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कोविड के चलते अनाथ हुए विद्यार्थी शुल्क माफी से वंचित!

सरकारी आदेश को महाविद्यालयों ने दिखाई कचरे की टोकरी

अमरावती/दि.24– कोविड की महामारी में जिन छात्र-छात्राओं के माता-पिता यानी दोनों अभिभावकों का निधन हो गया है, उन्हें पदवी व पदव्युत्तर पदवी की शिक्षा पूर्ण होने तक पूरा शुल्क माफ करने राज्य सरकार द्वारा लिया गया था. जिसके बाद राज्य के सभी विद्यापीठों ने भी अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले महाविद्यालयों के नाम शुल्क माफी को लेकर फरमान जारी किया था. किंतु हकीकत यह है कि, अब जारी वर्ष का शैक्षणिक सत्र खत्म होने में है और विद्यापीठ से संलग्नित महाविद्यालयों द्वारा अब तक लाभार्थी छात्र-छात्राओं को शुल्क में किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जा रही है. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, सरकार की घोषणा पर विश्वास रखते हुए शुल्क नहीं भरनेवाले ऐसे छात्र-छात्राओं को अब शुल्क के अभाव में परीक्षा देने से रोका जा रहा है.
ज्ञात रहे कि, कोविड की भीषण महामारी के दौरान कई बच्चों ने अपने अभिभावकों को खो दिया. ऐसे में इन बच्चों की सहायता करने हेतु राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग ने 28 जून 2021 को राज्य के सभी विद्यापीठों के कुलगुरूओं की बैठक ली. जिसमें जिन छात्र-छात्राओें के माता या पिता अथवा दोनों अभिभावकों की कोविड संक्रमण की वजह से मौत हुई है, ऐसे विद्यार्थियोें को पदवी व पदव्युत्तर शिक्षा पूर्ण होने तक पूरा शुल्क माफ करने का निर्णय लिया गया. जिसके पश्चात उच्च शिक्षा संचालक धनराज माने द्वारा जुलाई 2021 को सभी अकृषक विद्यापीठों के कुलगुरूओं के नाम पत्र लिखकर इस संदर्भ में सूचना दी गई. जिसके आधार पर विद्यापीठो द्वारा अनुदानित महाविद्यालयों तथा विद्यापीठिय विभागों में सभी पाठ्यक्रमों हेतु लिये जानेवाले सभी तरह के शुल्क को माफ करने का निर्णय लिया गया. किंतु जमीनी हकीकत यह है कि, महाविद्यालयों द्वारा इस आदेश को कचरे की टोकरी दिखा दी गई है और अब तक कोविड की महामारी के दौरान अनाथ हुए किसी भी छात्र-छात्रा का कोई शुल्क माफ नहीं हुआ है.

शुल्क माफी के संदर्भ में सभी महाविद्यालयों को आवश्यक निर्देश दिये जा चुके है. इसके बावजूद यदि किसी भी महाविद्यालय द्वारा आदेश की अवहेलना की जाती है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी.
– डॉ. तुषार देशमुख
कुलसचिव, संगाबा अमरावती विद्यापीठ

जिन पात्र लाभार्थी विद्यार्थियों को शुल्क माफी देने से महाविद्यालयों द्वारा इन्कार किया जा रहा है. उन्होंने हमारे पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए. हमारे विभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई करते हुए पात्र विद्यार्थियों को शुल्क माफी का लाभ उपलब्ध कराया जायेगा.
– डॉ. धनराज माने
संचालक, उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग

* क्या कहते हैं विद्यार्थी
एक नामांकित संस्था के पदवी पाठ्यक्रम प्रथम वर्ष में प्रवेशित विद्यार्थी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कोविड संक्रमण की वजह से उसके माता-पिता का निधन हो गया था और उसने सरकार द्वारा शुल्क माफी का निर्णय घोषित किये जाने की वजह से महाविद्यालय का शुल्क नहीं भरा. लेकिन अब महाविद्यालय द्वारा बार-बार शुल्क भरने हेतु कहा जा रहा है. जिस पर जब इस विद्यार्थी ने महाविद्यालय को अपनी परिस्थिति एवं इस संदर्भ में सरकारी निर्णय की जानकारी दी, तो महाविद्यालय द्वारा उसे विद्यापीठ से संपर्क करने हेतु कहा गया. किंतु विद्यापीठ में आवेदन करने के बाद वहां से भी इस समय का कोई समाधान नहीं हुआ. यह स्थिति अन्य कई महाविद्यालयों एवं अन्य कई विद्यापीठों में भी है. जिसके चलते कोविड की वजह से अनाथ हुए छात्र-छात्राओं द्वारा अब शुल्क माफी के लिए संघर्ष किया जा रहा है.

* क्या कहती है शिक्षा संस्थाएं
शुल्क माफी के संदर्भ में अलग-अलग महाविद्यालयों से पूछताछ करने पर बताया गया कि, शुल्क माफी के संदर्भ में महाविद्यालयों को सूचित तो किया गया, किंतु इन विद्यार्थियों का शुल्क माफ करने पर उस शुल्क की भरपाई कौन करेगा. यह पैसा महाविद्यालयों को राज्य सरकार या विद्यापीठ में से कौन अदा करेगा, इस बारे में कोई जानकारी स्पष्ट नहीं की गई है. महाविद्यालयों को वेतन के अलावा अन्य किसी भी तरह का कोई अनुदान नहीं दिया जाता है. ऐसे में हम शुल्क किस आधार पर माफ करें, यह हमारे सामने बडी समस्या है.

* उच्च शिक्षा विभाग है अनभिज्ञ
इन्हीं सबके बीच स्टुडंट हेल्पींग हैण्ड नामक संस्था द्वारा सूचना के अधिकार कानून अंतर्गत उच्च व तंत्रशिक्षा विभाग के पास आवेदन करते हुए कोविड के चलते अनाथ हुए महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओें की संख्या और अब तक कितने महाविद्यालयों द्वारा शुल्क माफी का लाभ दिया गया, इसकी जानकारी मांगी गई. जिसके जवाब में उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया कि, इस बारे में अब तक महाविद्यालय व विद्यापीठों की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. अत: विभाग के पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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