3 वर्ष दौरान जिले के विकास हेतु विधायकों ने लाये 23,427 करोड रुपए
जिले के आठों विधायकों के पहले दो साल कोविड में बर्बाद, अगले तीन साल मिला काम करने का मौका
* वर्ष 2019 के बाद राज्य में दो बार बनी सरकारें, जमकर रही राजनीतिक उथल-पुथल
* निधि लाने के मामले में बच्चू कडू रहे सबसे आगे, 6 हजार करोड की निधि लायी
* मोर्शी-वरुड के लिए विधायक भुयार ने हासिल की 4,327 करोड की निधि
* 3500 करोड की निधि के साथ विधायक प्रताप अडसड रहे तीसरे नंबर पर
* विधायक सुलभा खोडके ने अमरावती के लिए लायी 3400 करोड की निधि
* मेलघाट के लिए विधायक पटेल ने हासिल की 3 हजार करोड की निधि
* बडनेरा हेतु विधायक राणा 2 हजार करोड की निधि लाने में रहे सफल
* तिवसा हेतु विधायक ठाकुर को 700 करोड व दर्यापुर हेतु वानखडे को 500 करोड की निधि मिली
अमरावती/दि.15 – आगामी 26 नवंबर को राज्य की जारी विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. इस विधानसभा के गठन हेतु 5 वर्ष पूर्व सन 2019 में अक्तूबर माह दौरान चुनाव करवाये गये थे और 24 अक्तूबर 2019 को नतीजे घोषित होने के बाद राज्यस्तर पर सरकार बनाने को लेकर मची उथल-पुथल के बाद 27 नवंबर 2019 को राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार का गठन हुआ था और आगे चलकर जून 2022 में महाआघाडी सरकार का पतन होने के बाद महायुति की सरकार सत्ता में आयी थी. जब शिवसेना में शिंदे गुट द्वारा बगावत की गई थी. साथ ही आगे चलकर राकांपा में भी अजीत पवार गुट द्वारा बगावत की गई. जहां एक ओर मौजूदा विधानसभा के जारी कार्यकाल के दौरान शुरु से लेकर अंत तक जबर्दस्त राजनीतिक उथल-पुथल मची रही. वहीं विधानसभा का कार्यकाल शुरु होने के कुछ ही समय बात कोविड संक्रमण का दौर शुरु हो गया था. जो करीब 2 से सवा 2 साल चलता रहा. इन्हीं पांच वर्षों के दौरान अमरावती जिले के 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित हुए 8 विधायकों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के विकास हेतु विभिन्न कामों व परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने का भरपूर प्रयास किया और ऐसे कामों व योजनाओं के लिए जमकर निधि भी हासिल की. जिसके चलते विगत 5 वर्षों के दौरान जिले के आठों विधायकों द्वारा जिले के विविध विकास कामों के लिए करीब 23,427 करोड रुपयों की निधि को मंजूर कराया गया. जिसके जरिए जिले के आठों विधानसभा क्षेत्रों में शामिल जिले के 14 तहसील क्षेत्रों में विविध विकास कामों व परियोजना के काम शुरु किये गये है.
बता दें कि, पांच वर्ष पूर्व अक्तूबर माह दौरान हुए महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में अमरावती जिले के कुल 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस के 3 व भाजपा के 1 विधायक सहित 4 निर्दलीय विधायक चुनकर आये थे. जिसके तहत कांग्रेस की ओर से सुलभा खोडके (अमरावती), एड. यशोमति ठाकुर (तिवसा) व बलवंत वानखडे (दर्यापुर) तथा भाजपा की ओर से प्रताप अडसड (धामणगांव रेल्वे) के साथ निर्दलीय विधायक के तौर पर अचलपुर से बच्चू कडू, मेलघाट से राजकुमार पटेल, मोर्शी-वरुड से देवेंद्र भुयार तथा बडनेरा से रवि राणा चुनाव जीते थे. जिसमें से बच्चू कडू व राजकुमार पटेल प्रहार पार्टी की ओर से तथा रवि राणा युवा स्वाभिमान पार्टी की ओर से विधायक चुने गये थे. साथ ही स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के देवेंद्र भुयार को कांग्रेस व राकांपा ने अपना समर्थन दिया था.
अक्तूबर माह में हुए चुनाव के पश्चात अगले करीब एक माह तक राज्य में मुख्यमंत्री पद व सत्ता स्थापना को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जबर्दस्त रस्साकशी चली और बहुमत के आसपास रहने के बावजूद भाजपा व शिवसेना की युति टूट गई. जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ हाथ मिलाते हुए महाविकास आघाडी की सरकार बनाई थी. उस समय जहां युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा द्वारा भाजपा को पहले ही अपना समर्थन दे दिया गया था. वहीं बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने शिवसेना तथा देवेंद्र भुयार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस को समर्थन देते हुए सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया था. जिसके बाद राज्य में मविआ की सरकार का गठन होने पर अमरावती जिले को दो मंत्री पद मिले थे. जिसमें से कांग्रेस नेत्री एड. यशोमति ठाकुर को महिला व बालविकास मंत्री तथा निर्दलीय विधायक बच्चू कडू को राज्यमंत्री व अकोला जिले का पालकमंत्री पद मिला था. नवंबर 2019 में मविआ की सरकार का गठन होने पश्चात अगले तीन-चार महिने तो नवनियुक्त मंत्रियों के स्वागत सत्कार में ही गुजर गये. लेकिन इसी दौरान दुनिया के कई देशों में कोविड नामक संक्रामक बीमारी फैलनी शुुरु हो गई थी और मार्च 2020 आते-आते देश में भी इस बीमारी के संक्रमण का खतरा मंडराना शुरु हो गया. जिसके चलते केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश मेें लॉकडाउन लगा दिया गया. ऐसे में सरकारी कामकाज सहित आम जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया. साथ ही सभी विकास परियोजनाओं के कामों को रोकते हुए सांसद व विधायक विकास निधि को कोविड प्रतिबंधक उपायो व मरीजों के इलाज हेतु चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में लगा दिया गया. मार्च 2020 से मार्च 2022 तक दो वर्ष दौरान कोविड की तीन लहरों का सामना करने के बाद हालात जैसे-तैसे धीरे-धीरे सामान्य हो ही रहे थे कि, जून 2020 माह के मध्य में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे द्वारा अपने समर्थन विधायकों को साथ लेकर शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी गई तथा शिंदे गुट के 40 विधायकों ने महाविकास आघाडी से अलग होकर भाजपा से हाथ मिला लिया. जिसके चलते अल्पमत में आयी महाविकास आघाडी गिर गई और भाजपा व शिंदे गुट का समावेश रहने वाली महायुति की सरकार बनी. जिसमें एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री व देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं नवंबर 2023 में राकांपा नेता अजीत पवार ने भी अपने समर्थक विधायकों को साथ लेकर राकांपा नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी और वे राज्य की महायुति सरकार में शामिल हो गये थे. जिसके चलते अजीत पवार को भी उपमुख्यमंत्री पद दिया गया था.
ऐसे में यह स्पष्ट है कि, विगत 5 वर्षों के दौरान पहले दो वर्ष तो कोविड की महामारी की भेंट चढ गये और कोविड की लहर खत्म होते-होते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और राज्य में सत्ता परिवर्तन होते हुए नई सरकार का दौर शुरु हुआ. जिसका असर अमरावती जिले पर भी दिखाई दिया. क्योंकि अब तक महाविकास आघाडी की सरकार में शामिल रहने वाले विधायक बच्चू कडू, राजकुमार पटेल व देवेंद्र भुयार ने पाला बदलकर महायुति की सरकार का दामन थाम लिया. जिसके तहत कडू व पटेल ने शिंदे गुट वाली शिवसेना को तथा भुयार ने अजीत पवार गुट वाली राकांपा को अपना समर्थन दिया. वहीं निर्दलीय विधायक रवि राणा पहले से ही भाजपा के साथ थे. इसके अलावा जहां तिवसा की कांग्रेस विधायक यशोमति ठाकुर अपनी पार्टी और महाविकास आघाडी के साथ बनी रही. वहीं अमरावती की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके ने ‘दोनों तबलों’ पर हाथ रखने का काम किया और महाविकास आघाडी में रहते हुए भी वे महायुति में शामिल रहने वाली अजीत पवार गुट के साथ नजदीकी साधे रही.
विगत 5 वर्षों के दौरान पहले दो वर्ष छोडकर अगले 3 वर्ष ही सभी विधायकों को काम करने व अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों हेतु निधि लाने का मौका मिला. जिसके तहत अचलपुर के निर्दलीय विधायक बच्चू कडू निधि लाने के मामले में सबसे आगे रहे, जिन्होंने अपने कार्यकाल दौरान विभिन्न विकास कार्यों हेतु करीब 6 हजार करोड रुपयों की निधि लायी. इसके अलावा मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार निधि लाने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र हेतु 4,327 करोड रुपयों की निधि से किये जाने वाले विकास कामों को मंजूरी दिलाई. वहीं निधि लाने के मामले में तीसरे स्थान पर रहने वाले धामणगांव रेल्वे के विधायक प्रताप अडसड ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए 3500 करोड रुपए की निधि से किये जाने वाले विभिन्न कार्य मंजूर करवाये. इसके साथ ही जिला मुख्यालय रहने वाले अमरावती विधानसभा क्षेत्र की विधायक सुलभा खोडके ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्य करवाने हेतु 3400 करोड की निधि को राज्य सरकार से मंजूर कराया. साथ ही साथ आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में शामिल धारणी व चिखलदरा तहसील क्षेत्रों में किये जाने वाले विविध विकास कामों के लिए 3 हजार करोड रुपयों की निधि हासिल की. जबकि बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में किये जाने वाले विविध विकास कामों हेतु 2 हजार करोड रुपयों की निधि लाने में सफलता प्राप्त की.
महायुति के साथ रहने वाले 5 विधायकों के अलावा विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी के साथ रहने वाली तिवसा क्षेत्र की विधायक यशोमति ठाकुर को 700 करोड रुपए व दर्यापुर क्षेत्र के तत्कालीन विधायक बलवंत वानखडे (अब सांसद निर्वाचित) को 500 करोड रुपयों की निधि इन 5 वर्षों के दौरान मिली. उपरोक्त सभी आंकडों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, विगत 5 वर्षों के दौरान अमरावती जिले में विविध विकास कामों के लिए आठों विधायकों के जरिए कुल 23 हजार 427 करोड रुपयों की निधि प्राप्त हुई है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, विविध विकास कामों के लिए निधि प्राप्त करते हुए उन विकास कामों का भूमिपूजन करवाने का सिलसिला सभी विधायकों ने अपना कार्यकाल खत्म होते-होते जमकर शुरु किया था. जिसके तहत विगत 45 दिनों में ही जिले के 7 विधायकों द्वारा करीब 13 हजार करोड रुपयों के विकास कामों का भूमिपूजन व लोकार्पण किया गया. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इन 45 दिनों से पहले पूरे 5 वर्ष के कार्यकाल दौरान जिले के विधायकों द्वारा लगभग 10 हजार करोड रुपयों की निधि को मंजूरी दिलाते हुए विविध विकास काम शुरु करवाये गये थे.
* किस विधायक ने लायी कितनी निधि?
विधायक निर्वाचन क्षेत्र निधि
सुलभा खोडके (कांग्रेस, अब अजीत पवार गुट समर्थक) अमरावती 3400 करोड रुपए
प्रताप अडसड (भाजपा) धामणगांव रेलवे 3500 करोड रुपए
बच्चू कडू (प्रहार, ढाई साल राज्यमंत्री रहे) अचलपुर 6 हजार करोड
राजकुमार पटेल (प्रहार) धारणी 3 हजार करोड रुपए
बलवंत वानखडे (कांग्रेस, साढे चार साल का कार्यकाल, अब सांसद निर्वाचित) दर्यापुर 500 करोड रुपए
रवि राणा (युवा स्वाभिमान) बडनेरा 2 हजार करोड रुपए
यशोमति ठाकुर (कांग्रेस, ढाई साल कैबिनेट मंत्री रही) तिवसा 700 करोड रुपए
देवेंद्र भुयार (निर्दलीय, अजीत पवार गुट समर्थक) मोर्शी 4327 करोड रुपए
कुल 23,427 करोड रुपए