
* अतीत में गलत धारणाओं के चलते धर्म के नाम पर अत्याचार होने की बात कही
* महानुभाव आश्रम के शतकपूर्ति समारोह में धर्म सभा को किया संबोधित
अमरावती/ दि. 24– धर्म का आधा अधूरा ज्ञान रहना ही अपने आप में अधर्म हैं. अधूरे ज्ञान वाले व्यक्ति को साक्षात ब्रम्हदेव भी समझा नहीं सकते हैं. जबकि धर्म यह समझने यह आचरण में लाने योग्य विषय है. दुनिया में धर्म के नाम पर जितने भी अत्याचार हुए है. वे धर्म की गलत समझ की वजह से हुए ऐसे में धर्म के सही मायनों को समझे जाने की जरूरत है. ताकि धर्म के नाम पर कोई अधर्म घटित न हो. इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर्व संचालक डॉ. मोहन भागवत द्बारा किया गया.
कंवर नगर स्थित महानुभाव आश्रम की शतकपूर्ति निमित भानखेडा के महानुभाव आश्रम में आयोजित शतकपूर्ति समारोह में उपस्थित महानुभाव पंथियों की धर्मसभा को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस समय डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि धर्म अपने आप में समझने की विषय वस्तु है. जिसे ज्ञानी व्यक्ति तुरंत समझ लेता है. साथ ही अज्ञानी व्यक्ति को भी धर्म की सही व्याख्या जल्दी ही समझाई जा सकती है. परंतु आधा अधूरा ज्ञान रहनेवाले लोगों को धर्म की व्याख्या समझाना थोडा मुश्किल है. यदि ऐसे लोग धर्म को सही तरह से नहीं समझ पाए तो फिर अधर्म होना शुरू होता है.
संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने यह भी कहा कि हमारे देश में प्रबोधन करनेवाले अनेकों संप्रदाय है तथा प्रत्येक सम्प्रदाय एक दूसरे से मिलजुल कर रहने की सीख देता है. एकता ही शाश्वत हैं और हम सब एक है. यह भाव रखना ही धर्म का रक्षण करना है. समाज में धर्म को समझाकर बताने का काम करने वाले सम्प्रदायों का रहना बेहद जरूरी है और केवल पंथ रहने से काम नहीं चलता. बल्कि इसके लिए विवेक की आवश्यकता होती है. यही वजह है कि हजारों वर्ष कठिन स्थिति में रहने के बावजूद भी महानुभाव सम्प्रदाय टिका हुआ है. इस समय धर्म की व्याख्या करते हुए संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अतीत में धर्म के नाम पर जो अत्याचार हुए, वे सभी अत्याचार धर्म की गलत धारणा के चलते हुए है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि धर्म के आचरण को समझना होगा और धर्म को समझ लेने के बाद उसे केवल मन में रखने की बजाय बुध्दी में लाते हुए धम्र का वांछित कार्य करना होगा. संघ प्रमुख डॉ. भागवत के मुताबिक यद्यपि धर्म को समझना थोडा कठिन कार्य है. लेकिन यदि एक बार दृढ प्रतिज्ञ हो गये तो धर्म की व्याख्या को बडी आसानी के साथ समझा जा सकता है. धर्म को सही ढंग से समझने पर समाज में क्रांति सदभाव और समृध्दि आ सकती है. क्योंकि धर्म का सच्चा उद्देश्य मानवता की सेवा और मार्गदर्शन करना है तथा धर्म का सटिक ज्ञान और पालन समाज के उत्थान व सभी की भलाई की ओर ले जाता है.
कविश्वर कुलाचार्य मोहन दादा सहित गणमान्यों के हाथों संघ प्रमुख का सत्कार
गत रोज सुबह भानखेडा स्थित महानुभाव आश्रम में करीब 10 बजे के आसपास संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का काफिला पहुंचा. आश्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत का आगमन होते ही महानुभाव आश्रम के कविश्वर कुलाचार्य महंत मोहन दादा कारंजेकर ने उनका पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया. साथ ही इस समय पूर्व सांसद नवनीत राणा,भाजपा जिलाध्यक्ष व राज्यसभा सासंद डॉ. अनिल बोंडे, भाजपा शहराध्यक्ष व पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल सहित महानुभाव पंथ के संत महंतों ने पुष्पगुच्छ देते हुए संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की अगुवानी की. इसके पश्चात संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने मंच पर पहुंच कर श्री दत्तात्रय प्रभु का पूजन कर दीप प्रज्वलित किया. इस समय कविश्वर कुलाचार्य महंत मोहनदादा कारंजेकर ने संघ प्रमुख का महानुभाव आश्रम की ओर से शाल श्रीफल मोतियों का हार व सम्मान चिन्ह प्रदान कर सत्कार किया.
* महंतों व समाज सेवकों का हुआ सत्कार
इस आयोजन के दौरान महानुभाव पंथ के लीला चरित्र ग्रंथ सहित शतकपूर्ति समारोह अवसर पर प्रकाशित शताब्दी ग्रंथ का विमोचन संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत तथा महंत मोहन दादा कारंजेकर के हाथों किया गया. साथ ही महानुभाव पंथ के महंतो एवं समाज सेवकों का संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के हाथों सत्कार किया गया. जिनमें रिध्दपुर के महंत वाइंदेशकर,महंत हंसराज बाबा कामेकर, पुणे के महंत प्रभाकर बाबा, महंत कापुसकर कलनीकर बाबा, महंत भांडेकर बाबा, महंत बाबू शास्त्री बाबा, संत कंवरराम धाम के गद्दीनशीन संत राजेशलाल कंवर एवं शिवधारा आश्रम के संत डॉ. संतोष देवजी महाराज सहित वरिष्ठ समाजसेवी लप्पी जाजोदिया का भावपूर्ण सत्कार किया गया. साथ ही साथ इस कार्यक्रम दौरान महंत मोहन दादा कारंजेकर के हाथों पूर्व सांसद नवनीत राणा, राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल का सत्कार हुआ. वही श्रीकृष्ण मंदिर के अध्यक्ष सुभाष पावडे,एस. पी. देशमुख, एड. अरूण ठाकरे, नितीन भेटालू, एड. अमोल ठाकरे व सुधा तिवारी की ओर से महानुभाव आश्रम के महंत मोहन दादा कारंजेकर बाबा का भावपूर्ण सत्कार किया गया.
* देश विदेश से उमडे महानुभाव पंथी
बता दें कि महानुभाव पंथ का देश में सबसे पुराना आश्रम महंत कारंजेकर बाबा ने वर्ष 1924 में अमरावती में स्थापित किया था. जिसकी स्थापना को अब 100 वर्ष पुरे हो चुके है. इस निमित्त आयोजित शतकपूर्ति समारोह में महाराष्ट्र के साथ ही हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों सहित अन्य कई देशों के धर्म गुरू व महानुभाव समाजबंधु उपस्थित थे. जिनमें उपाध्य कृष्णाचार्य वर्धनहस्त बीडकर बाबा, कविश्वर कुलाचार्य खामनीकर बाबा, कविश्वर कुलाचार्य दर्यापुरकर बाबा, कविश्वर कुलाचार्य विद्वांस बाबा, कविश्वर कुलाचार्य लोणारकर बाबा, कविश्वर कुलाचार्य फसालकर बाबा, रिध्दपुरकर बाबा, यक्षदेव बाबा शास्त्री, पैठणकर बाबा, गुंफेकर बाबा, कोठी बाबा, अमृते बाबा, जामोदेकर बाबा, मेहेकर बाबा, लासुरकरबाबा आदि सहित अनेको संतों, महंतों की बडी संख्या में उपस्थिति रही.
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* चप्पे- चप्पे पर रही कडी सुरक्षा
गत रोज भानखेडा के निकट स्थित महानुभाव आश्रम में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के आगमन को देखते हुए पूरे परिसर में बेहद कडा पुलिस बंदोबस्त लगाया गया था तथा आयोजन स्थल पर पुलिस उपायुक्त कल्पना बारवकर, सहायक पुलिस आयुक्त पांडुरंग पुंडकर व गौरखनाथ जाधव, स्पेशल स्कॉड के पीआय आसाराम चोरमले सहित राजापेठ, फ्रेजरपुरा, दंगा नियंत्रक पथक तथा बम शोधक व नाशक पथक की मौजूदगी रही तथा संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का आयोजन स्थल पर आगमन होने से पहले बम शोधक व नाशक पथक ने पुलिस के प्रशिक्षित श्वान के जरिए पूरे परिसर की सघन जांच पडताल करते हुए तलाशी ली. साथ ही साथ संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के चारों और ब्लैक कैट कमांडोज का कडा घेरा भी रहा.