अमरावती

निधि के अभाव में 27 वर्षों से अटकी पडी है भूमिगत गटर योजना

केंचूआ गति से चल रहा काम, शहरवासी हो गए त्रस्त

* 220 किमी में से केवल 44 किमी तक डाली गई पाइप-लाइन
* शहर के मध्यवर्ती हिस्सों में कनेक्शन के काम अधूरे
* अब तक केवल 48 फीसद ही काम हुआ
अमरावती /दि.2– किसी समय अमरावती शहर में बडे गाजे-बाजे के साथ शुरु की गई भूमिगत गटर योजना विगत 27 वर्षों के दौरान सरकार से निधि नहीं मिलने के चलते अधर में लटकी पडी है और इस योजना का काम अधूरा पडा हुआ है. इस योजना की रफ्तार इतनी अधिक सुस्त है कि, इस योजना के तहत निर्धारित 220 किमी में से केवल 44 किमी की लंबाई वाली भूमिगत पाइप-लाइन का जाल शहर के मध्यवर्ती हिस्सों में डाला जा सका है. लेकिन भूमिगत गटर के साथ कई नागरिकों के घरों से निकलने वाली गंदे पानी की नालियों का कनेक्शन नहीं जोडा गया है. शहर में इस योजना के तहत अब तक केवल 48 फीसद काम पूरा हो पाया है. जिसके तहत अन्य क्षेत्र में गंदगी और दुर्गंध से भरा रहने वाला गंदा पानी खुले भूखंडों और सडकों पर ऐसे ही खुलेआम बहता है. जिसकी वजह से अमरावती शहरवासी अच्छे खासे त्रस्त हो गए है.

बता दें कि, सन 1995-96 में भूमिगत गटर योजना को मंजूरी मिलेगी और इस योजना को पूरा करने की जबाबदारी मजीप्रा को सौंपी गई थी. जिसके बाद सरकार से निधि मांगकर निविदा प्रक्रिया चलाते हुए कार्यारंभ आदेश दिया गया था. पश्चात इस योजना के लिए सरकार से जितनी निधि मांगी गई थी, उसमें से केवल 20 से 25 फीसद निधि 2 चरणों में सरकार द्वारा दी गई. वहीं तीसरी बार निधि मांगे जाने पर सरकार ने 140 करोड में से 83 करोड रुपए ही दिए तथा शेष रकम अब तक नहीं मिली है. अमृत-1 योजनांतर्गत केवल घरों से कनेक्शन जोडने के लिए ही पैसा आया था. क्योंकि सरकार ने पहले घरों से कनेक्शन जोडने का सुझाव दिया था. कनेक्शन जोडने का काम मनपा द्वारा पूरा किया जाना अपेक्षित रहने के बावजूद भी मनपा की ओर से यह काम पूरा नहीं किया गया. जिसके चलते कुल 220 किमी में से केवल 20 फीसद यानि 44 किमी अंतर्गत पाइप लाइन का जाल ही शहर के मध्यवर्ती क्षेत्र में डाला जा सका. इसके पश्चात अमृत-2 योजना शीर्ष अंतर्गत अब भी निधि नहीं मिली है. जिसके चलते भूमिगत गटर योजना का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है, ऐसी जानकारी मजीप्रा द्वारा दी गई है.

यदि इस योजना के लिए समय पर निधि प्राप्त हो जाती है, तो अब तक शहर के करीब 90 फीसद क्षेत्र में भूमिगत गटर की पाइप-लाइन का जाल बिछा देना संभव हो जाता. जिसे नई रिहायशी बस्तियों के साथ जोडने में कोई विशेष उठापठक भी नहीं करनी पडती. परंतु योजना का काम आधा-अधूरा पडा रहने के चलते अब योजना पर होने वाला खर्च और इसे पूरा करने हेतु किए जाने वाले काम भी बढ गए है.

* पालकमंत्री भी हुए चकित
भूमिगत गटर योजना की शहर में सुस्त रफ्तार देखकर खुद जिला पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल भी चकित हो गए थे और उन्होंने योजना के कामों की रफ्तार बढाने का निर्देश दिया था. शहर में साफ-सफाई हेतु प्रॉपर्टी चेंबर को एक-दूसरे से जोडना बेहद आवश्यक है. जिसके लिए सरकार की ओर से जरुरी निधि प्रदान की जाएगी. साथ ही जिन क्षेत्रों में योजना का काम पूरा हो चुका है. वहां पर घरों से निकलने वाले गंदे पानी का कनेक्शन भूमिगत गटर योजना से जोडने का काम किया जाएगा, ऐसा भी पालकमंत्री पाटिल ने कहा था.

* निधि की कमी के चलते गति हुई सुस्त
भूमिगत गटर योजना के काम हेतु निधि की हमेशा कमी बनी रही. साथ ही इस योजना के शीर्ष भी बदलते रहे. अभी यह योजना अमृत-1 और अमृत-2 में स्थानांतरित होती रही. यही बात योजना की रफ्तार सुस्त रहने के लिए कारणीभूत रही.
– अरविंद गंडी,
उपअभियंता, मजीप्रा (भूमिगत गटर योजना)

* भूमिगत गटर योजना के लिए शहर में बनाए 10 झोन
यूं तो अमरावती मनपा ने शहर को 5 झोन में विभाजीत किया है. परंतु भूमिगत गटर योजना का काम पूरा करने के लिए जीवन प्राधिकरण ने 10 झोन बनाए है. जिसमें से अब तक शहर के मध्यवर्ती क्षेत्र में स्थित 4 से 5 झोन में भूमिगत गटर योजना के लिए प्रॉपर्टी चेंबर के साथ ही अंतर्गत पाइप-लाइन डालने का काम पूरा हो चुका है. वहीं शेष 5 झोन में अब तक कोई भी काम नहीं हुआ है. जिसके चलते यद्यपि विस्तारित होते शहर में एक से बढकर एक इमारते दिखाई देने लगी है, लेकिन जमीन पर चारों ओर गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है.

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