अमरावती

सालभर में पांच बालकों को ‘डम्मा’

तीन बालकों की मौत : मेलघाट की अंधश्रद्धा

चिखलदरा/प्रतिनिधि दि.८ – मेलघाट में हाल ही में बालकों को डम्मा देने के पांच प्रकारों में तीन मासूम को जान गवानी पडी. इस पृष्ठभूमि पर इतिहास पर नजर डाले तो सालभर में ऐसे पांच मामले सामने आये है. जिसके चलते अंधश्रद्धा को बढावा देने वालों के खिलाफ प्रशासन ने जनजागृति और कठोर भूमिका लेने की जरुरत है.
आदिवासी किसी भी बीमारी पर सबसे पहले घरेलू और उसके बाद गांव के भुमका मांत्रिक के पास इलाज करवाते है. मेलघाट में पहले से सुशिक्षितों की संख्या बढ चुकी है. जिससे यह प्रमाण कम हुआ है फिर भी कुछ प्रमाण में सुशिक्षित भी गर्म दराती से चटके शरीर के दर्द दे रहे हिस्से पर लगाते है यह विशेष. डम्मा पध्दति से किये गए इलाज के दौरान पांच बच्चों की तबीयत गंभीर स्थिति में पहुंची थी. इनमें से एक नाबालिग कुमारी माता के बेटे के साथ ही शनिवार को जिला अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल रहने वाले मासूम की मौत हो गई. नाबालिग कुमारी माता के मासूम की मौत 4 जून 2020 को हुई. उसे गांव के ही मांत्रिक ने गर्म सलाख से चटके दिये थे. चुरणी ग्रामीण अस्पताल से जिला स्त्री अस्पताल में और नागपुर में इलाज के लिए ले जाते समय उसकी मौत हुई. 2 जुलाई 2020 को नवलगांव निवासी 7 महिने उम्र के मासूम को डम्मा देने के बाद उसकी मोैत हुई थी. शनिवार को खटकाली स्थित राजरत्न जामुनकर की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई. बोरदा स्थित एक 8 महिने के मासूम को 18 जून 2020 को और लवादा स्थित 2 वर्ष के बालक को भी चटके दिये गए थे. डॉक्टरों के प्रयासों के बाद उसकी जान बची.

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