अमरावती

धूल खा रहा 100 बेड का प्री-फैब अस्पताल

मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए इस्तेमाल की मांग

* इर्विन-डफरीन के वार्ड है हाउसफुल
अमरावती/दि.12– कोरोना काल में बढते मरीजों की संख्या को देखते हुए स्थानीय सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के पिछले हिस्से में साडे 3 करोड रुपए की लागत से 100 बेड क्षमता वाला हाईटेक प्री-फैब अस्पताल की निर्मिति की गई. यह अस्पताल सभी सेवा सुविधाओं से लैस है. लेकिन वर्तमान में कोरोना मरीजों की संख्या घटने से विगत वर्ष भर से यह अत्याधुनिक अस्पताल धूल खा रहा है. एक ओर जिले में मौसमी बीमारियों का प्रकोप सीर चढकर बोल रहा है. जिले के प्रमुख अस्पतालों में शुमार इर्विन व डफरीन अस्पताल के वार्ड हाउसफुल है, ऐसे में इस प्री-फैब अस्पताल का इस्तेमाल मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए करने की मांग जोर पकड रही है.
इर्विन व ग्रामीण अस्पतालों की वर्तमान स्थिति यह है कि, एक बेड पर 2-2 मरीज दाखिल है. उसी प्रकार जमीन पर भी बेड बिछाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जिससे शहर में कोविड के मरीजों के लिए निर्मित संबंधित अस्पताल का उपयोग अन्य मरीजों के इलाज के लिए क्यों नहीं किया जा रहा. यह सवाल स्वास्थ्य विभाग से पूछा जा रहा है. 15 अगस्त 2021 को इस अस्पताल का उद्घाटन प्रस्तावित किया गया था. लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ नहीं है. जिला स्वास्थ्य प्रशासन संबंधित अस्पताल का उपयोग सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में दाखिल कोरोना मरीज व इर्विन अस्पताल में दाखिल कॉलरा, डायरिया के मरीजों के इलाज के लिए करें, यह सुझाव दिया जा रहा है.

* निर्माण पर हुआ खर्च व्यर्थ जाने का डर
स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार प्री-फैब अस्पताल के निर्मिति के लिए इंडो-अमेरिका फाउंडेशन के सीएसआर कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिलिबिटी फंड से साडे 3 करोड रुपए प्राप्त हुए थे. यह संपूर्ण निधि अस्पताल के निर्मिति पर खर्च किया गया. अस्पताल तो तैयार हो गया. लेकिन उसका इस्तेमाल ही नहीं होने से यह खर्च व्यर्थ जाने का डर है. संबंधित प्री-फैब अस्पताल में 40-40 फिट के 7 एयर कन्डिशन मॉडेल बनाये गये है. जिसमें आईसीयू के 2, यूनिटी के 8 बेड है. ओपीडी, डॉक्टरों के लिए स्टॉफ रुम, स्वतंत्र टॉयलेट, बाथरुम यह प्रत्येक मॉडेल के साथ अटैच है. मरीजों के परिजनों हेतू पार्किंग की भी व्यवस्था है. यह अस्पताल 20 से 25 वर्ष तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है, फिर भी उसका इस्तेमाल ही नहीं होने से साडे 3 करोड रुपए का खर्च बेकार जाने का डर है.

* मनुष्यबल का अभाव
जिला शल्यचिकित्सक डॉ. प्रमोद निरवने ने बताया कि, प्री-फैब अस्पताल तैयार है, लेकिन कोरोना मरीजों की संख्या बेहद कम रहने से उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. यदि कोरोना मरीजों की संख्या बढती है, तो इस अस्पताल का उपयोग किया जाएंगा. इस वक्त जिला शल्यचिकित्सक डॉ. निरवने ने यह भी मान्य किया कि, इस अस्पताल को लगने वाले मनुष्यबल की कमी के चलते उसे अब तक शुरु नहीं किया गया है.

* सुपर स्पेशालिटी अस्पताल की शस्त्रक्रिया व ब्लड बैंक का काम प्रभावित
कोरोना काल में मरीजों पर इलाज के लिए सुपर स्पेशालिटी अस्पताल का इस्तेमाल हुआ. वर्तमान में कम मरीजों के कारण सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के कोरोना विभाग में केवल 2 ही मरीज दाखिल है, लेकिन इसके कारण अस्पताल की ब्लड बैंक तथा शस्त्रक्रिया का काम प्रभावित हुआ है. यहीं वजह है कि, सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में दाखिल कोरोना मरीजों को प्री-फैब अस्पताल में दाखिल करने की मांग हो रही है. यदि ऐसा होता है, तो सुपर स्पेशालिटी अस्पताल पर जो कोरोना मरीजों के इलाज का बोझ है, वह हट जाएंगा.

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