अमरावती

साथ में खायेंगे, चिपक-चिपककर खायेंगे

कोरोना खत्म ?, लोगों की गलत सोच

  • चलता है कहकर आटो में ठूसठूस कर भर रहे सवारी

  • प्रशासन के आह्वान का शहरवासियों पर कोई असर नहीं

  • नागरिकों का रवैया जैसे सबकुछ सामान्य हो गया

अमरावती प्रतिनिधि/दि.३ – अनलॉक ०.५ के बाद शहर में नागरिकों का रवैया ऐसा हो गया है जैसे अब सबकुछ सामान्य हो गया होगा. कोरोना माहामारी खत्म हो चुकी है, ऐसी गलत सोच में जीने वालों की कमी नहीं है. शाम होते ही सैरसपाटे के लिए लोग घर से निकल पडते है. नाश्ते, गुपचुप, चाटभंडार की दुकानों पर लोगों की भीड शाम के वक्त देखने लायक रहती है. उन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. सबकुछ चलता है कहकर आटो में भी सवारियों को ठूसठूसकर भरा जा रहा हैं. कोरोना से सावधान रहने के लिए प्रशासन व्दारा किये गए आह्वान की किसी को भी परवाह नहीं है, ऐसी तस्वीर शहर में दिखाई दें रही है.

  • बढती भीड से चिंता बढने लगी

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए भीड न हो, सुरक्षा के नियमों का पालन हो, ऐसा आह्वान प्रशासन व्दारा किया गया है. लॉकडाउन घोषित कर अनलॉक के माध्यम से एक-एक कर व्यवसाय शुरु किये जा रहे है. ऐसे में चाय-नाश्ते की दुकानों पर होने वाली भीड अब qचता बढाने लगी है.

  • जनजागृति के अभाव में नागरिक बिनधास्त

कोरोना संक्रमण के बढते मरीजों की संख्या और रोजाना हो रही मौत पर कैसे नियंत्रण पाया जाए, इसके लिए प्रशासकीय स्तर पर काफी प्रयास शुरु किये गए. कोरोना को मात देना हो तो एसएमएस करे, ऐसा आह्वान करते हुए जनजागृति रथ घुमाया जा रहा है. परंतु नागरिकों तक यह संदेश इस हद तक पहुंचता है, अगर पहुंच भी जाता है तो उसपर किस हद तक अमल किया जाता है, यह समस्या बनी हुई है. ऐसे में शहर के चौक चौराहों पर लगातार भीड बढती जा रही है.

  • लोगों का रवैया नार्मल जैसा

कोरोना रोकने के लिए कडा लॉकडाउन के बाद अब शिथिलता दी जा रही है, मगर नागरिकों का रवैया जैसे कुछ हुआ ही नहीं ऐसा दिखाई दे रहा है, यह चिंता की बात यह, ऐसा प्रशासन व्दारा कहा जा रहा है. हर बार कानून या कडे नियमों के बल पर ही पूरी की जाए, यह जरुरी नहीं है, कुछ जिम्मेदारियां जनता की भी है, सुरक्षा के नियमों का गंभीरता के साथ पालन किया जाए, खतरा अब तक नहीं टला, यह बात ध्यान में रखने की जरुरत है, ऐसी सलाह मनपा जिला परिषद, जिला प्रशासन के अधिकारियों व्दारा दी जा रही हैैं.

  • रुपए बचाने के लिए सवारियों को ठूस रहे है

चारपहिया, आटो अब शुरु है. मगर आटो में बैठते समय १ प्लस २ याने चालक और केवल दो ही सवारी बैठ सकते है. आटो की सवारियां कम होने के कारण टिकट दर बढा दी गई है. आटो चालक व्दारा लिए जाने वाले अधिक रुपए हर व्यक्ति को ज्यादा लगते है इसके कारण चलता है… कहकर एक ही आटो र्निशा में यात्रियों को ठूसा जा रहा है यह हकीकत है. दो रुपए बचाने के लिए की जाने वाली यह यात्रा जानलेवा साबित हो सकती है. सावधानी बरतना बहुत जरुरी है.

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