अमरावती

धूल खाते पडे हैं ध्वनिमापक यंत्र

कैसे गिनी जायेगी आवाज की तीव्रता

अमरावती/दि.6- इस समय समूचे राज्य में लाउडस्पीकर का मुद्दा गूंज रहा है और लाउडस्पीकरों के जरिये होनेवाले ध्वनिप्रदूषण को लेकर भी चर्चा चल रही है. ऐसे में अब संबंधित महकमों को अपने पास धूल खाते पडे ध्वनिमापक यंत्रों की याद आयी है और उन पर पडी धूल को झटककर अब ध्वनि की तीव्रता यानी डेसिबल गिनने की तैयारी शुरू की गई है.
बता दें कि, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल केवल त्यौहारों एवं उत्सवों की कालावधि के दौरान ही ध्वनि प्रदूषण के मामलों की ओर ध्यान देती है. अब महानगर पालिका के पर्यावरण विभाग के पास इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. बल्कि केवल पुलिस के पास ही ध्वनिमापक यंत्र उपलब्ध है. जिनका कभी-कभार ही प्रयोग किया जाता है.

* पुलिस के पास है 20 यंत्र
– जानकारी के मुताबिक शहर पुलिस के पास ध्वनि की तीव्रता को गिननेवाले कुल 20 यंत्र है और शहर के सभी पुलिस थानों को दो-दो यंत्र दिये गये है.
– डिजे व अन्य ध्वनि प्रदूषण के बारे में शिकायत आने पर शहर पुलिस प्रत्येक घटनास्थल पर जाकर इन यंत्रों के जरिये डेसिबल को गिनती है. जिसकी जानकारी को बाकायदा दर्ज भी किया जाता है.

* कई वर्षों से नहीं झटकी धूल
उल्लेखनीय है कि, इन ध्वनिमापक यंत्रों की प्रत्येक 6 माह में देखभाल व दुरूस्ती करनी होती है. किंतु शहर के कई पुलिस थानों में विगत कुछ वर्षों से ध्वनिमापक यंत्रों को प्रयोग में ही नहीं लाया गया और यह यंत्र धूल खाते पडे है.
– यद्यपि शहर पुलिस आयुक्तालय के सभी 10 पुलिस थानों को ध्वनिमापक यंत्र दिये गये है, किंतु कोतवाली, गाडगेनगर, राजापेठ व फ्रेजरपुरा इन पुलिस थाना क्षेत्रों में ही सर्वाधिक रैली व जुलुस का आयोजन होता है. ऐसे में इन पुलिस थानों में तो ऐसे मौकों पर ध्वनिमापक यंत्र को प्रयोग में लाया जाता है. वहीं अन्य पुलिस थानों में पूरा समय ध्वनिमापक यंत्र धूल खाते पडे रहते है.
– दीपावली, दशहरा, गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव व रामनवमी जैसे मौकों पर होनेवाले आयोजनों को ध्यान में रखते हुए पुलिस द्वारा ध्वनिमापन के लिए अपने कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है और बाकी समय ध्वनिमापक यंत्र थाने में ही जमा रहते है.

* आखिरी बार 2021 में हुआ था प्रयोग
राजापेठ पुलिस ने सन 2021 के अगस्त व सितंबर माह के दौरान एक डीजे संचालक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए डीजे मशीन भी जप्त की थी. वहीं इससे पहले शहर कोतवाली पुलिस ने भी हमालपुरा क्षेत्र में उंची आवाज को लेकर डीजे के खिलाफ कार्रवाई की थी. तब से लेकर अब तक शहर पुलिस द्वारा ध्वनि मर्यादा के संदर्भ में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

* प्रशासन की क्षमता पड रही कम
शहर में ध्वनि प्रदूषण की समस्या काफी अधिक बढ गई है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रदूषण को लेकर नियमित तौर पर जानकारी दर्ज करनेवाली व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा केवल गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव तथा दीवाली जैसे मौकों पर ध्वनि प्रदूषण की जानकारी दर्ज की जाती है. लेकिन बाकी समय शहर के किस क्षेत्र में किस समय ध्वनि की तीव्रता व प्रमाण कितना है तथा प्रमाण अधिक रहने का कारण क्या है, इसे लेकर कभी कोई अध्ययन नहीं किया जाता. राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साथ ही महानगर पालिका के पर्यावरण विभाग द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण को लेकर कोई जानकारी कभी दर्ज नहीं की जाती.

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