डफरीन में महिलाओं के स्वास्थ्य की ओर दुर्लक्ष
प्रभारी व प्रशिक्षणार्थियों के भरोसे अस्पताल का कारभार
अमरावती/दि.28-स्थानीय जिला महिला सरकारी अस्पताल (डफरीन) का व्यवस्थापन चरमरा जाने से प्रसूताओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि अस्पताल व्यवस्थापन डॉक्टर व स्टाफ के अभाव से चरमरा गया है. वर्तमान में प्रभारी और प्रशिक्षार्थियों के भरोसे पर अस्पताल चलाया जा रहा है. यहां प्रसूति उपचारार्थ आने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल एवं समय पर इलाज के लिए डॉक्टरों व नर्सों सहित मानव संसाधन की कमी हो रही है. जिसका असर डफरीन अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है. पालकमंत्री, सांसद, स्थानीय विधायक व कलेक्टर तक महिला होने के बाद भी डफरीन का यह हाल होने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है.
जिला महिला अस्पताल के स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. संजय वारे के पदभार संभालने के बाद उनके स्थान पर प्रभारी डीन का कार्यभार डॉ. विद्या वाढोडकर को सौंपा गया. वाढोडकर के पास टीबी अस्पताल की जिम्मेदारी भी है. पिछले कई दिनों से प्रभारी डीन अपना कार्यभार एक महिला डॉक्टर को सौंपकर छुट्टी पर चली गई हैं. जिससे अस्पताल के व्यवस्थापन में कठिनाई हो रही है.
अस्पताल में एक अधीक्षक पद है. वर्तमान में उस पद पर प्रभारी अधिकारी कार्यरत है. वर्ग 1 चिकित्सा अधिकारी के 4 पद हैं, उनमें से 3 रिक्त है. जबकि द्वितीय श्रेणी में मेडिकल ऑफीसर के 19 पद है, जिनमें से अधिकांश पदों पर ठेका पद्धति पर नियुक्त डॉक्टर कार्यरत है. अधिसेविका का एक पद भरा गया है और प्रशासनिक कार्यालय में दो में से एक पद रिक्त है. जो पद भरा गया है, उस पदद पर भी प्रभारी की ही नियुक्ति की गई है. वर्ग 3 में सहायक अधीक्षक का एक पद भरा गया है. छोटे बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए नर्सिंग स्टाफ के 14 पद और 2 नर्स है. स्टाफ नर्स के 60 पद भरे गए हैं. अन्य 38 नर्स, वार्डन व स्वीपर समेत कुल 57 पद है. लेकिन इनमें से भी 15 पद रिक्त ही है. नतीजतन मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल में कार्यरत मनुष्यबल बेहद कम है, जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है.
* प्रशिक्षणार्थी कर रहे काम
डॉक्टरों व नर्स का प्रशिक्षण लेने वाले कुछ प्रशिक्षणार्थी जिला महिला अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं. प्रशिक्षण लेने वाले यह डॉक्टर्स विशेषज्ञ डॉक्टरों के मागदर्शन में महिला रोगियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं. लेकिन अस्पताल के अधिकांश डॉक्टर प्रभारी ही है. जिससे प्रशिक्षणार्थियों को समय पर वरिष्ठों से मार्गदर्शन मिलता है या नहीं. इस पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है.
मेन पावर की कमी से बढ़ा तनाव
जिला महिला अस्पताल में मेनपावर की कमी है. मेरे पास भी डफरीन अस्पताल के डीन का अतिरिक्त चार्ज है. डॉक्टरों और नर्सों की कमी के कारण काम का तनाव बढ़ गया है. ठेका पद्धति के आधार पर डॉक्टरों की भर्ती की गई है. सरकार स्तर पर रिक्त पदों को भड़ने के लिए पत्राचार शुरु है.
– डॉ. विद्या वाढोडकर, अधीक्षक, डफरीन