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* राज्य से निधि मिलना जरुरी
अमरावती /दि.16– वर्ष 1997 में अमरावती शहर हेतु मंजूर हुई भूमिगत गटर योजना का काम आज 28 वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. इस योजना में अब तक केवल 30 फीसद काम हुआ है और निधि उपलब्ध नहीं रहने के चलते बचा हुआ काम प्रलंबित पडा है. इस योजना हेतु मनपा अब तक अपना हिस्सा नहीं दे पायी है और मनपा की आर्थिक स्थिति डांवाडोल रहने के चलत राज्य सरकार द्वारा ही यह निधि दी जाये, ऐसी मांग अब उठाई जानी लगी है.
बता दें कि, अमरावती शहर में कुल 935 किमी की लंबाई वाली भूमिगत गटर योजना का काम करना प्रस्तावित है. जिसमें से 28 वर्ष के दौरान केवल 265 किमी का काम हुआ है और 670 किमी काम काम अधूरा पडा है. भूमिगत गटर योजना को वर्ष 1997 में अमृत-1 योजना के तहत मंजूरी दी गई थी. उस समय यह योजना 123 करोड रुपयों की थी. जिसमें से पहले चरण के तहत राज्य सरकार ने 28 करोड रुपए व मनपा ने अपने हिस्से के 8 करोड रुपए दिये थे. यह योजना महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के मार्फत अमल में लायी जा रही है. जिसके द्वारा कुल प्राप्त 38 करोड रुपयों के इस योजना का केवल 30 फीसद काम पूरा किया जा सका है. वहीं शेष निधि मनपा कर्ज के तौर पर हासिल करने वाली थी. परंतु मनपा को कही से कर्ज ही नहीं मिल पाया. जिसके चलते राज्य सरकार ने भी नियमानुसार 75 फीसद निधि में से शेष निधि जमा नहीं कराई. जिसके चलते योजना का पूरा काम ही लटक गया. निधि देने हेतु सरकार द्वारा अलग-अलग चरण तय किये जाने के चलते यह योजना अधर में लटक गई. अमृत योजना में कुल निधि का 50 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार, 25 फीसद हिस्सा राज्य सरकार व 25 फीसद हिस्सा मनपा द्वारा दिया जाना था. परंतु मनपा अपने हिस्से की 25 फीसद रकम की व्यवस्था ही नहीं कर सकी.
* चुनाव में गूंजा था मुद्दा
तत्कालीन पालकमंत्री जगदीश गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान इस योजना को मंजूर करवाया था. परंतु उस समय उन्होंने मनपा के समक्ष स्वनिधि की शर्त रखी थी. लेकिन मनपा की आर्थिक स्थिति कभी भी इस योजना की कुल लागत में से 30 फीसद निधि उपलब्ध कराने की नहीं थी और आज भी नहीं है. जिसके चलते हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भूमिगत गटर योजना का मुद्दा जमकर गूंजा था. वहीं अब नवनिर्वाचित विधायक सुलभा खोडके ने सरकार से यह निधि दिलाते हुए योजना को गतिमान करने की बात कही है.
* अमृत-2 में केंद्र ने निधि को किया कम
अमृत-2 योजना में केेंद्र सरकार ने अपनी निधि को 50 फीसद से घटाकर 33.37 फीसद कर दिया है. वहीं राज्य सरकार द्वारा 33.33 फीसद निधि दी जाएगी. जबकि 30 फीसद निधि की व्यवस्था मनपा को करनी होगी. चूंकि पहले चरण में ही अमरावती मनपा 25 फीसद निधि उपलब्ध कराने में असफल साबित हुई. ऐसे में अब अमरावती मनपा द्वारा 30 फीसद निधि की व्यवस्था कैसे की जाएगी. यह सवाल उपस्थित हुआ है. जिसके चलते अमरावती मनपा की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा ही अमरावती मनपा के हिस्से का भार भी उठाने की नौबत आन पडी है.