अमरावती/ दि.9 – अमरावती जिला कभी भी जलकिल्लत की समस्या से जूझने वाला क्षेत्र नहीं था, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 50 वर्षों में जिले की हर एक तहसील में जलस्तर लगातार भूजल कम होते जा रहा है. विशेष रुप से विदर्भ का कैलिफोर्निया कहे जानेवाले मोर्शी व वरुड तहसीलों में स्थिति इतनी बिकट है कि यहां के कई स्थानों को ड्राईजोन घोषित कर दिया गया है. पिछले वर्ष हुई झमाझम बारिश के बाद भी यहां के हालात को बदलने में प्रशासन नाकाम है. ड्राईजोन घोषित मोर्शी, वरुड के क्षेत्रों को जल किल्लत से मुक्त करने के लिए मनरेगा तथा सिंचाई विभाग की ओर से संचालित योजनाओं के तहत 2 करोड की लागत से जलसंगह के कार्य किए जाएंगे.
मोर्शी, वरुड यह दोनों ही तहसीलें कृषि बहुल क्षेत्र हैं. यहां की जमीन में उपजाउ क्षमता अधिक पाई जाती है. इसके बावजूद भी किसानों के लिए जल किल्लत हमेशा ही मुख्य समस्या का कारण बनी हुई है. न केवल किसानों को सिंचाई के लिए पानी की कमी महसूस होती है, बल्कि जमीन का भूजल स्तर काफी नीचे होने की वजह से बुआई से पहले खेतों को तैयार करने में भी काफी मशक्कत करनी पडती है. जिससे किसानों का खर्च व मेहनत दोनों बढ जाते हैं. अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में उन तहसीलों के किसानों को बिकट संकट से जुझना पडेगा. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से इस वर्ष मानसून से पहले ही बडे पैमाने पर जल संग्रहालय बनाने का कार्यक्रम चलाया जाएगा. जल संग्रहालयों के साथ-साथ भूजल स्तर का प्रमाण बढाने के लिए जगह-जगह रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे. इसकी शुरुआत ग्राम पंचायत कार्यालयों से लेकर समाज भवन से की जाएगी. इसके अलावा ग्रामीण स्कूलों तथा गांव के प्रतिष्ठित नागरिकों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा. जिले में पिछले दो वर्षों से बेहतर मानसून के बावजूद भी कई स्थानों पर जल संकट लगातार गहराता जा रहा है.