अमरावती

कोरोना के चलते कपडा व्यवसाय में करोडों का व्यवहार ठप्प

सिटीलैण्ड व बिझीलैण्ड का गारमेंट उत्सव भी रद्द

  • सैंकडों कर्मचारियों व कामगारों पर बेरोजगारी का संकट

अमरावती प्रतिनिधि/दि.५ – कोरोना संक्रमण के खतरे तथा लॉकडाउन की वजह से यहां के बिजीलैण्ड व सिटीलैण्ड में कपडों के करोडों रूपयों के व्यवहार विगत चार माह से पूरी तरह से अवरूध्द हो गये है तथा कई दूकानें व्यवसाय नहीं रहने की वजह से बंद होने की कगार पर जा पहुंची है. प्रतिवर्ष अगस्त माह के दौरान बिजीलैण्ड व सिटीलैण्ड में आयोजीत होनेवाला गारमेंट उत्सव इस बार रद्द कर दिया गया है. जिसका सीधा असर रोजगार के अवसरों पर पडा है और इन चार माह के दौरान करीब ५०० लोग पूरी तरह से बेरोजगार हो गये है. जिसकी वजह से इन परिवारों के करीब ३ हजार लोग प्रभावित हुए है. बता दें कि, वर्ष २०१० में नांदगांव पेठ के पास बिझीलैण्ड नामक व्यापारिक संकुल शुरू हुआ. जहां पर सभी बडे-बडे कपडा शोरूम खुले और देखते ही देखते अमरावती का नाम कपडा व्यवसाय के लिए देश के विभिन्न हिस्सों तक जा पहुंचा. इसके बाद सिटीलैण्ड व ड्रिम्जलैण्ड भी अस्तित्व में आये. जिनसे शहर के कपडा व्यवसाय को गति मिलने के साथ ही नई उंचाई भी प्राप्त हुई. प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी जनवरी व फरवरी माह के दौरान सभी व्यापारियों ने गरमी के मौसम में आनेवाले शादी-ब्याह के सीझन को देखते हुए कपडों का स्टॉक जमा करना शुरू किया. लेकिन २१ मार्च को कोरोना संक्रमण के लगातार फैलते संक्रमण को देखते हुए अचानक ही लॉकडाउन शुरू हो गया और कपडों का स्टॉक जस का तस इन व्यापारियों के गोडाउन व दूकानों में पडा रह गया. जिसकी वजह से सभी व्यापारियों को करोडों रूपयों का नुकसान हुआ. बता दें कि, बिजीलैण्ड, सिटीलैण्ड व ड्रिम्जलैण्ड इन तीनों व्यापारिक संकुलों में कपडा बिक्री की ५०० से अधिक दूकाने है. यहां के व्यापारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन में जहां एक ओर उनकी दुकाने पूरी तरह से बंद थी, वहीं दूकान में काम करनेवाले सभी कर्मचारियों को वेतन देना शुरू था. शादी-ब्याह के सीझन को ध्यान में रखकर खरीदा गया कपडों का स्टॉक अब व्यापारियों को पूरे सालभर संभालकर रखना पड रहा है. यहां पर दिल्ली, कोलकाता, लुधियाना, बंगलुरू, इंदौर, सूरत, अहमदाबाद, पाली व मुंबई इन बाजारपेठों से कपडा आता है. लेकिन अब इन बाजारपेठों से खरीदे गये कपडों का पेमेंट कहां से करे, इस गंभीर सवाल से स्थानीय कपडा व्यापारी जूझ रहे है. सबसे बडी समस्या यह है कि, कपडा व्यवसाय में एक साल का समय काफी लंबा वक्त होता है और इस दौरान कपडों की डिजाईन को लेकर फैशन बदल जाता है. ऐसे में फिलहाल उपलब्ध स्टॉक को निकालना भी अपने आप में एक बडी समस्या है. हालांकि इस समय अनलॉक की प्रक्रिया के तहत सभी कपडा बाजार पूरी तरह से खुल गये है, लेकिन बाजार में ग्राहक ही नहीं है. जबकि दूकान से संबंधित वेतन, किराया, बिजली खर्च जैसे तमाम खर्चे पूरी तरह से लागू है. ऐसे में अपेक्षित कमाई के अभाव में व्यापारी त्रस्त हो चले है और कई व्यापारी अपनी दूकान बंद करने की मानसिकता तक पहुंच गये है. उल्लेखनीय है कि, बिजीलैण्ड, सिटीलैण्ड व ड्रिम्जलैण्ड में प्रतिवर्ष अगस्त माह के दौरान गारमेंट उत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमें महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों सहित कर्नाटक, तेलंगना, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात आदि स्थानों से ४ से ५ हजार व्यापारी कपडा खरीदी के लिए अमरावती आते है और इस गारमेंट उत्सव के दौरान भी करोडों रूपयों के व्यवहार होते है. लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए गारमेंट उत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा. ऐसे में इस वर्ष करोडों रूपयों के ये व्यवहार नहीं होंगे. इस समय कपडा व्यवसाय में हालात ऐसे है कि, अगर दूकानदारों द्वारा अपने खरीदी मूल्य में भी कपडों को बिक्री हेतु उपलब्ध कराया जाये, तो भी कपडा खरीदी के लिए ग्राहक ही उपलब्ध नहीं है. यहां के अधिकांश व्यापारी महाराष्ट्र सहित कर्नाटक व मध्यप्रदेश आदी स्थानों पर कपडा बिक्री के लिए सैम्पल लेकर जाते है और कपडों के ऑर्डर की बुqकग करते है, लेकिन इस समय आवागमन ही रद्द रहने की वजह से अग्रीम बुकींग भी पूरी तरह से बंद है.

लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान हुआ है.
प्रतिवर्ष अगस्त माह के दौरान गारमेंट उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें सभी दूकानदारों के यहां बडे पैमाने पर कपडा खरीदी-बिक्री के व्यवहार होते है. qकतु इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए गारमेंट उत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा. जिसकी वजह से सभी व्यवहार ठप्प पडे है. – किशन कोटवानी अध्यक्ष, सिटीलैण्ड व्यापारी एसो.

Related Articles

Back to top button