हडताल दौरान ठेका नियुक्त व प्रशिक्षणार्थी परिचारिकाओं ने संभाला इर्विन
7 दिनों तक रुग्णसेवा का लिया अलग व अनूठा अनुभव
अमरावती/दि.22 – पुरानी पेंशन की मांग को लेकर राज्य के सरकारी व अर्ध सरकारी कर्मचारियों द्बारा किए गए कामबंद आंदोलन में स्वास्थ्य विभाग की परिचारिकाओं व अन्य कर्मचारियों का भी समावेश था. ऐसे समय स्वास्थ्य महकमे का जिम्मा सरकारी अस्पतालों में ठेका नियुक्त परिचारिकाओं व प्रशिक्षणार्थी छात्राओं ने अपने कंधे पर उठाया और स्वास्थ्य सेवा को बिल्कुल भी अस्त-व्यस्त ना होने देते हुए निष्काम भाव से मरीजों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान की. हालांकि इन 7 दिनों के दौरान मरीजों की सेवा करते समय उन्हें मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों व रिश्तेदारों के रोष का सामना भी करना पडा. कुल मिलाकर यह 7 दिन इन परिचारिकाओं व प्रशिक्षणार्थी छात्राओं के लिए एक अलग तरह के अनूठे अनुभव से भरे रहे.
उल्लेखनीय है कि, परिचारिकाओं के बिना स्वास्थ्य विभाग की कल्पना करना मुश्किल है. स्वास्थ्य क्षेत्र में परिचारिका की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है और उनके बिना स्वास्थ्य विभाग में कामकाज करना बेहद मुश्किल होता है. क्योंकि मरीजों व उनके परिजनों का डॉक्टर की बजाय परिचारिकाओं से ज्यादा संबंध आता है. मरीज के इलाज हेतु भर्ती होने के बाद से लेकर उसके पूरी तरह ठीक होकर डिस्चार्ज प्राप्त करने तक पूरी जिम्मेदारी परिचारिका पर होती है. जिसके चलते परिचारिकाओं के हडताल में शामिल होने का सर्वाधिक परिणाम स्वास्थ्य विभाग पर दिखाई दिया और परिचारिकाओं की गैर हाजिरी की वजह से कई मरीजों की शल्यक्रियाएं भी आगे टालनी पडी परंतु अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीजों के इलाज व सेवा में कोई खलल ना पडे. इस बात के मद्देनजर जिला शल्यचिकित्सक कार्यालय अंतर्गत ठेका नियुक्त परिचारिकाओं सहित जेएनएम व एएनएम पाठ्यक्रम की प्रशिक्षणार्थी छात्राओं को स्वास्थ्य सेवा का जिम्मा सौंपा गया था. जिन्होंने इस जिम्मेदारी को अपने कंधे पर लेकर जिला सामान्य अस्पताल व जिला स्त्री अस्पताल में पूरे 7 दिनों तक 24 घंटे सेवा प्रदान करते हुए स्वास्थ्य सेवा को सुचारु बनाए रखा. हालांकि इस दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पडा. लेकिन इन 7 दिनों के दौरान उन्हें काफी कुछ सिखने को भी मिला.
ठेका नियुक्त परिचारिकाओं तथा जेएनएम व एएनएम नर्सिंग पाठ्यक्रम की छात्राओं पर अस्पताल की जबाबदारी दी गई थी. साथ ही कई अनुभवी डॉक्टरों की सेवाओं को भी नियमित किया गया था. जिनकी सहायता से ठेका नियुक्त परिचारिकाओं व प्रशिक्षणार्थी छात्राओं ने अस्पताल की जबाबदारी को सफलतापूर्वक पूर्ण किया.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक