सरकार का नियंत्रण नहीं रहने के चलते धडल्ले से ऑनलाइन बिक रही गर्भपात की गोलियां
बिना किसी प्रिस्कीप्शन के खुलेआम होती है 28 ब्रांड की गोलियों की विक्री
अमरावती/दि.30– दवाईयों की ऑनलाइन विक्री पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहने के चलते डॉक्टरों की अनुमति के बिना विक्री पर पाबंदी रहने वाली गर्भपात की गोलियों के अब भी धडल्ले के साथ ऑनलाइन विक्री हो रही है. कुछ नामांकित ऑनलाइन पोर्टलों द्वारा ऐसी गोलियों के लिए डॉक्टरों के प्रिस्कीप्शन की मांग की जाती है. जबकि अधिकांश ऑनलाइन दवा विक्री की वेबसाइट पर 149 रुपए से लेकर 500 रुपए तक करीब 28 ब्रांड की गर्भपात वाली गोलियां उपलब्ध है. जिनकी कई लोगों द्वारा बेधडक खरीदी भी की जाती है. जिस पर सरकार तथा अन्न व औषधी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.
बता दें कि, डॉक्टरों द्वारा लिखी गई पर्ची के बिना मेडिकल स्टोअर से किसी भी तरह की दवाओं व गोलियों की विक्री न की जाए, ऐसा स्पष्ट नियम है. लेेकिन इसके बावजूद भी इस नियम की अनदेखी करते हुए कई बार डॉक्टर की पर्ची के बिना ही ग्राहक द्वारा मांगी गई दवाएं बेची जाती है. सबसे गंभीर बात यह है कि, कई बार नींद की गोलियां व गर्भपात की गोलियां जैसी दवाईयां भी डॉक्टर की पर्ची के बिना ही मनमाने ढंग से ग्राहक द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध करा दी जाती है. इसमें भी विशेष उल्लेखनीय यह है कि, कुछ स्थानों पर गर्भपात की गोलियों के लिए दोगुने अथवा मनमाने दाम भी वसूले जाते है. इसकी ओर अन्न व औषधी प्रशासन विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों आपसी रिलेशनशीप में रहने वाले कई युवक व युवतियों द्वारा विवाह से पहले ही सभी तरह की सामाजिक मर्यादाओं को पार कर लिया जाता है. ऐसे समय सुरक्षित साधनों का प्रयोग नहीं किये जाने के चलते गर्भधारणा भी हो जाती है. ऐसे में युवतियों के मन में गर्भधारणा को लेकर भय पैदा हो जाता है और वे अपने ही मन से गर्भपात करने की गोलियां लेने का निर्णय लेती है. जिसके लिए मेडिकल स्टोअर जाने की बजाय घर बैठे ऑनलाइन तरीके से गर्भपात वाली गोलियां खरीदी जाती है. परंतु नियमानुसार डॉक्टर की सलाह के बिना गर्भपात की गोलियां किसी ऑनलाइन पोर्टल द्वारा नहीं दी जानी चाहिए. परंतु इस नियम की अनदेखी करते हुए कई ऑनलाइन पोर्टलों द्वारा ग्राहकों की मांग के अनुरुप ऐसी गोलियां डॉक्टर की चिठ्ठी के बिना भी सहज उपलब्ध करा दी जाती है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर इस मामले में अन्न व औषधी प्रशासन विभाग क्या कर रहा है.
* केवल नाम के लिए लगा हुआ है सूचना फलक
शहर सहित जिले के कई मेडिकल स्टोअर में डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवा नहीं मिलने का सूचना फलक लगाया गया है. परंतु कई मेडिकल स्टोअर संचालकों द्वारा भी इस नियम का पालन नहीं किया जाता. कई बार दवा खरीदने पहुंच व्यक्ति द्वारा डॉक्टर की चिठ्ठी दिखाने की बजाय अपने मूंह से ही दवाई का नाम बताया जाता है और मेडिकल स्टोअर संचालक द्वारा खानापूर्ति के लिए पेशंट और डॉक्टर का नाम पूछ लिया जाता है. कई स्थानों पर सिरदर्द, कमरदर्द, दांत दर्द व सर्दी खांसी की गोलियों के लिए तो डॉक्टर की चिठ्ठी दिखाने की जरुरत ही नहीं पडती तथा लोगबाग मनमाने ढंग से अलग-अलग कंपनियों के कफसिरप भी खरीद लेते है. जबकि कुछ कफसिरप का लोगों द्वारा नशे के लिए प्रयोग किये जाने की बात कई बार सामने आ चुकी है.
* एक साल दौरान 58 मेडिकल स्टोअर पर हुई कार्रवाई
जिले में 1800 से अधिक मेडिकल स्टोअर है. जिनकी अलग-अलग कारणों के लिए अन्न व औषधी प्रशासन द्वारा नियमित तौर पर जांच पडताल की जाती है. विगत एक वर्ष के दौरान विविध कारणों के चलते 58 मेडिकल स्टोअर पर कार्रवाई किये जाने की जानकारी एफडीए द्वारा दी गई है.
* अपने मन से कोई भी दवा लेना हो सकता है घातक व जानलेवा
किस दवाई में कौनसा गुणधर्म है और उस दवाई का प्रयोग किस तरह के लक्षण रहने वाली बीमारी पर होता है, इसका ज्ञान डॉक्टर के साथ-साथ फार्मासिस्ट को भी होता है. क्योंकि फार्मासिस्ट एक तरह से दवा निर्माण के क्षेत्र से वास्ता रखता है. ऐसे में कभी भी किसी भी तरह की बीमारी होने पर सबसे पहले तो डॉक्टर के पास जाकर अपनी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए और इसके पश्चात मेडिकल स्टोअर्स मेें जाकर फार्मासिस्ट को डॉक्टर की पर्ची देते हुए योग्य दवाई प्राप्त की जानी चाहिए तथा इसी दवाई का डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन व फार्मासिस्ट के मार्गदर्शन के अनुसार सेवन करना चाहिए. इन दिनों कई लोग अपने ही मन से किसी भी तरह की दवाई ऑनलाइन मंगवा लेते है. कुछ पैसे बचाने या छूट पाने के चक्कर में ऐसा करना खतरनाक व जानलेवा भी साबित हो सकता है.
– भारती मनीष मोहोकार,
फार्मासिस्ट.