अमरावती

खतरनाक हो सकता है बर्फ गोला खाना

स्कूल व कॉलेज के सामने लगती है गोले की गाडियां

गर्मी के मौसम दौरान गली-मोहल्ले में भी फेरी लगाते है गोलेवाले
लस्सी, नीबू शरबत, गन्ने के रस तथा जूस व शेक में भी होता है बर्फ का प्रयोग
अमरावती/दि.18- गर्मी का मौसम आते ही बाजार में लस्सी, शरबत, जूस व शेक जैसे शीत पेयों की दुकानें लग जाती है. साथ ही जगह-जगह पर रसवंतियां भी सजने लगती है. जहां बडे पैमाने पर बर्फ का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही शहर सहित ग्रामीण इलाकों में स्कूल व कॉलेजों के सामने तथा गली-मोहल्लों में बर्फ गोले की गाडियां भी लग जाती है. इन सभी स्थानों पर गर्मी से हैरान परेशान सभी आयुवर्ग के लोगों की अच्छीखासी भीडभाड उमडती हैं. विशेष तौर पर बर्फ गोले की गाडियों पर छोटे बच्चों की विशेष भीड रहती है. परंतु अधिकांश लोगबाग इस बात से अंजान रहते है कि इन सभी स्थानों पर प्रयोग में लाई जाने वाली बर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक साबित हो सकती है क्योंकि यह बर्फ सेवन करने योग्य नहीं होती और अधिकांश बर्फ काराखानों में बर्फ का निमार्ण करने हेतु दूषित पानी का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि खुलेआम धडल्ले से होने वाले बर्फ के प्रयोग पर अन्न व औषधी प्रशासन व्दारा अभियान चलाकर अंकुश लगाया जाए.
उल्लेखनीय है कि अन्न व औषधी प्रशासन के नियमानुसार खाने योग्य बर्फ के उत्पादकों व विक्रेताओं को फुड लाइसेंस लेना जरुरी होता है और बिना लाइसेंस व्यवसाय करनेवालोें पर अन्न व औषधी प्रशासन विभाग के नियमानुसार कार्रवाई हो सकती है. परंतु प्रतिवर्ष खुलेआम धडल्ले के साथ होने वाले बर्फ के इस व्यवसाय की ओर अन्न व औषधी प्रशासन व्दारा कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता. जिसके चलते बर्फ गोले व शीत पेय विक्रेता बेखौफ होकर खाने योग्य नहीं रहनेवाली बर्फ की शीत पेयों और बर्फ गोले के जरिए विक्री करते है.
* बर्फ गोले में रासयनिक रंगों का भी प्रयोग
दूषित पानी से बनी बर्फ का गोला बनाने के साथ ही उस पर रासायनिक रंगों व सैकरिन से तैयार की गई चासनी मारी जाती है. आईसकैंडी का निर्माण भी लगभग इसी तरह से किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
* बर्फ गोला खाने से पहले लाइसेंस देखें
अन्न व औषधी प्रशासन व्दारा सभी होटल, रेस्टारेंट, जूस सेंटर व बर्फ गोले वालों की जांच की जा रही है, ताकि कच्ची व दूषित बर्फ की विक्री को रोका जा सकें. ऐसे में नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है की वे किसी भी शीत पेय या बर्फ गोले वाले से खरीददारी करने से पहले उसके फुड लाइसेंस को देखे.
* खाने योग्य नहीं रहने वाली बर्फ का नीला रंग
खाने योग्य नहीं रहने वाली बर्फ को पहचाना जा सके, इस हेतु बर्फ बनाते समय पानी में नीला रंग डालने का निर्देश अन्न व औषधी प्रशासन व्दारा दिया गया है. वहीं खाने योग्य रहने वाली बर्फ पूरी तरह से सफेद रंग की होती है.
* गत वर्ष दो बर्फ विक्रेताओं पर कार्रवाई
अन्न व औषधी प्रशासन व्दारा बर्फ विक्रेताओं के साथ ही होटल, रेस्तारेंट व जूस सेंटर की नियमित जांच पडताल की जाती है. इसके तहत ही गत वर्ष दो बर्फ विक्रेताओं पर कार्रवाई की गई है.
बर्फ उत्पादकों की नियमित जांच की जाती हैं. साथ ही बर्फ उत्पादकों को निर्देश दिया गया है कि खाने योग्य बर्फ सफेद रंग और खाने योग्य नहीं रहनेवाली बर्फ नीले रंग की तैयार की जाए. साथ ही बर्फ बनाने हेतु प्रयोग में लाए जाने वाले पानी की नियमित रिपोर्ट भी रखी जाए.
– शरद कोलते,
सहआयुक्त, एफडीए

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