अमरावती/दि.27- प्रति वर्ष 4 जुलाई को पृथ्वी -सूर्य का अंतर अधिकाधिक होता है. इसघटना को खगोलशास्त्र में एपोंहेलिअर (अपसूर्य) कहा जाता है. इस दूरी को खगोल शास्त्र में एक खगोलीय एकक भी कहा जाता है. 4 जुलाई को पृथ्वी-सूर्य में करीबन 152 दशलक्ष कि.मी. की दूरी रहेगी. पृथ्वी की सूर्य के चारों तरफ घुमने की कक्षा भी वर्तुलाकार होने से ऐसी घटना घटती है. इस दिन प्रति वर्ष में थोड़ा फर्क पड़ सकता है.
सूर्य यह तपती वायु का गोला होकर इसमें हाइड्रोजन से हेलियम बनने की क्रिया रात-दिन शुरु रहती है. सूर्य के केंद्र में एक सेकंद में 65 करोड़ 70 लाख टन हाइड्रोजन जलता है. जिससे 65 करोड़ 25 लाख टन हेलियम बनता है. कम हुए 45 लाख टन वस्तुमान का रुपांतरण सौर ऊर्जा में होता है. सूर्य के जिस भाग का तापमान कम होता है, उस भाग पर सौर दाग पड़ते हैं. इस दाग का चक्र 11 वर्ष का होता है. इस दाग की खोज 1843 में श्वाबे के वैज्ञानिकों ने की.माननिर्मित उपग्रह पर इस दाग का असर होता है. हर 1 लाख वर्ष ने पृथ्वी सूर्य की ओर थोड़ी खींची जा रही है. 5 खंड भी धीरे-धीरे खिसक रहे हैं. जिसके चलते न्यूयॉर्क शहर यह लंदन से प्रति वर्ष 2.5 से.मी. दूर जा रहा है.
सूर्य की उम्र निश्चित करने वाले पहले वैज्ञानिक सर आर्थर एडिग्टन थे सूर्य की कुल उम्र 10 अब्ज वर्ष है. इसमें से 5 अब्ज वर्ष खत्म हुई है. और 5 अब्ज वर्षों में सूर्य की मृत्यु श्वेत बटू तारे में होगी. सूर्य पर से कभी-कभी चुंबकीय लहरे फेकी जाती है. जिससे चुंबकीय तूफान आता है.
1859 में यह तूफान आया था. जिससे विश्व की टेलीग्राफ यंत्रणा बंद पड़ गई थी. इस तूफान को केरींग्टन इस्टेट नाम दिया गया था. ऐसे तूफान के कारण सेटेलाईट, जीपीएस यंत्रणा पूरी तरह से बंद पड़ जाती है.
4 जुलाई को पृथ्वी-सूर्य के बीच दूरी अधिक होने से इस खगोलीय घटना का संपूर्ण सजीव सृष्टी पर किसी भी प्रकार का बुरा असर नहीं होगा. लेकिन सूर्य की तरफ सरल साधी आंखों से देखना, आंखों के लिए धोकादायक है. यह जानकारी मराठी विज्ञान परिषद, अमरावती विभाग के अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने, हौशी खगोल अभ्यासक विजय गिरुलकर ने दी.