अमरावती

जलापूर्ति के नाम पर रास्ता खोद डाला

नागरिकोें ने किया विरोध, ठेकेदार को भगाया, कार्रवाई की मांग

चिखलदरा/दि.20 – छत्तीसगांव जलापूर्ति योजना महाराष्ट्र जीवनप्राधीकरण व्दारा नियुक्त ठेकेदार ने आदिवासी बस्ती में जानेवाले लाखों रुपयों की लागत से बने रास्तों को बिना कोई अनुमति लिए खोद डाला हैं. ऐसा मामला टेम्भूसोंडा गांव में उजागर हुआ. जिसके बाद संपत्प नागरिकों ने ठेकेदार को जमकर आडे हाथ लिया और काम को बंद करवाकर ठेकेदार को वहां से भगा दिया. साथ ही नागरिकों ने रास्ते की खुदाई करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की हैं.
चिखलदरा तहसील में बडे पैमाने पर जलकिल्लत होने के चलते चंद्रभागा प्रकल्प से 36 गांवों को पानी उपलब्ध करवाने हेतु करोडो रुपए खर्च करते हुए, जलापूर्ति योजना मंजूर की गई. लेकिन संबंधित विभाग की लापरवाही व अनदेखी के चलते ठेकेदारों व्दारा अपनी मनमर्जी से काम किया जा रहा हैं. जिसके तहत जगह-जगह पर बिना वजह खुदाई की गई हैं. उल्लेखनीय है कि काफी लंबे प्रयासों के बाद मेलघाट की आदिवासी बस्तियों में रास्तों का नुतनीकरण व दुुरुस्ती कार्य किया जा रहा है, परंतु अब जलापूर्ति योजना के लिए पाइपलाइन डालने हेतु सीमेंट की पक्की सडकों की खुदाई कर दी गई हैं. जिसकी वजह से बने गड्ढों में रात के वक्त रास्ते से गुजरने वाले लोगबाग गिर जाते है. ऐसे में बिना अनुमति के रास्तों की खुदाई करने वाले ठेकेदारों के साथ ही संबंधित विभाग के अधिकारियों के खिलाफ आदिवासी गांवों में काफी रोष व संताप व्याप्त हैं. साथ ही पूर्व सभापति बंसी जामकर सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में फौजदारी कार्रवाई करने की मांग की हैं.
जलापूर्ति योजना के लिए धरमडोह, बाहदरपुर, आकी, मोरगड व चौरामल सहित कई आदिवासी गांवों में रास्ते के किनारे व कुछ स्थानो ंपर रास्तें के बिचोबिच खुदाई की गई हैं. टेम्भु्रसोंडा में ग्रापं अंतर्गत तैयार किए गए सीमेंट रास्ते पर किसी भी तरह की अनुमति लिए बिना खुदाई काम किया गया हैं. जिसे दादा खडके सहित गांवासियों ने ठेकेदार को हाडे हाथ लेकर बंद करा दिया हैं.

* दुरुस्त कौन करेगा
जिला परिषद व ग्राम पंचायत अंतर्गत रहनेवाले रास्तों की खुदाई हेतु, किसी भी प्रकार की अनुमति जीवन प्राधीकरण व संबंधित ठेकेदार व्दारा नहीं ली गई और सीधे रास्ते की खुदाई कर दी गई. ऐसे में काम पूरा होने के बाद रास्ते की दुरुस्ती करने को लेकर किसी के साथ कोई लिखित करार नहीं हैं. यानि रास्ता ऐसे ही खुदा पडा रहेगा, यह अभी से तय हैं.
विविध योजनाओं के जरिए गांव में अंतर्गत रास्ते तैयार किए गए. कोई आवश्यक अनुमति लिए बिना अपनी मनमर्जी से जगह-जगह पर खुदाई कार्य किया गया हैं. जो नियमबाह्य है. अत: इस मामले में संबंधितों के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई होनी चाहिए.
– बंसी जामकर,
पूर्व सभापति, धारणी पंस

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