों का इलाज बंद है. पिछले 9 माह से शासन व्दारा किमोथेरेपी के लिए दवाओं का भंडारण नहीं मिला, जिससे मरीजों को निजी दुकानों से दवा लाने के लिए प्रति किमोथेरेपी के पीछे 10 से 15 हजार रुपए का नुकसान भुगतना पड रहा है.
कैन्सर पीडित मरीजों के इलाज के लिए इर्विन अस्पताल में वर्ष 2012 में किमोथेरेपी युनिट की शुरुआत की गई. उस समय एक मरीज के लिए सालाना शासन की ओर से 1 लाख रुपए का अनुदान मिलता था. परंतु इसमें गैर लेन-देन होने की बात समझ में आने के कारण शासन ने अनुदान बंद कर 2015 से केवल दवाएं भेजना शुरु की. परंतु पिछले 9 माह से शासन व्दारा दवाएं प्राप्त ही नहीं हुई. जिससे कैन्सर पीडित मरीजों का बुरा हाल हुआ है. साल में करीब दो से तीन बार कैन्सर पीडितों को किमोथेरेपी लेना पडता है. मरीजों की स्थिति गंभीर हो तो पांच बार भी (साईकल) किमोथेरेपी दी जाती है. इसके लिए 30 से 50 हजार रुपए का खर्च मरीज के लिए संभव नहीं है.
दवा शासन से आने के कारण इर्विन में मुफ्त किमोथेरेपी होती थी. परंतु निजी तौर पर हर बार खर्च 10 से 15 रुपए आता है. यह खर्च गरीब मरीजों के हैशियत से बाहर है. इर्विन में पिछले वर्ष 19 मरीजों ने 226 बार किमोथेरेपी का इलजा दिया गया. इस बार 9 मरीज है. 55 बार इलाज हुआ है. उसका खर्च मरीज व रिश्तेदारों को भुगतना पड रहा है. युनिट में दवा न होने के कारण बाहर से दवा लेना पड रहा है. जिसके लिए गरीब मरजों को कर्ज भी लेना पडता है. किमोथेरेपी युनिट में हर माह के तीसरे शनिवार कैन्सर तज्ञ डॉक्टर नागपुर से मरीजों की जांच के लिए आते है. इस समय जिस मरीज को किमोथेरेपी की जरुरत रहती है, उसका इलाज किया जाता है, मगर दवा उपलब्ध न होने के कारण इलाज के बगैर ही मरीजों को वापस लौटना पडता है.
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पालकमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने का किया वादा
बीते शुक्रवार 7 अक्तूबर को जिला नियोजन समिति की समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री व जिले के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जिले के स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने का वादा किया. ऐसे में सामान्य कैन्सर पीडित व्यक्ति को शासन ने हवा में छोड रखा है. उन जरुरतमंद मरीजों को निजी तौर पर इलाज करना पड रहा है.

शासन से की दवा की मांग
किमोथेरेपी के लिए लगने वाली दवा की मांग की हेै. किमो की दवा शासन व्दारा भिजवाई जाती है, इस बार भी मांग की गई है. जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया है. दवा कमी की स्थिति फिलहाल पूरे राज्यभर में है.
– डॉ. दिलीप सौंदले, जिला शल्यचिकित्सक अमरावती

ऐसी है दवा की मांग
– टैब. टीएल ऍडल्ट- 700
– टैब. एएल ऍडल्ट- 3600
– टेैब. एलवीपी / आर ऍडल्ट- 6000
– टैब. एलवीपी / आर (पी)- 4000
– टैब झेडएल (पी)- 7000
– टैब झेडएलएन (पी)- 1500
– पीमा सीडी- 4 कैटरिज अ‍ॅनालाईझर- 1000
– टैब एएल (पी)- 11000
– कुल 41,100

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