अमरावतीमहाराष्ट्र

‘गाविलगढ फॉल्ट’ के चलते मेलघाट में महसूस होते है भूकंप के झटके

दक्खन के भूस्तर में कुछ स्थानों पर होता है कंपन

* अध्ययन पश्चात ‘जीएसआई’ ने दी जानकारी
अमरावती/दि.5– राज्य में कई स्थानों पर लावा से तैयार हुई दक्खन क्षेत्र की जमीन है. जिसमें मेलघाट का भी समावेश है. दक्खन के भूस्तर में जमीन के नीचे रहने वाली दरारों में पानी भरने के बाद वहां मौजूद हवा के बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरु होती है. जिसके चलते भूगर्भ में गडगडाहट जैसी आवाज होने के साथ-साथ कंपन भी होना शुुरु हो जाता है. यहीं वजह है कि, पर्वतीय अंचल रहने वाले मेलघाट क्षेत्र में अब तक कई बार भूकंप के झटके महसूस किये जा चुके है तथा अनेकों बार भूगर्भ के नीचे से आती गडगडाहट वाली आवाज भी सुनाई दी है. जिसे ‘गाविलगढ फॉल्ट’ कहा जाता है. इस आशय की जानकारी विगत दिनों मेलघाट क्षेत्र में आये भूकंप की वजहों का अध्ययन करने के लिए मेलघाट पहुंचे भूवैज्ञानिकों के दल द्वारा दी गई.
जीएसडीए के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा से तैयार हुई जमीन को ठंडक मिलने के बाद गरम हिस्सा नीचे चला जाता है और कुछ स्थानों पर ‘पोकल’ यानि खाली जगह तैयार हो जाती है. जिसे लावा ट्यूब कहा जाता है और ऐसी दरारनुमा जगह में जमीन के नीचले हिस्से में तैयार होने गैस भरी होती है, जो जमीन में रहने वाली इन दरारों में बारिश के पानी का रिसाव होने और इन दरारों में बारिश का पानी भरने पर वहां रहने वाले गैसेस बाहर निकलने का प्रयास करते हुए बाहर निकलने के लिए जगह भी खोजती है. यह एक तरह से गुब्बारे से हवा बाहर निकलने की तरह होता है और इससे पहले मेलघाट के कई हिस्सों में इस तरह का प्रकार हो चुका है. ऐसी जानकारी जीएसडीए के भूवैज्ञानिक द्वारा दी गई है.

* राज्य के भूगर्भ में 51 प्रकार के भूस्तर
महाराष्ट्र के भूगर्भ में 51 प्रकार के भूस्तर यानि फ्लो है, जिसमें से चूनखडी यानि लाइन स्टोन वाले भूस्तर में सबसे अधिक दरारें यानि ट्रैप है. जमीन की रचना कुछ ऐसी है कि, इसमें एक के उपर दूसरें चट्टान यानि रॉक की निर्मिति होती है. जिसके चलते बेसॉल्ट, रेबोर्ड व ब्यूबोल्ट जैसे अलग-अलग स्तर एक के उपर एक तैयार होते है. इसके चलते नीचे रहने वाले स्तर दबना शुरु होते है. इसमें कई स्थानों पर स्तर बेहद पतला होता है और उसमें पानी भी रहता है. यह पानी भूगर्भ के स्तर में रहने वाल दरार में रिसने के चलते ‘अर्थक्वेक स्वार्न’ का प्रकार इससे पहले भी मेलघाट में कई बार घटित हो चुका है. इससे पहले मेलघाट क्षेत्र के साद्राबाडी गांव सहित आसपास के 30 किमी के दायरे में भूगर्भ से आने वाली आवाज को लेकर जिलाधीश को जीएसआई के पथक द्वारा अपनी रिपोर्ट अगस्त 2018 में सौंपी गई थी.

* बारिश के अंत में ही मेलघाट में भूकंप
बता दें कि, धारणी तहसील में अगस्त 2023 व अगस्त 2018 में भूकंप सहित भूगर्भ से आवाज आने के मामले घटित हुए. उस समय साद्राबाडी गांव में आये भूकंप की तीव्रता 2.5 रिक्टर दर्ज की गई. इसके साथ ही चिखलदरा तहसील के आमझरी व टेटू गांव सहित आसपास के इलाकों में अभी हाल फिलहाल 1 अक्तूबर 2024 को 4.5 रिक्टर की तीव्रता वाला सौम्य भूकंप महसूस किया गया. जिससे साबित होता है कि, मेलघाट क्षेत्र में बारिश का मौसम बितते बितते भूगर्भ से नीचे आवाजे जाने के साथ ही भूकंप के झटके भी महसूस होते है.
इस आकलन के आधार पर जीएसआई के भूवैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि, बारिश के मौसम दौरान आसमान से जमीन पर बरसने वाला पानी धीरे-धीरे रिसकर जमीन के नीचे भूगर्भ मेें पहुंचता है. भूगर्भ के भीतर रहने वाली दरारों में इस पानी के भरने की वजह से वहां मौजूद रहने वाली हवा बडी तेजी के साथ बाहर निकलनी शुरु होती है. जिसके चलते जमीन के भीतर से गडगडाहट जैसी आवाजें आने के साथ ही भूस्तर के सरकने की वजह से भूकंप महसूस होता है.

* आमझरी में आया भूकंप काफी सौम्य स्वरुप का था, जिसे लेकर जीएसआई की टीम द्वारा अध्ययन व संशोधन किया जा रहा है. इस क्षत्र में बडे एवं तीव्र स्वरुप का भूकंप आने की कोई संभावना नहीं है, अत: नागरिकों ने भूकंप को लेकर घबराना नहीं चाहिए.
– सौरभ कटियार,
जिलाधीश अमरावती.

Related Articles

Back to top button