सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से भडकी महाराष्ट्र में हिंसा
36 फर्जी सोशल मीडिया अकाउंटस् के जरिये फैलाई गई फेक खबरें
* साईबर के हाथ लगे कई महत्वपूर्ण धागे
* पुलिस ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट
*फर्जी अकाउंट के आयपी एड्रेस को ट्रेस करना किया गया शुरू
अमरावती/दि.18- विगत शुक्रवार 12 नवंबर व शनिवार 13 नवंबर को अमरावती में घटित हिंसा और दंगे के मामले को लेकर पुलिस ने अपनी जांच शुरू करने के साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी भी शुरू की है. जिसके तहत पुलिस के साईबर सेल के हाथ अब कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई है. जिसके मुताबिक अमरावती के साथ ही महाराष्ट्र के मालेगांव व नांदेड सहित राज्य के अन्य इलाकों में हिंसा भडकाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया और सोशल मीडिया पर फर्जी नामों से 36 अकाउंट बनाते हुए बडे पैमाने पर फेक न्यूज फैलाई गई. जिनमें कहा गया कि, त्रिपुरा में कुछ मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया है. साथ ही वहां पर अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. ऐसी ही खबरों को लगातार फैलाते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को उकसाया गया. जिसका परिणाम अमरावती में दंगे व हिंसा के तौर पर सामने आया. इस आशय की रिपोर्ट पुलिस द्वारा राज्य के गृह मंत्रालय को सौंपी गई है.
इस रिपोर्ट में जिन 36 सोशल मीडिया पोस्ट का उल्लेख है, उनमें ट्विटर पर 25, फेसबुक पर 6 तथा इंस्टाग्राम पर 5 पोस्ट है. इन सभी सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये त्रिपुरा की कथित घटना को आधार बनाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को उकसाने के लिए फेक मैसेज तैयार करते हुए फॉरवर्ड किये गये. ऐसे में पुलिस अब उन 36 फर्जी अकाउंट के आयपी एड्रेस को खोजने के काम में जुट गई है, ताकि उन अकाउंट को चलानेवालों को ढूंढ निकाला जा सके. ‘सोशल मीडिया मॉनीटरिंग रिपोर्ट’ शीर्षकतले गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में पुलिस द्वारा कहा गया है कि, सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से ही महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की आग फैली और अमरावती सहित मालेगांव तथा नांदेड में बीते शुक्रवार को दो समुदायों के बीच आपसी झडप की स्थिति बनी. जिसके बाद राज्य के कई इलाको में कर्फ्यू लागू करना पडा. दंगे व हिंसा की घटनाएं अकस्मात ही नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे सुनियोजीत साजिश काम कर रही थी. जिसके तहत सोशल मीडिया पर त्रिपुरा की हिंसा को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही थी. साथ ही धार्मिक तनाव को भडकानेवाले धमकी भरे मैसेज भी प्रसारित किये जा रहे थे. इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के लिए भी बडे पैमाने पर अपशब्दों का प्रयोग किया गया. लगातार किये जा रहे उकसावे के चलते रजा अकादमी के आवाहन पर शुक्रवार 12 नवंबर को राज्य के विविध शहरों में निषेध मोर्चे निकाले गये. इस दौरान मोर्चे में शामिल लोगों ने कई दुकानों में तोडफोड करने के साथ ही व्यापारियों से मारपीट की. जिसकी वजह से दूसरे दिन शनिवार 13 नवंबर को अमरावती बंद का आवाहन किया गया. जो हिंसक मोड पर पहुंच गया. ऐसे में आगजनी, तोडफोड तथा पथराव को रोकने के लिए पुलिस द्वारा सौम्य लाठीचार्ज भी किया गया. पश्चात शहर पुलिस द्वारा हालात को नियंत्रित करने हेतु कर्फ्यू लागू कर दिया गया, जो अब भी जारी है.
* पूर्वनियोजीत थी हिंसा
इस रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा फैलाने और दंगे भडकाने की प्लानिंग काफी पहले से कर ली गई थी और यह सब बेहद सोची-समझी साजीश के तहत अंजाम दिया गया. महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई जांच में अब तक सोशल मीडिया पर अपलोड की गई ऐसी 60 से 70 पोस्ट पायी गई है. जिन्होंने हिंसा भडकाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोशल मीडिया पर त्रिपुरा में 7 मस्जिदे गिराये जाने की फर्जी पोस्ट की गई थी. जिसके बाद वॉटसऍप पर हजारों की संख्या में पोस्ट फॉरवर्ड की गई. जिसका सीधा उद्देश्य था की अधिक से अधिक लोग इस तथाकथित सुनियोजीत दंगे में जानबूझकर अथवा जाने-अनजाने शामिल है.
* ऐसी थी दंगोें की टाईम लाईन
– 29 अक्तूबर को पॉप्यूलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआय) के सदस्य त्रिपुरा में कथित तौर पर घटित घटना का निषेध दर्ज करने हेतु अमरावती जिलाधीश कार्यालय गये थे.
– 1 नवंबर को जय संविधान संगठन ने भी जिलाधीश को निवेदन सौंपते हुए इसी कथित घटना का निषेध जताया था.
– 6 नवंबर को सरताज नामक व्यक्ति ने एक ऑडिओ मैसेज सोशल मीडिया के जरिये वायरल किया था. जिसमें मुस्लिमों को उकसानेवाले अंदाज में कहा गया था कि, त्रिपुरा में अनेकों मस्जिदें तोडफोड कर गिरा दी गई है. अत: यही समय है कि सब एक हो जाओ.
– 7 से 11 नवंबर तक रजा अकादमी ने त्रिपुरा की कथित घटना को लेकर राज्यव्यापी बंद का आवाहन करना शुरू किया. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर अनेकों मैसेज फॉरवर्ड किये गये.
– 12 नवंबर को अमरावती, मालेगांव व नांदेड सहित कई शहरों में मुस्लिम समाज द्वारा बंद रखा गया और दुकाने बंद नहीं करनेवालों पर हमला करते हुए तोडफोड व हिंसा की वारदातें भी हुई.
-12 नवंबर की शाम कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा दिनभर के दौरान हुई घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर फैलाये गये. साथ ही इन घटनाओं के निषेध में दूसरे दिन शनिवार को दुबारा बंद का आवाहन किया गया.
– 13 नवंबर को भाजपा सहित कई संगठनों द्वारा किये गये बंद के दौरान उत्तेजित समूहों द्वारा जमकर तोडफोड, आगजनी तथा पथराव की घटनाओं को अंजाम दिया गया. जिसके चलते 13 नवंबर की दोपहर 2 बजे से कर्फ्यू लागू करते हुए नेट बंदी भी लागू कर दी गई.
* अमरावती दंगे में रजा अकादमी सहित भाजपा, युवा सेना व बजरंग दल का समावेश
महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई जांच में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि, विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती में हुए दंगों में रजा अकादमी सहित भाजपा व युवा सेना जैसे राजनीतिक दलों और विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, एमआयएम आर्मी, जमाते अहले सुन्नत तथा रजा अकादमी वेलफेअर सोसायटी जैसे धार्मिक संगठनों का हाथ है. इन सभी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा हिंसा और दंगे फैलाने के लिए सोशल मीडिया का जमकर प्रयोग किया गया. इसके तहत पहले रजा अकादमी जैसे संगठन की अगुआई में एमआईएम आर्मी व जमाते अहले सुन्नत ने एक फर्जी खबर को सच मानकर शुक्रवार को अमरावती में बंद का आवाहन किया. वहीं इस बंद के दौरान हुई हिंसा को जवाब देने हेतु 13 नवंबर को भाजपा, युवा सेना, विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता भी सडकों पर उतरे. साथ ही इन संगठनों ने भी इसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान छेड रखा था. जिसके परिणाम स्वरूप अमरावती में कानून व व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से बिगड गई तथा हालात कर्फ्यू लगाये जाने लायक हो गये.
* महज 15 मिनट में 4 हजार ट्विटस्!
पता चला है कि, शुक्रवार व शनिवार को ट्विटर पर ‘अमरावती वॉयलेन्स’ इस हैशटैग के जरिये पोस्ट शेयर की जा रही थी और महज 15 से 20 मिनट में इस हैशटैग के साथ 4 से साढे 4 हजार ट्विट किये गये. जिसे कई गुना अधिक लोगों ने रिट्विट व शेयर किया. इसमें से कई ट्विट तो बेहद गंभीर व सनसनीखेज थे. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि, महज 15 से 20 मिनट में इतने बडे पैमाने पर ट्विट व रिट्विट करना किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा था, ताकि अमरावती शहर में दंगा करने के साथ ही हिंसा फैलाई जा सके.