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डंपिंग ग्राउंड मामला

निरी की रिपोर्ट पर प्रतिवादी की ‘सुको’ में आपत्ति

* सुप्रीम कोर्ट में अब अगली सुनवाई 23 फरवरी को
* नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्बारा मनपा पर लगाए गये 47 करोड के जुर्माने का प्रकरण
अमरावती / दि. 8– नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्बारा अमरावती मनपा पर लगाए गये 47 करोड के जुर्माने के मामले में सुुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निरी द्बारा जायजा लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर आज सुुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में प्रतिवादी गणेश अनासाने द्बारा आपत्ति लिए जाने से अब इस प्रकरण की आगामी 23 फरवरी 2024 को सुनवाई होनेवाली है.
बता दे कि अमरावती मनपा के सुकली कंपोस्ट डिपो के प्रदूषण को लेकर केंद्रीय हरित लवाद ने 47 करोड रूपए का जुर्माना लगाया है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अकोली, सुकली और दुर्गापुर के बायोमेडिकल डिपो से निकलनेवाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का मनपा द्बारा कितना पालन किया जा रहा है. इस बाबत पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्बारा निरी को नियुक्त करने के आदेश दिए थे. निरी के दल ने इन तीनों डिपो का विविध चरणों में अमरावती दौरा कर जायजा किया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निरी के दल को 30 नवंबर तक अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपनी थी. उसके मुताबिक निरी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की और उस पर शुक्रवार 8 दिसंबर को सुनवाई हुई.
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद प्रतिवादी गणेश अनासने से इस रिपोर्ट के संदर्भ में आपत्ति पूछी. तब उन्होंने जवाब दिया कि निरी की रिपोर्ट में एसएलएफ, जैविक अपशिष्ट निपटान के लिए बायोमेथेनेशन सयंत्र और एनिमल इंसीनरेटर परियोजना, सुकली एमएसडब्ल्यू साइड पर जगह की कमी के कारण काम लंबित रहने की बात कही है. इस पर गणेश अनासाने ने कहा कि यदि बायोमायनिंग के पहले चरण में 1.44 लाख क्यूबिक मीटर विरासती कचरे को साफ किया गया और जिसे मेसर्स बागडेबाबा इंटरप्राइजेस पुणे में 4.5 करोड में पूर्ण किया, तो फिर अमरावती मनपा को जगह की समस्या का सामना क्यों करना पड रहा है. एसएलएफ यह एमएसडब्ल्यू का अभिन्न अंग है. यदि एसएलएफ का कार्य लंबित है तो इसका उल्लेख निरी की रिपोर्ट में क्यों किया गया है कि प्रोसेसिंग कार्य एसडब्ल्यूएम नियम 2016 के मुताबिक किया जा रहा है. यह पूर्ण परियोजना नहीं है और एमएसडब्ल्यू प्रोसेसिंग का कार्य भी अधूरा है. प्रतिवादी ने सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान इस तथ्य पर केंद्रित कर दिया कि एनजीटी द्बारा लगाया गया 47 करोड का पर्यावरण मुआवजा वर्ष 2009 से 2019 की अवधि के लिए है और इस दौरान पर्यावरण को हुए नुकसान और अमरावती मनपा द्बारा किए गये आज के कार्यो से इसका कोई संबंध नहीं है. युक्तिवाद सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती मनपा को लंबित परियोजना एसएलएफ, एमएसडब्ल्यू के लिए बायोमेथेनेशन संयंत्र और एनिमल इंसीनरेटर पर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा. पर्यावरण उल्लंघन की किन शर्तो और मानदंडों के तहत 47 करोड का मुआवजा, जुर्माना लगाया गया है. इस बाबत आगामी 23 फरवरी 2024 को होनेवाली सुनवाई मेें बारिकी से समीक्षा की जानेवाली है.

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